Thursday 22 September 2016

बंद करो तकरार/जयप्रकाश त्रिपाठी

ठगा विश्व-बंधुत्व है, अदभुत युद्धम-युद्ध।
बड़े-बड़ों में फिर कलह, बच्चा-बच्चा क्रुद्ध।
किसके दिल में प्यार है, किसके दिल में खोट,
सच सबको मालूम है, मत कर खुद पर चोट।
छिपकर सीमा पार से क्यों करते हो वार,
तहस-नहस हो जाओगे, बंद करो तकरार ।
घर की भूंजी भांग का लगा रहे हो रेट,
बम, गोला, बारूद से भरता किसका पेट।
अपने घर का हाल भी रहा नहीं अनुकूल,
कृपया ऐसे वक्त में बकें न ऊल-जुलूल।
मानवता के दुश्मनों ! भरो न यूं हुंकार,
खून-खून हो जाएगा यह सुंदर संसार।

1 comment:

  1. खून खून हो जायेगा, यह सुन्दर संसार।.....
    वाह! बहुत सुंदर!!!

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