Saturday 22 June 2013

किताबें इधर-उधर की

पशुपति: राजश्री - राजश्री
इस उपन्यास की पृष्ठभूमि सांस्कृतिक है। वक्त वैदिक काल का और संघर्ष महाअसुर वरुण और महारूद शिव के बीच। दो ध्रुवों के बीच चलने वाली ऐसी कथाओं में अच्छे-बुरे का भेद महत्वपूर्ण नहीं होता, महत्वपूर्ण है विचार और हालात की जटिलता, जिससे एक पक्ष सही और दूसरा गलत रास्ते पर बढ़ता चला जाता है। इस जटिल संघर्ष में मानवीय सभ्यता की समझ उभरती है। 'पशुपति' उस समझ की एक अहम औपन्यासिक कड़ी है।

निरागसाधना - मनोज कुमार चतुर्वेदी
भागदौड़ की जिंदगी में सेहत का ख्याल हमें तब ही आता है, जब हम किसी बीमारी के शिकार होते हैं। लेकिन थोड़े-से जतन से हम खुद को अस्पतालों के चक्कर और महंगी दवाओं से बचा सकते हैं। योग सेहतमंद बने रहेने का एक बड़ा कारगर तरीका है। इस किताब में योग के जरिए कैसे मानसिक और शारीरिक रूप से सेहतमंद रहा जाए, इसकी जानकारी विस्तारपूर्वक दी गई है। योग में यकीन रखने वालों के लिए यह उपयोगी हो सकती है।

बड़ों की बातें - शुकदेव प्रसाद
जिंदगी सीखने का नाम है। हम सब हर रोज कुछ-न-कुछ सीखते हैं। यह सीख जितना हमारे आसपास से निकल कर आती है, उतना ही उन लोगों के बारे में जानकर, जिन्हें हम महान विभूतियों के नाम से जानते हैं। इस किताब में राजनीतिक, साहित्यिक, वैज्ञानिक, आध्यात्मिक आदि क्षेत्रों की महान विभूतियों के जीवन से जुड़े प्रेरक प्रसंगों को पिरोया गया है। ये प्रसंग न सिर्फ पढ़ने में रोचक हैं, बल्कि इनमें गांठ बांध लेने लायक कई सीख भी हैं।

किताब: महिलाएं समझें अपने कानूनी अधिकार - जे. के. वर्मा
महिलाओं से संबंधित कानून के बारे में जागरूकता लाने की एक कोशिश है यह किताब। ज्यादातर महिलाएं खुद यह नहीं जानतीं कि उन्हें कौन-कौन से कानूनी अधिकार प्राप्त हैं। इस वजह से उन्हें और उनके परिजनों को कई दफा गैरजरूरी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है। किताब में शादी, दहेज प्रताड़ना, लिव इन रिलेशनशिप, जायदाद संबंधी हक आदि के बारे में अहम जानकारियां दी गई हैं। इसके साथ-साथ महिला सशक्तिकरण को लेकर चल रही कोशिशों के बारे में भी बताया गया है।


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