Thursday 26 March 2015

ये मीडिया पूंजी का भूखा है, इसकी विश्वसनीयता अब संदिग्ध

दिल्ली में एक मीडिया सेमीनार में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश ने कहा कि भारतीय मीडिया अब गरीब और कमजोर लोगों को उनका हक दिलाने के प्रति जवाबदेह नहीं रहा है। इसका चरित्र मेट्रो केंद्रित हो गया है। मीडिया की जिम्मेदारी और जवाबदेही है कि वह मौजूदा समस्याओं से हमारा साक्षात्कार कराए लेकिन आज का मीडिया लोगों की रुचियों के परिष्कार की जिम्मेदारी निभाने में असमर्थ है। देश के सत्तर प्रतिशत गांवों की खबरों को मीडिया में सिर्फ दो-तीन प्रतिशत स्थान मिल रहा है। मीडिया को समाज के वंचित वर्गों को जीने का हक दिलाने की बात करनी चाहिए। इस पर वह तटस्थ सा है। वरिष्ठ पत्रकार कमर वहीद नकवी का भी कहना था कि मीडिया को हमेशा उत्पीड़ितों के पक्ष में खड़ा होना चाहिए। मीडिया आज उद्योग है। आईआईएमसी के प्रोफेसर डॉ.आनंद प्रधान ने कहा कि कारपोरेट मीडिया और पूंजी में गठजोड़ हो जाने से आज भारत में पारंपरिक मीडिया की विश्वसनीयता संदिग्ध हो चली है। वरिष्ठ पत्रकार मधुकर उपाध्याय ने कहा कि मीडिया को पक्षपात से बचना चाहिए। मीडिया की स्थिति दुखद है। वह निष्पक्षता को अपने कंधे पर लादकर चलने को बाध्य है जबकि ये संभव नहीं। वरिष्ठ पत्रकार अरविंद मोहन ने कहा कि हाल के वर्षों में मीडिया में तकनीक का ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है। सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव की वजह से पूरी दुनिया में कई लिपियों का भविष्य खतरे में है। प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रानिक मीडिया में जो खामियां हैं, सोशल मीडिया उनका विकल्प है लेकिन सूचना के नए माध्यम हमारी वैचारिक पक्षधरता को घटा रहे हैं। आम आदमी पार्टी के नेता आशुतोष ने कहा कि पत्रकारिता का पस्तुपरक विश्लेषण होना चाहिए। पिछले तीन चार वर्षों में पत्रकतारिता में कंटेंट और तकनीक के स्तर पर काफी बदलाव हुए हैं। कार्यक्रम को महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.गिरीश्वर मिश्र, डॉ.बीके जैन, डॉ.हेमंत कुमार, लाइव इंडिया के पूर्व एडिटर इन चीफ एनके सिंह, अभिषेक श्रीवास्तव, टीवी न्यूज एंकर वंदना झा, कार्टूनिस्ट राजेंद्र धोड़पकर, उमेश चतुर्वेदी आदि ने भी विचार व्यक्त किए।  

फेसबुक पर हारजीत का बुखार

(चित्र में धोनी के घर के बाहर पुलिस)
दिनेशराय द्विवेदी लिखते हैं- जब से भारतीय टीम ने क्रिकेट वर्ल्ड कप के सेमी फाइनल में प्रवेश पाया तभी से कानों कान चर्चा थी कि 26 मार्च 2015 सेमीफाइनल के दिन शहर की अदालतों में काम होगा या नहीं। यदि उस दिन भी वकीलों को काम करना पड़ा तो वे दुनिया के इस अप्रतिम क्रिकेट मैच का जीवित आनन्द कैसे प्राप्त कर सकेंगे। सेमीफाइनल की पूर्व संध्या जब मुंशी वकील साहब के दफ्तर पहुँचा तो उस ने बताया कि कुछ वकीलों में आज चर्चा तो थी कि कल कोई न कोई जुगत ऐसी जरूर होनी चाहिए कि अदालतों में काम न करना पड़े। सेमीफाइनल के दिन सुबह जब अखबार लोगों के घर पहुँचे तो उस में खबर थी कि पिछले एक माह से एक रुपए वाले कोर्ट फीस टिकट ट्रेजरी और कोर्टफीस वेंडरों के पास न होने से दो रुपए का टिकट लगाना पड़ रहा है इस से मुवक्किलों को दुगनी कोर्टफीस देनी पड़ रही है। वकील ये अन्याय सहन नहीं कर सकते इस कारण वे 26.03.2015 को हड़ताल पर रहेंगे।
अनामिशरण बबल लिखते हैं - भारत से ज्यादा रो रहा है अॉस्ट्रेलिया। जीत की उम्मीद करना ही बेकार था,। पर फाईनल में भारत के न होने से अॉस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड का पर्यटन उधोग रो रहा है। अभी तक मेलबोर्न के नाना प्रकार के होटलों मे रहने के लिए करीब 25 हजार लोगों ने अपनी बुकिंग कैंसल करा दी..। और लगभग 18 हजार लोग अपनी एयर टिकट को कैंसल करा चुके है । यह संख्या करीब 40 हजार तक जाएगीय़। भारत से ज्यादा तो रो रहा है सीए यानी क्रिकेट अॉस्ट्रेलिया बेचारा औरवहां के व्यवसायी जो मोटी कमाई की आस में हताश हो गए। भारत के फाईनल में नहीं पहुंचने से मोटा मोटामोटीकरीब 15 हजार करोड के व्यवसाय लाभ एकाेक नुकसान में चला गया। जय हो इंडिया वाले धोनी भईया तेरी जय हो और कीर्ति की क्षय हो।
त्रिलोचन शास्त्री ने लिखा - प्राणायाम करने से क्रिकेट जीता जा सकता तो रामदेव कब के अपनी टीम बना चुके होते : स्वदेशी।
प्रदीप श्रीवास्तव की टिप्पणी थी सचित्र - यह तस्‍वीर रांची स्थित धोनी के घर के बाहर की है। आस्‍टेलिया से हारते ही धोनी के घर के बहर पुलिस की तैनाती कर दी गई ताकि लोग यहां तोडफोड न कर सकें। इस हार से हर कोई दुखी है लेकिन एक हार से किसी हीरो को विलेन कैसे बनाया जा सकता है। धोनी की अगुवाई में हमने विश्व कप, टी 20 कप जीता, टेस्ट में नंबर 1 बने और न जाने कितनी ऐतिहासिक जीतें हुईं। धोनी ने भारतीय क्रिकेट को बुलंदियों पर पहुंचाया। ..... और आज भी जब हमारे खिलाडी एक एक कर पेवेलियन लौट रहे थे तो धोनी ने ही पारी को संभालने की कोशिश की। एक हार से हम धोनी की सौ जीत को नहीं भुला सकते। यह फोटो हमें शर्मिंदा कर रही है !!!!!!!!! देश को शर्मिंदा कर रही है!!!!!!!!!
शंभुनाथ शुक्ला ने लिखा - हार गए तो क्या हुआ पाकिस्तान से तो आगे रहे। यूं भी यह ससुरा किरकिट हमारा खेल तो है नहीं गोरों का है उन्हीं को मुबारक।