Saturday 4 October 2014

हादसा और प्यार

अपनी मुश्किल घड़ी में मित्र परिवार के शब्दों से अपेक्षाधिक संबल मिला, जिनसे इस मंच पर आज तक कभी संवाद न हो सका था, उनसे भी आश्वास्त हो लेने का इस घटना के कारण ही सही, सुअवसर मिला, पूरे मित्र परिवार के लिए एक बार पुनः हार्दिक कृतज्ञता....
पहले दिन घटना की सूचना देने के बाद मुझे लगा था कि पत्नी पूर्ण स्वस्थ हो जाने पर ही पुनः यहां उपस्थित हो सकूंगा लेकिन आप मित्रों, शुभचिंतकों की सहानुभूति, यहां बार बार खींच ले आ रही है। पत्नी की सेवा-सुश्रुषा, देखभाल से कुछ पल का समय चुराकर मित्रों के संग-साथ हो ले रहा हूं। यह सोचते हुए कि दुनिया में कितना गम (दुख) है, अपना तो कितना कम है.....
मेरे घर आते-जाते रहे मित्रगण मेरी पत्नी के स्वभाव से पूर्ण परिचित हैं। वह सब काम छोड़ कर उनके उपस्थित हो जाते ही उनकी अगवानी, आवभगत में डूब जाती रही हैं। दुर्घटना से सबसे ज्यादा कष्ट उन्हें हुआ है। वे घटना के बाद से लगातार फोन संपर्क में है। प्रतिदिन कुशलता की कामना के साथ मेरा संबल संभाले हुए है। इस मंच पर आत्मीय हुए कई-एक वरिष्ठ शुभचिंतक एवं मित्र भी मेरी स्थितियों से अत्यंत दुखी-द्रवित हुए, मेरा असमय यथासंभव साझा किया, उनका पुनः-पुनः आभार.....
उम्मीद है, इस दुखद समय से उबरने में कम से कम डेढ़-दो माह लग जाने हैं, अभी कच्चा प्लास्टर चढ़ा है दोनो पैरों और दायें हाथ में, एक्सरे-सिटी स्कैन में एक पैर के निचले हिस्से की हड्डियां चूर-चूर हो जाने से नौ अक्तूबर को ऑपरेशन, फिर एक पैर और हाथ पर पक्का प्लास्टर होना है, उसके बाद 45 दिन और...
इस हादसे से जो एक सबसे महत्वपूर्ण संदेश मुझे मिला कि फेसबुक का मित्र परिवार सुख में संबल बने-न-बने, दुख में ऐसा कोई नहीं, कहीं नहीं मेरा....आभार