Sunday 7 July 2013

बेर्टोल्ट ब्रेष्ट की नन्ही-नन्ही कहानियां



ब्रेष्ट को मूलत: नाटककार और कवि के रूप में जाना जाता है, पर उनकी इन छोटी कहानियों में व्यंग्य और नीति कथा-तत्व का भी प्रभाव बेहद काव्यात्मक है। इन कहानियों का मूल जर्मन से अनुवाद मोहन थपलियाल ने किया है।

महाशय 'क' की कहानियां
1. 'क' महाशय का मनपसंद जानवर
महाशय 'क' से जब पूछा गया कि उनका मनपसंद जानवर कौन है, तो उन्होंने हाथी का नाम लिया और उसकी उपयोगिता साबित करते हुए कहा- हाथी में ताकत और चतुराई दोनों हैं। ऐसी दयनीय किस्म की चतुराई नहीं, जो किसी अत्याचार से बचने या भोजन छीनने के लिए काफी हो, बल्कि ऐसी चतुराई जिसके जरिए वह बड़ा से बड़ा काम करने में समर्थ है। जहां कहीं यह जानवर पाया जाता है, वहां अपने पैरों की भारी छाप छोड़ जाता है।
इसके अलावा, हाथी विनोदी और भले स्वभाव का भी होता है। जितना अच्छा दोस्त है, उतना ही अच्छा दुश्मन भी। भारी-भरकम शरीर का होते हुए भी वह खासा तेज है। उसकी सूंड़ भी इतने भारी शरीर को छोटी से छोटी चीज खाने के लिए पहुंचा देती है - बादाम तक भी। उसके कानों की यह खूबी है कि केवल वही सुनते हैं, जो उन्हें भाता है। लंबी उम्र जीता है। मिलनसार है और महज हाथियों तक ही नहीं... सभी उसे प्यार करते हैं।
अचरज की बात यह है कि उसकी पूजा भी होती है। इतनी मोटी चमड़ी का है कि चाकू भी टूट जाए, लेकिन उसकी भावनाएं बहुत कोमल हैं। वह उदास हो सकता है और गुस्सा भी। मस्ती से नाचता है और मरना बीहड़ों में पसंद करता है। बच्चों और दूसरे छोटे जानवरों को वह खूब प्यार करता है। दिखने में भूरा है, लेकिन अपने मांसल शरीर से दूसरों का ध्यान बरबस खींच लेता है। खाए जाने के यह काबिल नहीं होता है, पर काम यह बेहतर कर सकता है। मस्ती से पीता है और मस्त रहता है। कला के लिए भी यह थोड़ा बहुत करता है - हाथीदांत यही देता है।
2. मुलाकात
एक आदमी, जिसने 'क' महाशय को काफी लंबे अर्से से नहीं देखा था, मिलने पर उनसे कहा, 'आप तो बिल्कुल भी नहीं बदले।' 'अच्छा।' महाशय 'क' ने कहा और पीले पड़ गए।
3. इंतजार
'क' महाशय ने किसी चीज का इंतजार एक दिन तक किया, फिर एक हफ्ते और फिर पूरे महीने भर। अंत में उन्होंने कहा, 'एक महीने का इंतजार मैं बखूबी कर सकता था, लेकिन इन दिनों और हफ्तों का नहीं।'
4. कामयाबी
महाशय 'क' ने रास्ते से गुजरती हुई एक अभिनेत्री को देखकर कहा, 'काफी खूबसूरत है यह।' उनके साथी ने कहा, 'इसे हाल में कामयाबी मिली है, क्योंकि वह खूबसूरत है।' 'क' महाशय खीझकर बोले, 'वह खूबसूरत है क्योंकि उसे कामयाबी हासिल हो चुकी है।'
5. महाशय 'क' जब किसी को प्यार करते
महाशय 'क' से पूछा गया - जब आप किसी आदमी को प्यार करते हैं, तब क्या करते हैं? उनका जवाब था - मैं उस आदमी का एक खाका बनाता हूं और फिर इस फिक्र में रहता हूं कि वह हू-ब-हू उसी के जैसा बने। कौन... वह खाका? नहीं, महाशय 'क' ने जवाब दिया - वह आदमी।

महाशय 'ब' की कहानियां
1. विरक्ति-प्रभाव
महाशय 'क' के एक सयाने मित्र ने उनसे पूछा कि अपने इर्द-गिर्द उन्होंने ढेर सारे बेवकूफ क्यों इकट्ठा किए हुए हैं। महाशय 'ब' ने उपेक्षित भाव से जवाब दिया - 'सर्वथा अनुपयोगी कुछ भी नहीं होता। सिर्फ यह देखना जरूरी है कि उस चीज का उपयोग कैसे किया जाए।
'कुछ रुककर महाशय 'ब' आगे बोले, 'मेरे एक परिचित थे - दार्शनिक कार्ल क्राउस (1874-1936)। वह अपने स्टडी रूम में पानी का नल खुला छोड़ देते थे। पानी की कलकल में गली का बेतहाशा शोर दब जाता था। मेरे लिए इसी तरह की कलकल, ये बेवकूफ हैं।

2. विषय ज्ञान
महाशय 'ब' स्टेज कारीगरों, मिस्त्रियों और ड्राइवरों के साथ हंस-बोलकर बातचीत करते थे। इन लोगों के साथ बातचीत के दौरान उन्हें अक्सर ऐसे सवालों का जवाब देना पड़ता था, जिनसे अन्यथा उनका सामना नहीं हो सकता था। एक कारीगर का सवाल था - 'मौत कैसे आती होगी?''
आप जानते हैं,' महाशय 'ब' बोले, 'जीवन के साथ कुछ ऐसा है - हृदय के कपाट खुलते हैं और बंद होते हैं, फिर खुलते हैं और बंद होते हैं और एक दिन हठात फिर ये कपाट नहीं खुलते।'

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