Saturday 22 June 2013

(दूसरा दशक के पोस्टर से साभार/प्राइमरी का मास्टर)


किताबों के संग
अपने कलाम साहब की पुस्तकों के बारे में चंद  लाइने !
आधी सदी से अधिक का वक्त
मैंने बिताया किताबों के संग
किताब मेरी दोस्त,मेरी हमसफ़र,
किताबों के सहारे
मैंने देखे सपने
सपने बन गए मकसद
किताबों के सहारे बढ़ा हौंसला
मकसद पूरा करने का,
असफलता के वक्त
किताबों ने बढ़ायी मेरी हिम्मत
किताबें मेरी दोस्त, मेरी हमसफ़र,
अच्छी किताबें देवदूत बन मेरे लिए पैगाम
मेरे दिल को हौले से सहलाया,
इसलिए मैं अपने युवा साथियों से
कहता हूँ  - किताबों से दोस्ती करो
ये हैं तुम्हारी अच्छी दोस्त, हमसफर
किताब मेरी दोस्त, मेरी हमसफर !
डा० ए पी जे अब्दुल कलाम

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