Sunday 30 June 2013

इसीलिए अमर है रूसी साहित्य


फ़्योदर दस्तायेवस्की

दुनिया में रूस के क्लासिक लेखकों की लोकप्रियता अन्य देशों के बड़े-बड़े लेखकों से भी कहीं ज़्यादा है। हाल ही में ब्रिटेन और अमरीका के समकालीन लेखकों के बीच कराए गए एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है।
अंग्रेज़ी में लिखने वाले सौ से भी ज़्यादा लेखकों से जब उन्नीसवीं और बीसवीं शताब्दी में लिखी गई दुनिया की दस सबसे महानतम पुस्तकों और दुनिया के दस सबसे महानतम लेखकों की एक सूची बनाने को कहा गया तो जिन रूसी लेखकों के नाम लगभग सभी सूचियों में देखने को मिले, वे हैं-- लेव तलस्तोय, फ़्योदर दस्तायेवस्की, अन्तोन चेख़व और व्लदीमिर नबोकव। ये रूसी क्लासिक लेखक न सिर्फ़ हर सूची में उपस्थित थे, बल्कि ये नाम हर सूची में सबसे ऊपर-ऊपर झलक रहे थे। जबकि शेक्सपीयर, फ़्लोबर या फ़िट्जेराल्ड जैसे लेखकों और कवियों के नाम कहीं पीछे छूट गए थे।
बीसवीं शताब्दी की दस महान् रचनाओं का ज़िक्र करते हुए सभी सूचियों में पहले स्थान पर विश्व के एक प्रमुख लेखक व्लदीमिर नबोकव के उपन्यास 'लोलिता' का उल्लेख किया गया है। लेकिन 'लोलिता' का ज़िक्र  इसलिए नहीं किया गया है, क्योंकि लोलिता उपन्यास के कथानक को लेकर विश्व साहित्यजगत में एक हंगामा उठ खड़ा हुआ था और इस वज़ह से वह लोकप्रिय हो गया था, बल्कि इसके कारण दूसरे ही हैं। इन कारणों की चर्चा करते हुए एक चर्चित रूसी आलोचक ईगर शैतानव ने कहा कि नबोकव शायद यह समझ गए थे कि विश्व साहित्य किस दिशा में आगे बढ़ रहा है। ईगर शैतानव ने कहा :
नबोकव उन  लेखकों में से एक थे, जिन्हें उत्तर आधुनिकतावाद का प्रवर्तक माना जाता है। जब साहित्य स्वयं लेखक के जीवन का ही दर्पण होता है। लेखक जो लिखता है, उसको एक अन्य व्यक्ति के रूप में देखने और समझने की भी कोशिश करता है। नबोकव ने इसी चीज़ को प्रमुखता दी कि मैं कैसे लिखता हूँ।
यह बात भी दिलचस्प है कि ब्रिटेन और अमरीका के अंग्रेज़ीभाषी लेखकों ने एक ऐसी हंगामेदार रचना को उन्नीसवीं शताब्दी की मुख्य रचना माना है, जो एक स्त्री के बारे में है। यह रचना है रूसी क्लासिक साहित्य का अद्भुत्त उपन्यास-- लेव तलस्तोय का उपन्यास आन्ना करेनिना। अन्ना करेनिना की लोकप्रियता तो बिना किसी सर्वेक्षण के भी अपने आप ही स्वयंसिद्ध है। अंग्रेज़ी में इस उपन्यास का चार अलग-अलग लोगों ने चार बार अनुवाद किया है और अब तक इसकी करोड़ों प्रतियाँ छप चुकी हैं। यहाँ तक कि आज उनकी गणना करना भी मुश्किल है।
अगर इसमें यह बात भी शामिल कर ली जाए कि इस उपन्यास को लेकर कितनी ही भाषाओं में फ़िल्में भी बनाई जा चुकी हैं, तो यह कहा जा सकता है कि दुनिया का क़रीब-क़रीब हर आदमी उस कुलीन स्त्री के बारे में जानता है, जो अपने पति को छोड़कर अपने प्रेमी के पास चली गई थी और अन्तत: जिसने रेल के नीचे आकर अपनी जान दे दी थी।  लेकिन इस उपन्यास को गहराई से पढ़ने वाले लोग यह जानते हैं कि इस उपन्यास का मुख्य पात्र आन्ना करेनिना नहीं है। इस उपन्यास का मुख्य पात्र तो कंस्तान्तिन लेविन है, जो पूरी तरह से एक सकरात्मक चरित्र है और पारिवारिक मूल्यों को महत्त्व देता है।
रूस के क्लासिक लेखक लेव तलस्तोय के ही एक दूसरे उपन्यास 'युद्ध और शांति' को उन्नीसवीं शताब्दी की दस महान् रचनाओं में तीसरे नम्बर पर रखा गया है। इस उपन्यास में इतने ढेर सारे ऐसे पात्र हैं जो पूरी तरह से सकारात्मक हैं और जिनके जीवन-मूल्यों को हम सभी को अपनाना चाहिए। लेकिन इन दस महान् रचनाओं में ही लेव तलस्तोय के एकदम विपरीत लेखक फ़्योदर दस्तायेवस्की का उपन्यास 'अपराध और दंड' भी शामिल किया गया है। रूसी साहित्यकार ईगर वोल्गिन ने कहा-- हाँ, यह बात हमारी समझ में आती है क्योंकि दस्तायेवस्की के बिना उन्नीसवीं और बीसवीं शताब्दी के साहित्य का कोई ज़िक्र ही नहीं किया जा सकता है। ईगर वोल्गिन ने कहा :
दस्तायेवस्की सिर्फ़ लेखक ही नहीं हैं बल्कि वे विश्व चेतना की एक विभाजन रेखा  भी हैं। दस्तायेवस्की के बाद तो जैसे दुनिया ही बदल गई। मानव ने ख़ुद को एक दूसरे ही रूप में पाया। वह जैसे ख़ुद को अब पहले से ज़्यादा जानने और पहचानने लग गया।
ब्रिटिश और अमरीकी लेखकों के चुनाव पर टिप्पणी करते हुए, जिन्होंने लेव तलस्तोय को अब तक का दुनिया का सबसे महान् लेखक बताया है, रूसी लेखक पावेल बासिन्स्की ने ईगर वोल्गिन के विचारों से अपनी सहमति व्यक्त की। पावेल बासिन्स्की ने कहा :
बीसवीं शताब्दी निश्चय ही दस्तायेवस्की की शताब्दी थी। दस्तायेवस्की  उस विस्फ़ोटक और क्रान्तिधर्मा बीसवीं शताब्दी के ज़्यादा अनुकूल थे जो मूल्यों का लगातार पुनर्मूल्यांकन करती रही और अस्तित्त्ववादी सवालों से लगातार जूझती रही। जबकि तलस्तोय ने ये सवाल नहीं उठाए थे। तलस्तोय ने तो यह सवाल पूछा था कि कैसे जीना चाहिए। सचमुच हमारा रोज़मर्रा का जीवन, हमारा दैनिक जीवन कैसा होना चाहिए। इसीलिए मुझे लगता है कि इस नज़रिए से लेव तलस्तोय ही इक्कीसवीं शताब्दी के लेखक हैं।
पावेल बासिन्स्की यह जानकर आश्चर्यचकित हो उठे कि बीसवीं शताब्दी की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं की सूची में लेखकों ने रूसी लेखक अन्तोन चेख़व की कहानियाँ भी शामिल की हैं। बात चेख़व की कहानियों की हो रही है, उनके नाटकों की नहीं। जबकि चेख़व के नाटक ही पूरी दुनिया में सबसे ज़्यादा खेले जाते हैं। चेख़व की कहानियों को तो लोग भावुक कहानियाँ बताते हैं जिनमें समाज का चित्रण इतना नहीं हुआ है, जितना पात्रों की मनोवैज्ञानिक भावनाओं का चित्रण हुआ है। चेख़व की कहानियों का अन्त भी भावुकतापूर्ण होता है। कहना चाहिए कि वे कहानियाँ कहीं ख़त्म होती ही नहीं है। चेख़व कभी समस्या का हल प्रस्तुत नहीं करते क्योंकि जीवन भी कभी समस्याओं का उत्तर पेश नहीं करता है।
शायद रचनाओं में वास्तविक जीवन की यह उपस्थिति ही वह कारण है, जिसकी वज़ह से चेख़व, तलस्तोय और दस्तायेवस्की विश्व के महानतम साहित्यकारों और लेखकों की सूचियों में हमेशा शीर्ष पर होते हैं और इनकी रचनाएँ न सिर्फ़ अंग्रेज़ी भाषा में बल्कि दुनिया भर की भाषाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। (hindi.ruvr.ru से साभार)

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