Tuesday 16 July 2013

बचपन को रिझातीं पुस्तकें


कुत्ते की कहानी - प्रेमचंद - यह हिंदी का पहला बाल उपन्यास है। मामूली कुत्ता कल्लू अपनी हिम्मत और बहादुरी की वजह से एक अंग्रेज साहब का प्यारा बन जाता है। अब उसकी सेवा करने के लिए नौकर-चाकर मौजूद हैं, पर कल्लू सुखी नहीं है। वह महसूस करता है कि अब उसके गले में गुलामी का पट्टा बंधा हुआ है।
बजरंगी नौरंगी : अमृतलाल नागर - हिंदी के दिग्गज उपन्यासकार अमृतलाल नागर का 'बजरंगी-नौरंगी' एक लाजवाब और जिंदादिली से भरपूर उपन्यास है। बजरंगी और नौरंगी के रूप में उन्होंने जिन पात्रों को लिया है, वे हैं भी बड़े गजब के। उपन्यास इतनी जानदार भाषाशैली में लिखा गया है कि हिंदी के बाल उपन्यासों में 'बजरंगी-नौरंगी' की धमक कुछ अलग ही है।
पहाड़ चढ़े गजनंदन लाल : विष्णु प्रभाकर - बच्चों के लिए लिखी गईं 12 चुस्त-चपल कहानियां हैं। इनमें 'पहाड़ चढ़े गजनंदनलाल' और 'दक्खन गए गजनंदनलाल' एकदम निराली हैं। इन्हें पढ़ते हुए कभी हंसी की फुरफुरी छूट निकलती है तो कभी भीतर कोई गहरा अहसास बस जाता है, जो हमें जिंदादिली से जीने की ताकत देता है।
गीत भारती : सोहनलाल द्विवेदी - इस पुस्तक में सुंदर और अनूठी 20 बाल कविताएं हैं। खासकर 'अगर कहीं मैं पैसा होता', 'सपने में', 'नीम का पेड़', 'घर की याद' ऐसी कविताएं हैं, जिनमें बहुत थोड़े शब्दों में जीवन की गहरी बातें उड़ेल दी गई हैं।
आटे बाटे सैर सपाटे : कन्हैयालाल मत्त - कन्हैयालाल मत्त की निराले अंदाज की बाल कविताओं की लंबे अरसे तक धूम रही है, जिनमें अजब-सी मस्ती और फक्कड़पन है। 'आटे बाटे सैर सपाटे' मत्त की बाल कविताओं का प्रतिनिधि संकलन है, जिसमें उनकी 51 चुनिंदा कविताएं हैं। इन कविताओं में गजब की लयात्मकता के साथ-साथ हास्य-विनोद की फुहारें बच्चों को खूब रिझाती हैं।
बतूता का जूता : सवेर्श्वरदयाल सक्सेना - ' बतूता का जूता' बच्चों के लिए लिखी गई ऐसी कविताओं का संग्रह है, जिन्होंने बाल कविता को नया मोड़ दिया। इसमें 18 बाल कविताएं हैं, जो अपने समय में खूब चर्चित हुई थीं और आज भी उनका वही जादू बरकरार है। इनमें कई कविताएं तो ऐसी हैं, जिन्हें दुनिया की किसी भी समर्थ भाषा की अच्छी-से-अच्छी बाल कविता के बराबर रखा जा सकता है।
तीनों बंदर महाधुरंधर : शेरजंग गर्ग - ' तीनों बंदर महाधुरंधर' 51 कविताओं का संग्रह है। ये ऐसी कविताएं हैं, जिन्हें पढ़कर एक समूची पीढ़ी अब युवा हो गई है, पर इन कविताओं का जादू अब भी उतरा नहीं है। एक ओर इस किताब में भोलेपन की मस्ती से भरे सुंदर और छबीले शिशुगीत हैं, तो दूसरी ओर ऐसी कविताएं, जिनमें खेल-खेल में बड़ी बातें सिखाई गई हैं।
मेरे प्रिय शिशुगीत : डॉ. श्रीप्रसाद - अपने नटखट शिशुगीतों के लिए चर्चित रहे डॉ. श्रीप्रसाद के चुने हुए सुंदर शिशुगीतों का संकलन 'मेरे प्रिय शिशुगीत' एक सुखद आश्चर्य की तरह है। किताब में ज्यादातर शिशुगीत ऐसे हैं, जिनके साथ बच्चे खिलखिलाते हैं और कुछ सीखते भी हैं।
सूरज का रथ : बालस्वरूप राही - एक दौर था जब बालस्वरूप राही की कविताएं हर बच्चे के होंठों पर नाचती थीं। आज भी उनका वही जादू बरकरार है। यहां तक कि बड़े भी उनके रस से भीगते और रीझते हैं। 'सूरज का रथ' में लीक से हटकर लिखी गई 21 बाल कविताएं हैं, जिनमें नई सूझ, नए रंग और कुछ नया ही जादू है। संग्रह की हर कविता ऐसी है, जिसे पढ़कर बच्चे झूम उठते हैं।
कमलेश्वर के बाल नाटक : कमलेश्वर - कमलेश्वर के बाल नाटकों का अपना अलग रंग है, जो बच्चों को ही नहीं, बड़ों को भी लुभाते हैं। 'पैसों का पेड़', 'पिटारा', 'जेबखर्च', 'झूठी दीवारें', 'डॉक्टर की बीमारी' नाटक एकदम नए ढंग के हैं और कथ्य, भाषा और अंदाज में लीक से हटकर हैं। हिंदी में बच्चों के लिए लिखे गए इतने सहज, सफल नाटक कम ही हैं।
गणित देश और अन्य नाटक : रेखा जैन - रेखा जैन की गिनती हिंदी के उन सिरमौर नाटककारों में की जाती है, जिन्होंने बच्चों के साथ खेल-खेल में नाटक लिखे और उन्हें उतने ही अनूठे अंदाज में पेश किया। 'गणित देश और अन्य नाटक' में रेखा के अलग-अलग रंग और शेड्स के छह बहुचचिर्त नाटक हैं। गणित से डरनेवाले बच्चों के लिए ऐसा खिलंदड़ नाटक भी बुना जा सकता है, इसकी कल्पना करना मुश्किल है।
दूसरे ग्रहों के गुप्तचर : हरिकृष्ण देवसरे - इसमें वैज्ञानिक फंतासी बहुत करीने-से बुनी गई है। कथा यह है कि किसी दूसरे ग्रह के लोग जासूसी करने के लिए पृथ्वी पर आते हैं। वे यहां एक भव्य होटल स्थापित करते हैं, जिसमें सारा काम रोबॉटों के जरिए होता है। दो किशोर दोस्त राकेश और राजेश इसका रहस्य जानने के लिए निकलते हैं, तो हैरान कर देनेवाली घटनाएं घटने लगती हैं।
घडि़यों की हड़ताल : रमेश थानवी - रमेश थानवी का यह उपन्यास एक प्रयोगधर्मी उपन्यास है, जिसमें हमारा समय और सच्चाइयां खुलकर सामने आती हैं। उपन्यास की शुरुआत में ही घडि़यों की इस अनोखी हड़ताल का जिक्र है, जिससे सब जगह हड़कंप मच जाता है और सारे काम रुक जाते हैं। बमुश्किल घडि़यों की यह हड़ताल खत्म होती है, जिसने जिंदगी की रफ्तार को ही रोक दिया था।
भोलू और गोलू : पुस्तक में सर्कस में काम करनेवाले एक भालू के बच्चे भोलू और महावत के बच्चे गोलू की दोस्ती है। बड़ी ही प्यारी दोस्ती, जिससे दोनों को ही बड़ी खुशी मिलती है। खासकर भोलू तो गोलू से दोस्ती से पहले एकदम उदास और अनमना रहता है, पर आखिर उसने गोलू के दिल के प्यार को पहचाना। फिर तो उसकी जिंदगी में एक नई उमंग भर जाती है।
मैली मुंबई के छोक्रा लोग : हरीश तिवारी - इस उपन्यास का नायक रोज-रोज दुख और अपमान के धक्के खाता झोपड़-पट्टी का एक लड़का है, जिसके भीतर आखिर पढ़ने और कुछ कर दिखाने की लौ पैदा हो जाती है। उपन्यास में मुंबई के शोषित और अभावग्रस्त जीवन की बड़ी मामिर्क शक्लें हैं, जो मन पर गहरा असर डालती हंै।
चिडि़या और चिमनी : देवेंद्र कुमार - एक फैक्ट्री है, जिसकी चिमनी से निकलनेवाले धुएं से चिडि़या का गला खराब हो जाता है और खांसी के कारण उसकी हालत लगातार बिगड़ती जाती है। आखिर जंगल के सारे जानवर मिलकर उस फैक्ट्री को घेर लेते हैं और चिमनी को तोड़ देना चाहते हैं। फिर समझ में आया कि फैक्ट्री के बंद हो जाने पर सैकड़ों मजदूर बेरोजगार हो जाएंगे।
शेर सिंह का चश्मा : अमर गोस्वामी - यह अद्भुत हास्य-कथा है। जंगल के राजा शेर को बुढ़ापे के कारण कुछ कम दिखाई देने लगता है और वह खरगोश को चूहेराम समझ लेते हैं, ढेंचूराम को डंपी कुत्ता और लाली बंदर को गिलहरी। मगर लाली बंदर आखिर उनके लिए चश्मा ढूंढ़ लाया और शेर के लिए चश्मा लाने में क्या-क्या कमाल हुए, यह इस बड़ी ही नाटकीय कहानी 'शेरसिंह का चश्मा' को पढ़कर जाना जा सकता है।
शिब्बू पहलवान : क्षमा शर्मा - यह दिलचस्प उपन्यास है, जिसके नायक हैं शिब्बू पहलवान। शिब्बू पहलवान की बहादुरी के अलावा उनकी दया, सरलता, खुद्दारी और स्वाभिमान की भी एक से बढ़कर एक ऐसी झांकियां हैं, जो मोह लेती हैं।
एक सौ एक बाल कविताएं : दिविक रमेश - उन कवियों में से हैं जिन्होंने बच्चों के लिए बिल्कुल अलग काट की कविताएं लिखी हैं। पिछले कोई तीन दशकों में लिखी गई उनकी कविताओं में से चुनी हुई एक सौ एक कविताएं इस किताब में शामिल हैं, जिनमें दिविक की कविता का हर रंग और अंदाज है। इनके जरिए नई दुनिया की नई हकीकतों से भी परिचित होते हैं।
लड्डू मोतीचूर : रमेश तैलंग के 101 शिशुगीतों का अद्भुत गुलदस्ता है। सभी बालगीत ऐसे कि आप पढ़ते जाएं और मंद-मंद मुसकराते जाएं। सभी में बच्चों की दुनिया की कोई अलग शक्ल, अलग बात है, पर साथ ही एक मीठी गुदगुदी भी है, जिससे ये गीत पढ़ते ही बच्चे की जबान पर नाचने लगते हैं।

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