Friday 12 July 2013

हार्ड कॉपी से ई-बुक तक


फिल कूम्स

डिजिटल पब्लिशिंग का बढ़ता प्रचलन फ़ोटोग्राफिक क्लिक करें किताबों के प्रकाशकों से लिए चुनौती बनकर उभरा है. कई फ़ोटोग्राफरों के लिए बुक फार्मेट अपने काम को पाठकों तक पहुंचाने का आदर्श तरीका है. इसमें पाठक को एक पूर्व निर्धारित क्रम में तस्वीरों को देखने का मौका मिलता है. एक शानदार किताब का स्पर्श ही अद्भुत एहसास देता है और इसे लंबे समय तक संजोकर रखा जा सकता है. लेकिन ई-बुक्स और बुक आधारित क्लिक करें ऐप्स के आने से इसमें कई आयाम जुड़ गए हैं. अमेजन के संस्थापक जैफ बेजोस के मुताबिक क्लिक करें ई-बुक्स का कारोबार अरबों डॉलर तक पहुंच गया है. हालांकि अभी तक बाज़ार में टेक्स्ट बुक्स का ही दबदबा है लेकिन इससे फ़ोटोग्राफिक प्रकाशकों के अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है.
लंदन के प्रकाशक एमएपीपी के माइकल मैक ने कहा, “किताब की दुकानों को ऑनलाइन बिक्री के समक्ष अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है." उन्होंने कहा, "क्लिक करें ऑनलाइन बिक्री से आपको घर या दफ़्तर में ही किताब मिल जाती है, तो फिर क्यों कोई किसी दुकान में जाने की जहमत उठाएगा.” उनका कहा है कि कीमत की भी इसमें अहम भूमिका है. उन्होंने कहा कि फ़ोटोग्राफिक किताबों को प्रकाशित करना महंगा पड़ता है और उनकी बिक्री भी सीमित होती है. मैक ने कहा कि उनका काम समय से पहले ही पुराना पड़ गया है. एमएपीपी जैसे प्रकाशकों ने वक्त की नजाकत को देखते हुए अब ई-बुक्स पर जोर देना शुरू कर दिया है. मैक ने कहा कि एमएपीपी एक ऐसी योजना पर काम कर रहा है जो डिजिटल वर्क की एक लाइब्रेरी ऑफर करेगी. इसमें नई और संशोधित पांडुलिपियों और टेक्स्ट का सम्मिश्रण होगा. उन्होंने कहा कि डिजाइन के मामले में ऐप्स की क्षमताएं असीमित हैं. लेकिन साथ ही इसकी कुछ बाध्यताएं भी हैं. यही वजह है कि एमएपीपी ई-बुक्स पर जोर दे रही है जिसमें कोई बाध्यता नहीं है. मैक ने कहा, “हम ऐसे लोगों और संस्थाओं के साथ काम कर रहे हैं जिनके पास विषयवस्तु का बड़ा संग्रह है. इनमें जेम्स बांड के प्रोड्यूसर माइकल विल्सन और अन्य कई संग्रहालय और पुस्तकालय शामिल हैं.”
भारत में इंटरनेट यूज़र्स की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है और साथ ही बढ़ रहा है ई-कॉमर्स का बाज़ार भी. कंपनियां ट्रेन टिकट से लेकर कपड़े और इंश्योरेंस तक बेच रही हैं. इसी कड़ी में बुधवार को अमरीकी कंपनी अमेज़न भी शामिल हो गई. अमेज़न ने भारत के लिए अपनी नई सेवा शुरू की है जिसमें ऑनलाइन खरीददारों को किताब, फ़िल्मों की डीवीडी, गैजेट, मोबाइल फ़ोन और कैमरे सहित और भी कई सामग्रियां खरीदे जाने की सुविधा उपलब्ध होगी. भारत में ई-कॉमर्स का कारोबार तेज़ी से बढ़ रहा है लेकिन इसी के साथ ये ख़तरा भी बना हुआ है कि ये बस बुलबुला भर न साबित हो. अमेज़न से पहले ई-कॉमर्स बाज़ार में बड़े तौर पर जबॉन्ग दाखिल हुई थी. कंपनी का कहना है कि तब से अब तक उन्होंने 50,000 उत्पाद बेचें हैं जिसमें से 50 फ़ीसदी से अधिक बिक्री छोटे शहरों में हुई है. वो मानते हैं कि भारत में ई-कॉमर्स के लिए काफ़ी संभावनाएं हैं. एक अनुमान के मुताबिक करीब एक करोड़ लोग वर्तमान में ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं जबकि दस करोड़ से ज़्यादा लोग ई-शॉपिंग करने के लिए तैयार है. लेकिन इन खरीददारों तक पहुंच पाना आसान नहीं है.
भारत की सबसे पहली ई-कॉमर्स वेबसाइट इंडिया प्लाज़ा के मालिक के वैथीस्वरन कहते हैं, “अभी तक जिन कंपनियों ने ई-कॉमर्स पर निवेश किया है उन्होंने बिक्री बढ़ाने की बात की है, लेकिन मुनाफ़े पर ध्यान नहीं दिया. अब अचानक इन निवेशकों को लगता है कि उन्हें उनके निवेश पर उचित मुनाफ़ा नहीं मिल पाएगा. लिहाज़ा अब वो मुनाफ़े पर जोर दे रहीं है, पर दुर्भाग्यवश ज्यादातर कंपनियों ने सिर्फ गोदाम बनाकर लोगों को काम पर रखा है.” वैथीस्वरन के अनुसार उनकी कंपनी काफ़ी दिनों से सिर्फ इसीलिए चल रही है क्योंकि उन्होंने दाम कम रखे हैं. साल 1999 में जब उनकी कंपनी ने काम शुरू किया था तब 30 लाख से भी कम इंटरनेट यूजर्स थे. इसमें से भी केवल 20,000 लोग ऑनलाइन शॉपिंग करते थे. अब भारत दुनिया के तीन सबसे तेज़ी से बढ़ रहे इंटरनेट बाज़ारों में से एक है. पिछले साल इंटरनेट का प्रयोग यहां 41 फ़ीसदी बढ़ा. गूगल इंडिया के प्रबंध निदेशक राजन आनंदन ने कहा, “भारत में 14 करोड़ इंटरनेट यूज़र्स में से केवल ढ़ाई करोड़ ऑनलाइन व्यापार करते हैं. जबकि चीन में 18 करोड़ ऑनलाइन खरीददारी करते हैं.” भारत में नए खरीददारों को रिझाने के लिए कंपनियों को विज्ञापन और डिस्काउंट स्कीमों पर निवेश करना पड़ेगा. एक अनुमान के अनुसार कंपनियां विज्ञापन के ज़रिए हर ऑनलाइन ग्राहक पर 15 से 50 डॉलर खर्च कर रही है. इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के एक आंकड़े के अनुसार साल 2005 में शुरू की गई कंपनी ई-बे इंडिया हर मिनट में छह बिक्रियां करती हैं, जबकि फ्लिपकार्ट हर मिनट 20 बिक्रियां करती है. (बीबीसी से साभार)

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