Thursday 27 November 2014

मेरे पास, उनके पास / जयप्रकाश त्रिपाठी

('जग के सब दुखियारे रस्ते मेरे हैं' संकलन से)

जो है, क्या-क्या है,
जो नहीं है, क्या नहीं है,
मेरे पास, उनके पास...।

सब चेहरे, सब खुशियां, सब सुबहें उनके वश में,
उजियारे, रंग सारे, उनके मन में, उनके रस में,
जो वहां है, सब नया है,
जो भी है, सब वहीं है,
उनके पास, उनके पास...।

सब कर्ज-कर्ज किस्से, सब दर्द-दर्द लम्हे,
जले सर्द-सर्द चेहरे, जो बुझे-से, मेरे हिस्से,
मेरे नाम सब उधारी,
कई खाते हैं, बही है,
मेरे पास, मेरे पास...।

सुख कितना, और कितना, जो लूटे नहीं जाते,
दुख कितना, और कितना, हमको बहुत सताते,
जो है, बड़ा-बड़ा है,
जो गलत है, जो सही है,
मेरे पास, उनके पास...।
जो है, क्या-क्या है, जो नहीं है, क्या नहीं है,
मेरे पास, उनके पास...।

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