Friday 22 August 2014

धारा के विरुद्ध तैरो : अनंतमूर्ति

ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात कन्नड़ लेखक डॉ. उडुपी राजगोपालाचार्य
अनंतमूर्ति ने कहा था कि यदि गुजरात के मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री बने तो लोगों में भय का संचार होगा। भारत में अभिव्यक्ति की आजादी पर खतरा बढ़ जाएगा । देश में असहिष्णुता बढ़ेगी। भारत को एक मजबूत और शक्तिशाली राष्ट्र बनाने का ईमानदार प्रयास भी खतरे से भरा है। शक्तिशाली को सैन्य शक्ति, तकनीकी शक्ति, आर्थिक शक्ति आदि के रूप में ही परिभाषित किया जाता है लेकिन भारत को शक्तिशाली नहीं, लचीला राष्ट्र बनने की जरूरत है। भारत एक अलग किस्म की सभ्यता है। इसी तरह जब विकास की बात की जाती है तो उसका मतलब होता है कि बाघों के लिए कोई जगह नहीं होगी, अनगिनत भाषाओं के लिए कोई जगह नहीं होगी, अलग-अलग तरह के खान-पान के लिए कोई जगह नहीं होगी क्योंकि विभिन्न तरह के भोजन को मार्केट नहीं किया जा सकेगा। भारत विविधता वाला देश है। नरेंद्र मोदी के साथ समस्या यह है कि उनके पास आंतरिक जीवन नहीं है। यह भी एक तरह का खतरा है। मैं ऐसे देश में नहीं रहना चाहता, जहां मोदी प्रधानमंत्री हों।
उन्होंने कहा था कि हमारी क्षेत्रीय भाषाओं में रचा जाने वाला साहित्य अंग्रेजी में रचे जाने वाले साहित्य से बहुत भिन्न है। हम लोग लगातार समाज और संस्कृति के सवालों से जुड़े रहते हैं और जूझते रहते हैं। सिर्फ भारतीय भाषाओं में ही दलित साहित्य का या महिला लेखन का आंदोलन है। मेरा मानना है कि प्रत्येक संस्कृति का एक फ्रंटयार्ड और एक बैकयार्ड होता है। क्षेत्रीय भाषाएं हमारा बैकयार्ड हैं और वह बहुत समृद्ध है। जवाहरलाल नेहरू ने साहित्य अकादमी की स्थापना इसीलिए की थी ताकि सभी भारतीय भाषाओं को राष्ट्रीय भाषाओं का दर्जा प्राप्त हो। जब मैं अकादमी का अध्यक्ष था, तो कई आदिवासी भाषाएं भी साहित्य अकादमी की सूची में शामिल की गई थीं। हमारे देश में अंग्रेजी में कुछ बहुत अच्छी चीजें लिखी गई हैं लेकिन हमारी अपनी भारतीय भाषाओं में भी बहुत ही अच्छा साहित्य रचा जा रहा है। इसलिए अंग्रेजी का ऐसा कोई खास असर नहीं है। इतना जरूर है कि अब हर लेखक चाहता है कि उसका अंग्रेजी में अनुवाद हो।
उन्होंने कहा था कि धारा के विरुद्ध तैरो। सभी महान लेखकों ने यह किया है। काफ्का, कामू....किसी को भी ले लीजिये। वे सभी धारा के विरुद्ध तैरे. अंग्रेजी के रोमांटिक कवियों को देखिये। ब्लैक औद्योगिक क्रांति के बहुत बड़े आलोचक थे हालांकि यह क्रांति पश्चिमी सभ्यता के लिए सभी कुछ ला रही थी लेकिन ब्लैक इसके खिलाफ थे। वह इसके साथ जुड़ी क्रूरता और हिंसा के साक्षी थे और उन्होंने अपने विरोध को अभिव्यक्ति दी वर्ना औद्योगिक क्रांति तो बहुत बड़ी चीज थी।

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