Monday 15 December 2014

हमेशा देर कर देता हूँ मैं / मुनीर नियाज़ी


ज़रूरी बात कहनी हो, कोई वादा निभाना हो
उसे आवाज़ देनी हो, उसे वापस बुलाना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं।
मदद करनी हो उसकी, यार का धाढ़स बंधाना हो
बहुत देरीना रास्तों पर किसी से मिलने जाना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं।
बदलते मौसमों की सैर में दिल को लगाना हो
किसी को याद रखना हो किसी को भूल जाना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं ।

किसी को मौत से पहले, किसी ग़म से बचाना हो
हक़ीक़त और थी कुछ, उस को जा के ये बताना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं .....

No comments:

Post a Comment