Tuesday 9 September 2014

स्टीफन हॉकिंग की भविष्यवाणी

महान वैज्ञानिक और जाने-माने भौतिकशास्त्री स्टीफन हॉकिंग ने आगाह किया है कि महज दो साल पहले वैज्ञानिकों ने जिस मायावी कण 'गॉड पार्टिकल' उर्फ 'हिग्स बोसोन' की खोज की थी उसमें समूचे ब्रह्मांड को तबाह-बरबाद करने की क्षमता है. हॉकिंग ने एक नई किताब 'स्टारमस' की भूमिका में लिखा है कि अत्यंत उच्च उर्जा स्तर पर हिग्स बोसोन अस्थिर हो सकता है. इससे प्रलयकारी निर्वात क्षय की शुरुआत हो सकती है जिससे दिक् और काल (स्पेश एंड टाइम) ढह जा सकते हैं. इस ब्रह्मांड में हर जो चीज अस्तित्व में है, हिग्स बोसोन उसे रूप और आकार देता है.


http://www.hawking.org.uk/index.html

गाजा नरसंहार में एक बच्चे का खून से सना जूता और उस पर मुसब इकबाल की मार्मिक कविता

Do save my shoe Keep it carefully For tomorrow
A tomorrow dying in rubbles 
Do save my shoe For the museum of loss
For that museum, I am giving you
My shoe, my blood soaked shoe
And my words soaked in despair
And my tears absorbed in hope
And my pain immersed in silence
Also pick up from the beach
The football, or perhaps some part of it
Stained not with blood but signed by the cowardice
of great power.
My memory is sealed in that shrapnel shell
in the echo of mourning, in the farewell kiss.
Every colour of life is poisonous
And every dream is choked by cloud of Deadly chemicals.
The images that disturb you at night
and in the day you read about us (in leisure)
Images don’t disturb us, nothing disturbs us
but your silence, your patience
your thoughtful gaze, your sinful wait
Anger here is a virtue, our patience is inscribed in Resistance!
मेरे जूते को बचाकर रखना, संभालकर रखना इसे कल के लिए, मलबे के बीच दम तोड़ रहे कल के लिए, मेरे जूते को बचाकर रखना, ग़म के संग्रहालय के लिए, उस संग्रहालय के लिए मैं दे रहा हूं अपने जूते को, खू़न से सने जूते को और हताशा में डूबे मेरे शब्‍दों को और उम्‍मीद से लबरेज़ मेरे आंसुओं को और सन्‍नाटे में डूबे मेरे दर्द को समुद्र के किनारे से मेरे फुटबाल को भी उठा लेना, या शायद उसके कुछ हिस्‍सों को जिन पर खून के धब्‍बे नहीं, एक महाशक्ति की कायरता के दस्‍तख़त हैं, मेरी स्‍मृति उस बम की खोल में सीलबन्‍द है, शोक की प्रतिध्‍वनि में, विदाई के चुंबन में ज़ि‍न्‍द‍गी का हर रंग ज़हरीला है और जानलेवा रसायनों के बादल हर ख्‍़वाब का दम घोट रहे हैं, वे तस्‍वीरें जो तुम्‍हें रात में परेशान करती हैं और दिन में जब तुम हमारे बारे में पढ़ते हो (आराम फ़रमाते हुए), वे तस्‍वीरें हमें परेशान नहीं करती हैं, अगर कोई चीज़ परेशान करती है तो वह है तुम्‍हारी ख़ामोशी, तुम्‍हारी शिथि‍लता, तुम्‍हारी विचारवान निगाहें, तुम्‍हारा गुनहगार इंतज़ार, यहाँ आक्रोश एक सदगुण है, हमारा धैर्य हमारे प्रतिरोध में दर्ज़ है!
अनुवाद : आनंदसिंह