Sunday 30 June 2013

ज्ञान बांटती किताबें


सारंग कुमार

सोचिए, यदि किताबें नहीं होतीं तो कैसी होती यह दुनिया! मानसिक विकास के अभाव में सभ्यताएं विकसित नहीं हो पातीं और न ही इंसान चांद को छू पाता। किताबें ज्ञान बांटती हैं, इसलिए इसकी महत्ता और सत्ता को कायम रखने के लिए 23 अप्रैल को विश्व पुस्तक एवं कॉपीराइट दिवस दुनियाभर में मनाया जाता है। विश्व पुस्तक दिवस मनाने की शुरुआत स्पेन के पुस्तक विक्रेताओं ने 1923 में अपने देश के लोकप्रिय लेखक मिगुएल डि सरवेंटेस के सम्मान में की। 23 अप्रैल को ही मिगुएल का निधन हुआ था। कैटालोनिया में इसी दिवस को सेंट जॉर्ज की जयंती मनाई जाती है। इस परम्परा की शुरुआत मध्यकाल में हुई। इस दिन पुरुष अपनी प्रेमिका को गुलाब देते हैं। वर्ष 1925 में एक प्रथा और जुड़ गई। इस दिवस को महिलाएं गुलाब के बदले अपने प्रेमी को किताब देने लगीं। इस प्रथा का लाभ यह हुआ कि कैटालोनिया में किताबों की बिक्री तेजी से बढ़ी। इस दिवस पर वहां कैटालोनिया में अमूमन 400,000 किताबें बिक जाती हैं और उतनी ही संख्या में गुलाब के फूल भी बिक जाते हैं। किताबों के प्रति लोगों की दिलचस्पी बढ़ाने के लिए ही विश्व पुस्तक दिवस पर पुस्तक प्रदर्शनियां आयोजित की जाती हैं। अपने देश में इस दिन किताबों पर चर्चा के लिए संगोष्ठी, वाद-विवाद प्रतियोगिता, साहित्यिक कृतियों पर आधारित चित्रकला प्रतियोगिता, निबंध एवं कविता लेखन प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। देश के कई पुस्तकालयों में इस दिन विशेष आयोजित होते हैं। कई जगह लेखक-सम्मेलन का आयोजन भी होता है। इसमें लेखक अपनी रचना प्रक्रिया के बारे में बताते हैं। इससे लोगों को जानकारी मिलती है कि किन परिस्थितियों ने लेखक को लेखन के लिए प्रेरित किया और पुस्तक लिखने के पीछे उनका क्या उद्देश्य है। लेखकों को अपनी मौलिक कृतियों को संरक्षित करने की भी जरूरत पड़ती है, ताकि उनकी किताब की कोई नकल न कर ले या अनधिकृत प्रतियां न प्रकाशित कर ले। ऐसा होने पर लेखक या अधिकृत प्रकाशक अपने एकाधिकार का दावा पेशकर दोषी को सजा दिलवा सकते हैं। इसके लिए उन्हें एकाधिकार अधिनियम (कॉपीराइट एक्ट) का सहारा लेना पड़ता है। कॉपीराइट के बढ़ते महत्व को देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय संगठन यूनेस्को ने 1995 में विश्व पुस्तक एवं एकाधिकार दिवस (वर्ल्ड बुक एंड कॉपीराइट डे) मनाने का निर्णय लिया। यूनेस्को ने यह दिवस 23 अप्रैल को ही मनाने का निर्णय क्यों लिया, इसकी एक नहीं, कई वजह हैं। कैटालोनिया का उत्सव, विश्व प्रसिद्ध नाटककार एवं सॉनेट विद्या के प्रणेता विलियम शेक्सपीयर का जन्मदिन और पुण्यतिथि 23 अप्रैल को ही पड़ती है। इसी दिन लेखक मिगुएल डि सरवेंटेस, इंका गार्सिलासो डि ला वेगा की पुण्यतिथि भी पड़ती है। साथ ही लेखक मौसिस ड्रओन, ब्लादिमीर नाबाकोव, मैनुएल मेत्रिया वेल्लोजो और हॉलडोर लैक्सनेस का जन्मदिन भी इसी दिन पड़ता है।
भारत में कॉपीराइट अधिनियम 1957 की निगरानी की जिम्मेदारी मानव संसाधन विकास मंत्रालय के पास है। यह कानून बौद्धिक सम्पदा अधिकार (आईपीआर) से जुड़े कई अधिनियमों में से एक है। कॉपीराइट कार्यालय की स्थापना नई दिल्ली के संसद मार्ग स्थित जीवनदीप भवन में 1958 में की गई थी, जिसमें मौलिक रचनात्मक कार्यो का पंजीकरण होता है। इस कार्यालय में साहित्यिक रचनात्मक कार्यो के अलावा चित्रकला, सिनेमैटोग्राफी, ध्वनि रिकार्डिग और कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर का पंजीकरण भी होता है।
कॉपीराइट सम्बंधी कार्य के लिए सरकार द्वारा कॉपीराइट समितियों का गठन भी किया जाता है। भारतीय कॉपीराइट अधिनियम में 1994 में व्यापक संशोधन किए गए। संशोधित अधिनियम 10 मई 1995 से लागू हुआ। वर्ष 1999 में इस अधिनियम में आगे भी संशोधन हुए और यह नए रूप में 15 जनवरी 2000 से प्रभावी हुआ।
कॉपीराइट अधिनियम की धारा 11 के प्रावधानों के अंतर्गत भारत सरकार ने कॉपीराइट बोर्ड का गठन किया है। यह बोर्ड एक अर्धन्यायिक निकाय है, जिसमें अध्यक्ष के अलावा कम से कम दो और अधिकतम 14 सदस्य होते हैं। हर पांच वर्ष पर इस बोर्ड का पुनर्गठन किया जाता है। यह बोर्ड रचनात्मक कार्यो को लाइसेंस प्रदान करता है और संबंधित मामलों की सुनवाई करता है।
कॉपीराइट कानून का उल्लंघन करने पर दंड का प्रावधान है और यह पुलिस को आवश्यक कार्रवाई के लिए प्राधिकृत करता है। इस कानून को लागू करने की जिम्मेदारी तो राज्य सरकारों की है, लेकिन अनधिकृत प्रतियां बनाने (पायरेसी) पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार ने भी कई कदम उठाए हैं। इन कदमों में कॉपीराइट प्रवर्तन सलाहकार परिषद का गठन भी शामिल है। यह परिषद कॉपीराइट के पालन और नकल को रोकने से संबंधित प्रावधानों की समीक्षा करती है।
भारत विश्व बौद्धिक सम्पदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) का सदस्य है जो इस क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र संघ की विशिष्ट एजेंसी है। यह एजेंसी कॉपीराइट और बौद्धिक सम्पदा अधिकार के मामलों का निपटान करती है। (इंडो-एशियन न्यूज सर्विस)

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