Monday 21 November 2016

यह किताब जरूर पढ़िए- सुब्बाराव

पिछले दिनो दिल्ली में अलख घुमक्कड़ एवं देश-विदेश के लाखों युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत एस एन सुब्बराव (सेलम नानजुदैया सुब्बराव) से मुलाकात हुई। मेरी पुस्तक 'मीडिया हूं मैं' के पन्ने उलटने-पलटने के बाद उनकी टिप्पणी थी- 'अपने समय की सच्चाई जानने के लिए मीडिया के बारे में निर्भीकता से लिखी यह किताब आज के युवाओं को एक बार जरूर पढ़ लेनी चाहिए।' सुब्बाराव अपनी शिविर-यात्राओं के दौरान होटलों या गेस्ट हाउस में नहीं, युवा साथियों के घर में ठहरते हैं। वह बताते हैं कि पिछले दिनो तिब्बत-नेपाल आदि के साढ़े चार सौ बच्चों को उन्होंने शिक्षकों एवं परिजनों के दबाव से कुछ दिन मुक्त रखने के लिए छत्तीसगढ़ बुलाया, उन्हें साढ़े चार सौ घरों में अलग-अलग ठहराया ताकि वह हमारे देश की सांस्कृतिक समरसता में घुल मिल सकें। वे बच्चों विभिन्न समुदायों के थे। एक जमाने में सुब्बाराव की चंबल घाटी के डाकुओं के आत्मसमर्पण कराने में भी उल्लेखनीय भूमिका रही है। उन्होंने अपने भजन सुनाकर, परिजनों को रोजगार दिलाकर माधो सिंह, मोहर सिंह जैसे डाकुओं का दिल जीता था। सीमित संसाधनों में जीने वाले सुब्बाराव ने विवाह नहीं किया।, न अपना घर बनाया, बसाया। वह एक साथ 25 हजार नौजवानों तक के शिविर लगा चुके हैं। वह अमेरिका, जर्मनी, जापान, स्वीटजरलैंड आदि के अप्रवासी भारतीय परिवारों के युवाओं के बीच भी सक्रिय रहते हैं। वह किसी भी तरह के पुरस्कार एवं सम्मान से दूर रहते हैं। वह अपने लिए जिंदाबाद का नारा लगाने का सख्त विरोध करते हैं। कहते हैं कि जो जिंदा है, उसका क्यों जिंदाबाद।

हिंदुस्तानी भाषा अकादमी सम्मान

हिंदुस्तानी भाषा अकादमी की ओर से पिछले दिनो 19 नवंबर 2016 को दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान सभागार में देश के कवियों, पत्रकारों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पद्मश्री कवि सुरेंद्र शर्मा से समादृत होने की एक झलक।