Monday 3 November 2014

आईएस का मज़बूत हथियार है पेशेवर मीडिया / मीना अल-लामी

खुद को इस्लामिक स्टेट (पहले आईएसआईएस या आईएसआईएल) कहने वाला कट्टरपंथी जिहादी समूह अन्य जिहादी गुटों से न सिर्फ़ ज़्यादा क्रूर है बल्कि इसका मीडिया संचालन भी ज़्यादा पेशेवराना है. आईएस मीडिया पर व्यवस्थित ढंग से अच्छा ख़ासा निवेश करता है. इसमें काम करने वाले प्रचारक तो हैं ही बिना थके जुटे रहने वाले समर्थकों की ऑनलाइन सेना भी है. इसके साथ ही मीडिया समूह भी हैं जो इसके संदेशों का तगड़ा प्रचार करते हैं.
वह संदेश, जिसमें क्रूर हिंसा के साथ इस्लामिक स्टेट का प्रचार प्रसार नज़र आता हैं, उसे चतुराई से जारी किया जाता है. इसका मीडिया प्रोडक्शन उच्च गुणवत्ता वाला और पूरी तरह दर्शक को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है. इनके देखने वालों में अरबी भाषी लोग भी हैं और पश्चिमी देशों के भी.
आईएस की ऑनलाइन मीडिया रणनीति के केंद्र में एक अनुशासित, चुस्त और कई परत वाला संगठन है जिसने अन्य जिहादी गुटों को बहुत पीछे छोड़ दिया है. सबसे ऊपर आईएस की मीडिया शाखा है जो वीडियो, बयान और ताज़ा ख़बरें तैयार करती है. फिर इसे ऑनलाइन टीम की मदद से फैला दिया जाता है. संगठन के मुख्य मीडिया प्रोडक्शन हाउस अल-आई'टिज़्म, अल-फ़ुरकान और अल-हयात मीडिया सेंटर (एचएमसी) हैं. इसके अलावा आईएस के कई प्रादेशिक 'मीडिया कार्यालय' भी हैं जो इराक़ और सीरिया को कवर करते हैं. इनका गठन 2014 में किया गया ताकि आईएस के 'इलाकों' के विस्तृत ख़बरें आ सकें और आईएस का मीडिया आउटपुट बढ़ सके.
साफ़ है कि इसका लक्ष्य न सिर्फ़ संभावित लड़ाकों की भर्ती है बल्कि पश्चिम के दुश्मनों और उनकी जनता को डराना भी है. एचएमसी जल्द ही आईएस के प्रचार तंत्र में मुख्य भूमिका में आ सकता है और अंग्रेज़ी भाषा में रोमांचित करने वाले भर्ती के वीडियो के साथ ही बहुभाषीय पत्रिकाएं और सूचनापत्र प्रकाशित कर सकता है. आईएस अपने संदेश को फैलाने के लिए ऑनलाइन समर्थकों पर काफ़ी निर्भर रहा है. लेकिन पिछले कुछ महीनों में कई सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर या तो इसे बंद कर दिया गया है या फिर वे भूमिगत हो गए हैं. इस साल जुलाई तक अन्य जिहादी गुटों की तरह आईएस की भी ट्विटर पर अच्छी खासी मौजूदगी थी और इसके सभी मीडिया केंद्र इसमें आधिकारिक रूप से सक्रिय थे.
हालांकि सीरिया और इराक़ में सैन्य सफलता के बाद संगठन के इन अकाउंट्स को लेकर सख्ती दिखाई जाने लगी. आईएस ने पहले तो जल्दी-जल्दी इन अकाउंट्स को बदल दिया, जो ट्विटर एडमिनिस्ट्रेशन और संगठन के बीच चूहा-बिल्ली के खेल जैसा लग रहा था. लेकिन जुलाई तक संगठन को ट्विटर पर आधिकारिक रूप से कोई अकाउंट रखने की कोशिशों को छोड़ना पड़ा. इसके बजाय आईएस ने कम लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करना शुरू किया. इनमें ट्विटर के मुकाबले ज़्यादा निजता और डाटा-सुरक्षा देने वाले ऑब्सक्योर फ़्रेन्डिका, क्विटर और डायसपोरा के साथ ही लोकप्रिय रूसी कॉन्टाटे शामिल हैं. जहां फ़्रेंडिका और क्विटर पर आईएस के अकाउंट्स कुछ ही दिन में बंद हो गए वहीं डायसपोरा और कॉन्टाटे में यह कई हफ़्ते तक चलते रहे. लेकिन सिर कलम करने के वीडियो में शामिल होने और उन्हें प्रसारित करने के चलते वह भी बंद हो गए.
ऐसा लगता है कि सितंबर में जब तक कॉन्टाटे का अकाउंट बंद हुआ आईएस ने सोशल मीडिया में आधिकारिक उपस्थिति के बिना अपनी चीज़ों को बाहर लाने का ज़रिया तैयार कर लिया था. एक बार ऐसे माध्यमों से इसका संदेश बाहर आ जाए, जिन्हें ढूंढना अभी तक संभव नहीं हुआ है, फिर यह इससे जुड़े मीडिया समूहों के ज़रिए फैला दिया जाता है जिनके पास सोशल मीडिया में निजी समर्थकों का बड़ा जाल है जो आईएस के दर्शकों तक यह संदेश पहुंचा देते हैं. हैशटैग का इस्तेमाल कर ऐसे वीडियो अन्य ज़रियों से फिर उपलब्ध करवा दिए जाते हैं जो यूट्यूब से हटा दिए गए हैं. हालांकि आईएस समर्थकों और मीडिया समर्थक समूहों को नियमित रूप से ट्विटर से निलंबित किया जाता है लेकिन उन्होंने वहां मौजूद रहने के कई तरीके ईजाद कर लिया हैं, जिनमें से लगातार अपने नाम और हैंडल बदलना और बैक-अप अकाउंट्स की श्रृंखला तैयार रखना शामिल है. आईएस की सफलता का दूसरा मुख्य कारण है अच्छी क्वॉलिटी और कई भाषाओं में तैयार इसके वीडियो. इन्होंने इसके हिंसा और सामाजिक न्याय के संदेश का अधिकतम असर सुनिश्चित किया है. इसके वीडियो के सिनेमाई प्रभाव और चमकीली पत्रिकाएं मुख्य धारा की फ़िल्म निर्माण कंपनियों और समाचार संगठनों से कम नही है. इससे पता लगता है कि आईएस में मीडिया प्रोडक्शन और तकनीक विशेषज्ञता वाले लोग हैं. संगठन की सैन्य सफलता और उसके साथ इस तरह का प्रचार आईएस के नए सदस्यों और समर्थकों को इसकी विचारधारा और रणनीति को लेकर उठने वाले सवालों का जवाब देने के लिए तैयार कर देते हैं.
(बीबीसी से साभार)

No comments:

Post a Comment