हट कर विकृत सेक्स व्यवहार का प्रदर्शन करने लगता है। वैसे, प्रसिद्ध सेक्स मनोवैज्ञानिक हैवलाक एलिस का कहना है कि मनुष्य के सेक्स व्यवहार का कोई बना-बनाया ढांचा नहीं है। सेक्स क्रिया आनंद प्राप्ति का एक साधन है, लेकिन विकृत सेक्स व्यवहार समाज में सेक्स अपराधों को बढ़ावा देने लगता है। पीडोफीलिया - यह एक बहुत ही सीरियस और खतरनाक सेक्स विकृति है। इससे ग्रस्त लोग कम उम्र के लड़के-लड़कियों को अपना शिकार बनाते हैं। बहुत से परवर्ट तो छ: माह से ले कर साल-दो साल के शिशुओं के साथ बलात्कार कर उनकी हत्या कर डालते हैं। इस तरह की खबरें लगातार मीडिया में आती रहती हैं। दुनिया भर में न जाने कितने रेपिस्ट और सीरियल किलर हो चुके हैं जिन्होंने मासूम बच्चियों को हवस का शिकार बनाया है। पीडोफील पांच से ले कर आठ-दस साल के बच्चों के साथ भी सेक्स संबंध बनाते हैं। हमारे देश में वेस्टर्न कंट्रीज से काफी संख्या में ऐसे टूरिस्ट आते हैं जो पीडोफील होते हैं। इनकी विकृत कामवासना को पूरा करने के लिए चाइल्ड सेक्स का एक संगठित कॉमर्शियल नेटवर्क बन गया है। पीडोफील चाइल्ड पोर्न देख कर भी आनंद प्राप्त करते हैं। दुनिया भर में चाइल्ड पोर्न प्रतिबंधित है, पर इसका अंडरवर्ल्ड मार्केट बढ़ता ही जा रहा है। सैडिज्म - मार्क्विस द साद (1740-1814) के उपन्यासों में वर्णित कथानकों के आधार पर इस सेक्स विकृति का नाम पड़ा। इससे पीड़ित लोग सेक्स करने के पहले अपने पार्टनर को शारीरिक कष्ट पहुंचाते हैं, बेल्ट से पीटते हैं, यहां तक कि हाथ-पैरों को बांध कर मुंह पर पट्टी भी लगा देते हैं। सेक्स करने के दौरान पीड़ा से बिलबिलाती औरत को देखने से इन्हें काफी संतुष्टि मिलती है। कई तो अपनी प्रेमिकाओं को घायल तक कर डालते हैं। उपन्यासकार लूसियन ने लिखा है, ''जिसने अपनी प्रेमिका पर मुक्कों की बौछार नहीं की और उसके बालों और कपड़ों को नहीं फाड़ा, वह प्रेमी क्या खाक है?'' हैवलाक एलिस ने 'सेक्स का मनोविज्ञान' में रीडेल नामक युवक का उल्लेख किया है जिसने समलैंगिक सेक्स के दौरान एक लड़के की हत्या कर दी थी। यूरोप में हत्यारा जैक कुख्यात था जिसने न जाने कितनी महिलाओं की हत्या सेक्स करने के दौरान कर दी। लोलिता सिंड्रोम - इस शब्द का इस्तेमाल उन लोगों की सेक्स विकृति की पहचान के लिए किया जाता है जो प्रौढ़ होने के बावजूद किशोर लड़कियों के प्रति आकर्षण महसूस करते हैं और उनके साथ सेक्स संबंध बनाने के लिए किसी भी हद तक चले जाते हैं। यह नाम प्रसिद्ध रूसी उपन्यासकार व्लादीमीर नाबाकोव के अंग्रेजी में लिखे विश्व प्रसिद्ध उपन्यास 'लोलिता' से लिया गया है जिसका मुख्य पात्र किशोर होती नायिका के प्रति आवेगपूर्ण आकर्षण में बंधा है और आखिरकार उसके साथ लगातार सेक्स संबंध बनाने में सफल रहता है। हमारे देश में इसका चर्चित उदाहरण एसपीएस राठौड़ द्वारा उभरती टेनिस खिलाड़ी रुचिका गेहरोत्रा के साथ लगातार छेड़छाड़, सेक्स संबंध बनाने के लिए दबाव और इससे इनकार करने पर उसके इस हद तक मानसिक उत्पीड़न में मिला कि आखिरकार परेशान हो कर रुचिका ने आत्महत्या कर ली। राठौड़ जब रुचिका का यौन उत्पीड़न कर रहे थे, उस वक्त हरियाणा के डीजीपी थे। लोलिता सिंड्रोम से ग्रस्त लोग अपने शिकार को फांसने के लिए बाकायदा पूरी योजना बनाते हैं और अपनी फैंटेसी को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक चले जाते हैं। जानवरों के साथ सेक्स - जानवरों के साथ सेक्स करने की खबरें समय-समय पर आती रहती हैं। अक्सर बकरियों, बछड़ियों, भेड़ों आदि के साथ सेक्स करते लोगों को पाया जाता है। खजुराहो में भी ऐसे भित्तिचित्र मिले हैं जो इस बात को प्रमाणित करते हैं कि प्राचीन काल में भी जानवरों के साथ सेक्स किया जाता था। 'सेक्स का मनोविज्ञान' में हैवलॉक एलिस लिखते हैं कि सुअरनी के साथ सेक्स करने के मामले में जब एक जर्मन किसान को पकड़ गया तो उसने मैजिस्ट्रेट से साफ कहा कि पत्नी काफी समय से बाहर गई हुई है, इसलिए अपनी सुअरनी का उपयोग किया। औरतों द्वारा भी जानवरों के साथ सेक्स करने के अनेकों उदाहरण मिलते हैं। एलिस लिखते हैं, ''सेक्स के लिए मुर्गियों, बत्तखों और विशेषकर चीन में हंसनियों का प्रयोग भी असाधारण नहीं है।'' जानवरों के साथ सेक्स करने में संक्रमण और गंभीर यौन रोगों के होने का खतरा रहता है, साथ ही यह पशुओं के प्रति एक क्रूर अपराध भी है। वैसे, जानवरों के साथ सेक्स के मामले ज्यादातर देहातों में पाये गये हैं। शव के साथ सेक्स - सेक्स विकृतियों में यह सबसे गंभीर है। इस विकृति से पीड़ित व्यक्ति शवों के प्रति गजब का सेक्स आकर्षण महसूस करता है। यद्यपि यह प्रवृत्ति आमफहम नहीं है, पर है बड़ी खतरनाक। इससे ग्रस्त व्यक्ति पहले लड़की अथवा औरत की हत्या करता है और फिर शव के साथ सेक्स संबंध बनाता है। दिसंबर, 2006 में सामने आये नोएडा का कुख्यात निठारी कांड इसका एक उदाहरण है। इस कांड के मुख्य अभियुक्त पंधेर का नौकर सुरेन्द्र कोली निठारी गांव की कम उम्र लड़कियों को बहला-फुसला कर कोठी में लाता था और नाक-मुंह बंद कर उनकी हत्या करने के बाद शव के साथ सेक्स करता था। यह उसने स्वीकार भी किया है। यही नहीं, शिकार लड़कियों का मांस पका कर भी वह खाता था। शव-मैथुन की परंपरा काफी पुरानी मानी जाती है, क्योंकि तंत्र-साधना में यह अनिवार्य है।
Friday, 5 July 2013
दुनिया को झकझोर देने वाले पांच खतरनाक सेक्स डिसऑर्डर!
हट कर विकृत सेक्स व्यवहार का प्रदर्शन करने लगता है। वैसे, प्रसिद्ध सेक्स मनोवैज्ञानिक हैवलाक एलिस का कहना है कि मनुष्य के सेक्स व्यवहार का कोई बना-बनाया ढांचा नहीं है। सेक्स क्रिया आनंद प्राप्ति का एक साधन है, लेकिन विकृत सेक्स व्यवहार समाज में सेक्स अपराधों को बढ़ावा देने लगता है। पीडोफीलिया - यह एक बहुत ही सीरियस और खतरनाक सेक्स विकृति है। इससे ग्रस्त लोग कम उम्र के लड़के-लड़कियों को अपना शिकार बनाते हैं। बहुत से परवर्ट तो छ: माह से ले कर साल-दो साल के शिशुओं के साथ बलात्कार कर उनकी हत्या कर डालते हैं। इस तरह की खबरें लगातार मीडिया में आती रहती हैं। दुनिया भर में न जाने कितने रेपिस्ट और सीरियल किलर हो चुके हैं जिन्होंने मासूम बच्चियों को हवस का शिकार बनाया है। पीडोफील पांच से ले कर आठ-दस साल के बच्चों के साथ भी सेक्स संबंध बनाते हैं। हमारे देश में वेस्टर्न कंट्रीज से काफी संख्या में ऐसे टूरिस्ट आते हैं जो पीडोफील होते हैं। इनकी विकृत कामवासना को पूरा करने के लिए चाइल्ड सेक्स का एक संगठित कॉमर्शियल नेटवर्क बन गया है। पीडोफील चाइल्ड पोर्न देख कर भी आनंद प्राप्त करते हैं। दुनिया भर में चाइल्ड पोर्न प्रतिबंधित है, पर इसका अंडरवर्ल्ड मार्केट बढ़ता ही जा रहा है। सैडिज्म - मार्क्विस द साद (1740-1814) के उपन्यासों में वर्णित कथानकों के आधार पर इस सेक्स विकृति का नाम पड़ा। इससे पीड़ित लोग सेक्स करने के पहले अपने पार्टनर को शारीरिक कष्ट पहुंचाते हैं, बेल्ट से पीटते हैं, यहां तक कि हाथ-पैरों को बांध कर मुंह पर पट्टी भी लगा देते हैं। सेक्स करने के दौरान पीड़ा से बिलबिलाती औरत को देखने से इन्हें काफी संतुष्टि मिलती है। कई तो अपनी प्रेमिकाओं को घायल तक कर डालते हैं। उपन्यासकार लूसियन ने लिखा है, ''जिसने अपनी प्रेमिका पर मुक्कों की बौछार नहीं की और उसके बालों और कपड़ों को नहीं फाड़ा, वह प्रेमी क्या खाक है?'' हैवलाक एलिस ने 'सेक्स का मनोविज्ञान' में रीडेल नामक युवक का उल्लेख किया है जिसने समलैंगिक सेक्स के दौरान एक लड़के की हत्या कर दी थी। यूरोप में हत्यारा जैक कुख्यात था जिसने न जाने कितनी महिलाओं की हत्या सेक्स करने के दौरान कर दी। लोलिता सिंड्रोम - इस शब्द का इस्तेमाल उन लोगों की सेक्स विकृति की पहचान के लिए किया जाता है जो प्रौढ़ होने के बावजूद किशोर लड़कियों के प्रति आकर्षण महसूस करते हैं और उनके साथ सेक्स संबंध बनाने के लिए किसी भी हद तक चले जाते हैं। यह नाम प्रसिद्ध रूसी उपन्यासकार व्लादीमीर नाबाकोव के अंग्रेजी में लिखे विश्व प्रसिद्ध उपन्यास 'लोलिता' से लिया गया है जिसका मुख्य पात्र किशोर होती नायिका के प्रति आवेगपूर्ण आकर्षण में बंधा है और आखिरकार उसके साथ लगातार सेक्स संबंध बनाने में सफल रहता है। हमारे देश में इसका चर्चित उदाहरण एसपीएस राठौड़ द्वारा उभरती टेनिस खिलाड़ी रुचिका गेहरोत्रा के साथ लगातार छेड़छाड़, सेक्स संबंध बनाने के लिए दबाव और इससे इनकार करने पर उसके इस हद तक मानसिक उत्पीड़न में मिला कि आखिरकार परेशान हो कर रुचिका ने आत्महत्या कर ली। राठौड़ जब रुचिका का यौन उत्पीड़न कर रहे थे, उस वक्त हरियाणा के डीजीपी थे। लोलिता सिंड्रोम से ग्रस्त लोग अपने शिकार को फांसने के लिए बाकायदा पूरी योजना बनाते हैं और अपनी फैंटेसी को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक चले जाते हैं। जानवरों के साथ सेक्स - जानवरों के साथ सेक्स करने की खबरें समय-समय पर आती रहती हैं। अक्सर बकरियों, बछड़ियों, भेड़ों आदि के साथ सेक्स करते लोगों को पाया जाता है। खजुराहो में भी ऐसे भित्तिचित्र मिले हैं जो इस बात को प्रमाणित करते हैं कि प्राचीन काल में भी जानवरों के साथ सेक्स किया जाता था। 'सेक्स का मनोविज्ञान' में हैवलॉक एलिस लिखते हैं कि सुअरनी के साथ सेक्स करने के मामले में जब एक जर्मन किसान को पकड़ गया तो उसने मैजिस्ट्रेट से साफ कहा कि पत्नी काफी समय से बाहर गई हुई है, इसलिए अपनी सुअरनी का उपयोग किया। औरतों द्वारा भी जानवरों के साथ सेक्स करने के अनेकों उदाहरण मिलते हैं। एलिस लिखते हैं, ''सेक्स के लिए मुर्गियों, बत्तखों और विशेषकर चीन में हंसनियों का प्रयोग भी असाधारण नहीं है।'' जानवरों के साथ सेक्स करने में संक्रमण और गंभीर यौन रोगों के होने का खतरा रहता है, साथ ही यह पशुओं के प्रति एक क्रूर अपराध भी है। वैसे, जानवरों के साथ सेक्स के मामले ज्यादातर देहातों में पाये गये हैं। शव के साथ सेक्स - सेक्स विकृतियों में यह सबसे गंभीर है। इस विकृति से पीड़ित व्यक्ति शवों के प्रति गजब का सेक्स आकर्षण महसूस करता है। यद्यपि यह प्रवृत्ति आमफहम नहीं है, पर है बड़ी खतरनाक। इससे ग्रस्त व्यक्ति पहले लड़की अथवा औरत की हत्या करता है और फिर शव के साथ सेक्स संबंध बनाता है। दिसंबर, 2006 में सामने आये नोएडा का कुख्यात निठारी कांड इसका एक उदाहरण है। इस कांड के मुख्य अभियुक्त पंधेर का नौकर सुरेन्द्र कोली निठारी गांव की कम उम्र लड़कियों को बहला-फुसला कर कोठी में लाता था और नाक-मुंह बंद कर उनकी हत्या करने के बाद शव के साथ सेक्स करता था। यह उसने स्वीकार भी किया है। यही नहीं, शिकार लड़कियों का मांस पका कर भी वह खाता था। शव-मैथुन की परंपरा काफी पुरानी मानी जाती है, क्योंकि तंत्र-साधना में यह अनिवार्य है।
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