Monday 13 April 2015

ओम थानवी को 'बिहारी पुरस्कार'

 ‘जनसत्ता’ के संपादक एवं लेखक ओम थानवी को वर्ष 2014 का 24वां बिहारी पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। के.के. बिड़ला फाउंडेशन के निदेशक सुरेश ऋतुपर्ण ने थानवी को उनकी यात्रा वृत्तांतपरक चर्चित पुस्तक ‘मुअनजोदड़ो’ के लिए यह पुरस्कार देने की घोषणा की है। इस पुस्तक का प्रकाशन वर्ष 2011 में हुआ था। थानवी को पुरस्कार के रूप में 1 लाख रुपए, प्रशस्ति पत्र और प्रतीक चिह्न प्रदान किया जाएगा। इससे पूर्व उन्हें शमशेर सम्मान, सार्क सम्मान, केंद्रीय हिंदी संस्थान सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। वह निरंतर लेखनरत रहते हुए वर्तमान में साहित्य, समाज, राजनीति, शिक्षा, पत्रकारिता आदि विषयों पर त्वरित टिप्पणियों के लिए हिंदी क्षेत्र में सुप्रसिद्ध हैं।
केके बिरला फाउंडेशन द्वारा स्थापित बिहारी पुरस्कार राजस्थान के हिन्दी या राजस्थानी भाषा के लेखकों को प्रदान किया जाता है। पिछले 10 वर्षों में प्रकाशित राजस्थानी लेखकों की कृतियों में से विजेता का चयन किया जाता है।  वर्ष 1991 में स्थापित पहला बिहारी पुरस्कार डॉ. जयसिंह नीरज को उनके काव्य संकलन ‘ढाणी का आदमी’ के लिए दिया गया था। ओम थानवी की एक अन्य चर्चित कृति है- 'अपने अपने अज्ञेय'।
ओम थानवी का जन्म 1 अगस्त 1957 को फलोदी, जोधपुर (राजस्थान) में हुआ था। वह नौ वर्षों (1980 से 1989) तक 'राजस्थान पत्रिका' में रहे। इसके बाद चंडीगढ़, फिर दिल्ली में संपादक बने। उन्होंने हिंदी की साहित्यिक तथा सांस्कृतिक इतवारी पत्रिका का भी सम्पादन किया है। ओम थानवी की साहित्य, कला, सिनेमा, पर्यावरण, पुरातत्त्व, स्थापत्य और यात्राओं में गहन रुचि है।
वह मेक्सिको, कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैण्ड, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन, स्विटजरलैंड, ऑस्ट्रिया, नीदरलैंड, फिनलैंड, स्वीडन, बेल्जियम, रोमानिया, थाईलैंड, आर्मेनिया, बेलारूस, चीन, ब्राजील, मलेशिया, सिंगापुर, गयाना, त्रिनिदाद एवं टोबेगो, सूरीनाम, श्रीलंका, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, तुर्की, ग्रीस और क्यूबा आदि अनेक देशों की यात्राएं कर चुके हैं। 

एक 'आदर्श मां' की लाइव रिपोर्टिंग

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में यह एक नए तरह की चर्चा सरगर्म हुई है। चर्चा है मिस्र की टीवी पत्रकार लामिया हामदीन का अपने बच्चे को लेकर रिपोर्टिंग करना। उनकी रिपोर्टिंग की तस्वीरें वायरल होने से ऑनलाइन सूचना माध्यमों पर इसे लेकर समर्थन और विरोध के रूप में तरह तरह की चर्चाएं बहस की शक्ल में सार्वजनिक रही हैं।
लामिया हामदीन के अपने बच्चे को लेकर रिपोर्टिंग करने का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि ये तरीका ठीक नहीं है। वे उनको नौकरी से निकालने तक की मांग कर रहे हैं। समर्थकों का कहना है कि लामिया आदर्श मां हैं। एक माँ का दर्द समझने के लिये दिल चाहिए, दिमाग नहीं। उन्होनें वही किया जो वक्त की जरूरत थी, "माँ तुझे सलाम"। उन्होंने उनकी तुलना इटली की नेता लीसिया रॉनज़्यूली से की है। लीसिया 2010 में अपनी बेटी को काम पर लेकर जाती थीं।
लामिया का कहना है कि एक कामकाजी मां होने के नाते उन्होंने वहीं किया जो उन्हें करना चाहिए था। उन्होंने कहा, 'मेरा बेटा बीमार था और मुझे कुछ ज्यादा देर काम करना था। ऐसे में वह उसे नर्सरी से अपने साथ लेकर आ गईं क्योंकि उसे और कहीं छोड़ना ठीक नहीं था।