Wednesday 8 April 2015

मीडिया गाइड लाइन : लैंगिक अल्पसंख्यकों पर 'छिछोरे समाचार' लिखने की मनाही

हमसफर ट्रस्ट के अध्यक्ष अशोक राव कवि के मुताबिक प्रसार माध्यमों में, जो लैंगिक अल्पसंख्यकों का सनसनीखेज, अवैज्ञानिक एवं एकतरफा चित्र प्रस्तुत किया जाता है, उसमें बदलाव जरूरी है। इसी उद्देश्य से अपने सामाजिक अस्तित्व के लिए संघर्षरत एलजीबीटी (समलैंगिक लेस्बियन, गे, बायसेक्सुअल और ट्रांसजेंडर) समुदाय की ओर से संचार मीडिया गाइड (प्रसार माध्यम मार्गदर्शिका) जारी की गई है। इसकी लेखिका अल्पना डांगे हैं और हिंदी में इसका अनुवाद विवेक पाटिल ने किया है। इंडिया एच.आई.वी. / एड्स अलायंस ने इनोवेशन फंड के तहत हमसफर ट्रस्ट के इस प्रकल्प को आर्थिक सहायता प्रदान की है। 
अल्पना डांगे लिखती हैं कि 'प्रसार माध्यम मार्गदर्शिका' भारत में लैंगिक अल्पसंख्यकों की बेहतर रिपोर्टिंग की बेहतर पत्रकारिता के लिए सुझावित भाषा मार्गदर्शिका है। हमसफर ट्रस्ट बोर्ड पिछले कई वर्षों से संचार प्रसार माध्यम मार्गदर्शिका तैयार करने पर विचार-विमर्श करता रहा है। Glaad Media के सेन एडम ने उनके कुछ हिस्सों को अपनाने की अनुमति दी। संचार प्रकल्प के दौरान कार्यशालाओं में शामिल होकर पत्रकारों ने भी इसके विमर्श में मदद की। इस प्रकल्प पर काम करते समय कुछ चुनिंदा गाने महीनों तक बार बार सुने।
प्रस्तावना सहित इसके कुल आठ अध्यायों में से अंतिम आठवें अध्याय 'संचार एवं पत्रकारिता के नीति-मूल्य' में लिखा गया है कि अगर किसी व्यक्ति का साक्षात्कार, राय, छायाचित्र लेने हैं तो पत्रकारों को उस व्यक्ति की सहमति लेनी चाहिए। साथ ही, छापने के बाद उसकी जानकारी उस व्यक्ति को देनी चाहिए। एलजीबीटी (समलैंगिक) समाज के ऐसे किसी व्यक्ति की तो पहचान भी गोपनीय रखनी चाहिए। एलजीबीटी समाज के बारे में 'छिछोरे समाचार' पेश किए जाते हैं। ऐसा नहीं लिखा जाना चाहिए। स्टिंग के बाद तो ऐसे समाचार आचार संहिता के दायरे में आते हैं या नहीं, विवाद का मुद्दा है। समलैंगिक समुदाय के लोग अपनी पहचान सार्वजनिक नहीं चाहते हैं। संकेतों के माध्यम से इनकी आपस में मुलाकातें होती हैं। इसलिए स्टिंग से इनके रोजीरोटी पर खतरा पैदा हो जाता है। वे बेघर किए जा सकते हैं। समाज उन्हें धिक्कार सकता है। इसीलिए इस पुस्‍तक में देशव्यापी इस समुदाय के प्रवक्‍ताओं के संपर्क नंबर जारी किए गए हैं।

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