Friday 17 January 2014

बद्रीनारायण


दगा है उड़ना
धोखा है उड़ना
कोई कहे -
छल है, कपट है उड़ना
पर मेरे सुग्गे, तुम उड़ना
तुम उड़ना
पिंजड़ा हिला
सोने की कटोरी गिरा
अनार के दाने छींट
धूप में करके छेद
हवाओं की सिकड़ी बजा
मेरे सुग्गे, तुम उड़ना।

No comments:

Post a Comment