Thursday 18 September 2014

वृन्दावन की विधवाएं, आराधना के महाप्रयाण पर सूखे कंकालों-सी निष्प्राण, ख़ानाबदोश-सी, कुकुरमुत्तों से उगते भजनाश्रमों के बीच, स्वर्णिम चौखटों पर मुक्ति की प्यास लिए भूखी-प्यासी पीड़ा से बदहवास, ढाई सेर चावल की भूखलीला, आठों पहर मंजीरे पीटते हाथ, हाल ही में उन्होंने सात रेसकोर्स स्थित प्रधानमंत्री आवास पर नरेन्द्र मोदी को बांधी थी राखी । और उस नेत्री-अभिनेत्री ने कहा - 'बंगाल-बिहार की विधवाओं को वृंदावन आकर भीड़ नहीं बढ़ानी चाहिए, बैंक बैलेंस के बावजूद वे भीख मांगती हैं ।' और कहती हैं मोहिनी गिरी - 'हजारों विधवाओं की उम्मीदें तोड़ दीं हेमा ने, बेहद असंवेदनशील बयान, क्या विधवाओं की गरिमा नहीं होती, महिला होकर भी विधवाओं का दर्द नहीं जाना, मैंने उन्हें तीन पत्र लिखे, टका-सा जवाब
दिया, मेरे पीए से बात करो....'

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