Monday 9 February 2015

किताबों की दुनिया

कोलटन का मानना था- सच्चे मित्र और अच्छी किताबों का साथ कभी नुकसान नहीं पहुंचाता। थोरो कहता था - पुराने कपड़े पहनो लेकिन किताबें नई खरीदो। ऐमी ब्रासन एलकार का कहना था - अच्छी पुस्तक वह है, जो आशा के साथ खोली जाए और लाभ के साथ बंद की जाए। टाल्स्टाय लिखते हैं- बुरी पुस्तकों का पढ़ना जहर पीने के समान है। फ्रांसिस बेकन की राय तो सबसे उम्दा और निराली - कुछ पुस्तकें रखने के लिए, कुछ परीक्षण के लिए, कुछ चबाने के लिए, कुछ खाने के लिए, कुछ निगलने के लिए तथा कुछ हजम करने के लिए होती हैं।

08 फरवरी 2015 को इलाहाबाद में पुस्तक-प्रकाशनोत्सव

'मीडिया हूं मैं' और 'क्लास रिपोर्टर' का विमोचन किया रवींद्र कालिया और ममता कालिया ने