Sunday 12 April 2015

दूरदर्शन में महिला कर्मियों का यौन शोषण

अब तो दूरदर्शन भी महिला कर्मियों के लिए सुरक्षित नहीं रहा। दूरदर्शन में सेवारत कई महिला कर्मियों का यौन उत्पीड़न किया जा चुका है। हाल ही में दूरदर्शन की उत्पीड़ित महिला कर्मियों की लिखित शिकायतों के बावजूद उन पर न तो महिला आयोग गंभीर है, न अन्य कोई वह जांच एजेंसी, जहां वे अपनी शिकायतें कर रही हैं। महिला बाल विकास मंत्रालय का इस मामले पर खामोशी साध लेना तो और भी आश्चर्यजनक है। ये हाल तो तब है, जबकि उन पीड़ित महिलाओं में से एक उसी आरएसएस के दूरदर्शन में प्रसार भारती मजदूर संगठन बीएमस की नेता हैं, जिसकी इस समय केंद्र में सरकार है। एक पीड़ित महिला कर्मी ने न्याय की गुहार लगाते हुए शिकायती पत्र में लिखा है कि क्या बलात्कार हो जाने के बाद ही कोई कार्रवाई होगी?
एक वरिष्ठ अधिकारी ने तो अपने अधीनस्थ महिला कर्मी से कहा कि तुम मेट्रो में रहने वाली तीस वर्ष की जवान हो, तुम ये भी नहीं जानती कि वरिष्ठ अफसर से कैसे पेश आया जाता है। दिल्ली की लड़कियां तो सब कुछ जानती हैं। महिला कर्मी की शिकायत है कि सिर्फ उसके साथ ही ऐसा नहीं, दूरदर्शन की कई महिलाओं के साथ इस तरह की हरकतें हो चुकी हैं।
दूरदर्शन में कार्यरत कई महिलाएं अपने अफसरों से डरी हुई हैं। एक पीड़िता महिला कर्मी ने साहस बटोर कर पुलिस में शिकायत भी कर दी है। एक अन्य महिला दूरदर्शन कर्मी को अपने विभागीय उच्चाधिकारियों से जब न्याय नहीं मिला तो उसने केंद्रीय महिला बाल विकास मंत्री मेनका गांधी और महिला आयोग को लिखित में बताया है कि उसके अफसर अपर महानिदेशक ने ऐसी शर्मनाक हरकत उससे की है कि उसे कहने में भी शर्म महसूस हो रही है। इसके बाद उस पीड़िता पर दबाव डालने के साथ ही परिजनों को शिकायत वापस लेने के लिए धमकाया गया। बताया जाता है कि उसका यौन उत्पीड़न किया गया है।
पता चला है कि इसी तरह आकाशवाणी भवन स्थित दूरदर्शन अभिलेखागार में कार्यरत एक अन्य महिला कर्मी ने प्रोग्राम एक्जिक्यूटिव पर यौन हरकतों का आरोप लगाया है। उसने इसकी लिखित शिकायत अपने विभाग के उच्चाधिकारियों के अलावा राष्ट्रीय महिला आयोग और महिला बाल विकास मंत्री से की है। आरोप है कि संबंध न बनाने पर प्रोग्राम एक्जिक्यूटिव ने उसे कई बार धमकियां भी दीं। उसकी फरियाद पर कोई कार्रवाई तो नहीं हुई। उल्टे उसे ही मंडी हाउस स्थित दूरदर्शन मुख्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया। वहां भी उसे एक अफसर तंग करने लगा। इस दफ्तर में तैनात रहे एक अपर महानिदेशक पर भी एक महिला कर्मी ने पिछले वर्ष यौन शोषण का आरोप लगाया था। उस मामले में भी कोई कार्रवाई करने की बजाय अफसर को स्थानांतरित कर दिया गया था।
इन घटनाओं से पूर्व विशाखा गाइडलाइंस के आने के बाद भी दूरदर्शन की एक महिला पत्रकार द्वारा एक वरिष्ठ पद पर कार्यरत सहकर्मी पर यौन शोषण का आरोप लगाया जाना और उस पर दूरदर्शन के सर्वोच्च पद (डीजी-डीडी) पर एक महिला के आसीन होते हुए भी उसके द्वारा पीड़ित के आरोपों पर कार्रवाई न किया जाना एक खतरनाक कदम की ओर संकेत करता है। इसी तरह की अक्टूबर 2013 की एक घटना भी दूरदर्शन से ही संबंधित है। उस समय तो प्रसार भारती प्रबंधन ने यौन उत्पीडऩ के आरोपी दूरदर्शन के वरिष्ठ अधिकारी को निलंबित कर दिया था। अधिकारी की सहकर्मी ने उसके खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। इसी तरह इंडिया टीवी की एंकर तनु शर्मा ने अपने अधिकारियों द्वारा उत्पीड़ित किए जाने, दफ्तर की गुटबाजी और फिर बिना कारण बताए बर्खास्त कर दिए जाने पर दफ्तर के सामने ही जहर खाकर खुदकुशी करने की कोशिश की थी।
डा. रीना मुखर्जी, तनु शर्मा प्रकरणों ने भी मीडिया कुपात्रों का भेद खोला था : प्रिंट मीडिया में भी हालात बहुत अच्छे नहीं हैं। ‘द स्टेटसमैन’ की एक सीनियर रिपोर्टर रहीं डा. रीना मुखर्जी ने अखबार के ही तत्कालीन न्यूज कोआर्डिनेटर ईशान जोशी पर यौन शोषण का आरोप लगाया था, जिसके बाद इस मामले की निष्पक्ष जाँच कराए जाने के बजाय उन्हीं को नौकरी से निकाल दिया गया था।