Friday 5 July 2013

अपनी किताब प्रकाशित कराने के 4 तरीके


हॉर्वर्ड सिनकोटा

प्रिंट हो सकता है धीरे-धीरे लुप्त होने लगे लेकिन किताबें रहेंगीं। यहां चार लेखक हैं, चार किताबें हैं- और उनके किताबों को प्रकाशित कराने के तरीके एक-दूसरे से काफी अलग हैं।
किसी भी क्रांति में पहली समस्या यह पहचान करने में होती है कि आप उसके बीच से गुजर रहे हैं। दूसरी समस्या यह पता लगाने की होती है कि चीज़ें किस स्वरूप में पहुचेंगीं। कौन जीतेगा, कौन हारेगा और इस नई साहसिक दुनिया में आप किस तरह खुद को संचालित करेंगे।
फिलहाल पुस्तक उद्योग से जुड़े हुए सभी लोग, लेखक, प्रकाशक, एजेंट और विक्रेता ये महसूस कर रहे हैं कि इस उद्योग में एक प्रभावी और जोरदार क्रांति आ चुकी है जो साहित्य के संसार को बहुत तेजी से बदल रही है। लेकिन किताबों के भविष्य के संसार और आगे आने वाले समय में पढ़ने की प्रकृति के बारे में अस्पष्टता है।
हालांकि इस क्रांति का स्रोत कोई रहस्य नहीं हैः इसके पीछे है इलेक्ट्रॉनिक बुक या ई-बुक का उदय। और अमेरिका में खासकर रिटेलर अमेज़न की बढ़ती लोकप्रियता।
न्यू यॉर्क निवासी प्रकाशन सलाहकार माइक शेट्जकिन का मानना है, ‘‘यहां से पीछे लौटने का कोई रास्ता नहीं है। चाहे आप ई बुक्स को डाउनलोड करें या प्रिंट किताबों के लिए ऑनलाइन ऑर्डर दें।’’
उनका अनुमान है कि ई बुक साहित्य और गैरसाहित्य श्रेणी में अगले कुछ सालों में अमेरिकी बाजार के पचास फीसदी हिस्से पर कब्जा कर लेगी और एक दशक में 70 फीसदी पर।
पारंपरिक प्रकाशकों के लिए यह बदतर समय हो सकता है। इस समय उन्हें ई बुक्स, ऑनलाइन पब्लिकेशन, सोशल मीडिया, किताबों के स्वयं प्रकाशन और प्रिंट ऑन डिमांड के विकल्पों के नए अनोखे और बेमिसाल संसार का सामना करना पड़ रहा है। पर यह समय लेखकों के लिए सर्वश्रेष्ठ हो सकता है, जिनके सामने परंपरागत प्रकाशन और इंटरनेट पर अपने लेखन या किताबों को प्रकाशित करने की असीम संभावनाएं बिखरी हुई हैं।
यहां हम चार युवा लेखकों का जिक्र करेंगे, जिन्होंने अपनी किताबों को लोगों तक पहुंचाने के अलग-अलग तरीके अपनाए। किसी ने अपनी किताब न्यू यॉर्क के बड़े प्रकाशक से छपवाई, किसी ने किताबों को छापने के लिए प्रेस लगवाई, किसी ने ग्राफिक उपन्यास के रूप में अपनी किताब को प्रकाशित किया और किसी ने ई बुक्स के माध्यम से किताबों को स्वयं छापा।
स्वतंत्र प्रेस
पाल हार्डिंग ने अपना उपन्यास ‘‘टिंकर्स’’ किस तरह छपवाया, यह बात उतनी ही नाटकीय है जितना कि उनका उपन्यास। हार्डिंग के उपन्यास की कहानी एक पिता और उसके बेटे की दास्तां बयान करती है। यह मेन के किसी ग्रामीण इलाके की पृष्ठभूमि में लिखी गई है। यह शानदार गद्यात्मक शैली का एक नमूना है। छोटी स्वतंत्र प्रेस से छपी टिंकर्स 30 सालों में पहली ऐसी किताब है जिसे पुलित्ज़र पुरस्कार मिलने का गौरव प्राप्त हुआ है। किसी भी युग में किताब के दीवाने किसी शानदार किताब को खोज कर उसे कैसे प्रमोट करते हैं, यह उसका एक बेमिसाल उदाहरण है।
हॉर्डिंग रॉकबैंड कोल्ड वाटर फ्लैट में ड्रमर के रूप में भी काम कर चुके हैं और वो आयोवा राइटर्स वर्कशॉप से ग्रेजुएट हैं। मृत्युशैय्या पर लेटे हुए जॉर्ज क्रॉसबी के संस्मरणों के सहारे अपनी कहानी कहने के लिए उन्होंने अपने पारिवारिक इतिहास की मदद ली। उपन्यास का पात्र जॉर्ज अपने परिवार से बेहद प्यार करता है। उसका पेशा पुरानी घडि़यों की मरम्मत करना है। टिंकर्स की कहानी जॉर्ज के पिता हॉर्वर्ड की कहानी भी बयान करती है जो गांव में पुरानी वस्तुओं की मरम्मत कर या घरेलू सामान बेच कर अपने परिवार का पेट पालते थे। हॉर्वर्ड को मिर्गी के दौरे आते हैं और उनकी पत्नी इससे डर जाती है। इसी वजह से जॉर्ज को अपना परिवार छोड़ना पड़ता है। पिता के न होने से जॉर्ज को जिंदगी में काफी नुकसान झेलना पड़ता है।
हार्डिंग अपनी पारवारिक पृष्ठभूमि से जुड़े कुछ तथ्य ही जानते थे। साहित्यिक ब्लॉग स्लट में वह इस बात का खुलासा करते हैं। ‘‘मेरे ग्रांडपैरेंट्स को मैं इस बारे में चर्चा के लिए तैयार नहीं कर पाया।’’ उनके अनुसार, ‘‘मैंने इस बारे में सोचकर इसे एक दंतकथा में बदल डाला।’’
पहलेपहल तो प्रकाशकों ने ‘‘टिंकर’’ को खारिज कर दिया। तीन साल बाद बेलेव्यू लिटरेरी प्रेस के निदेशक एरिका गोल्डमैन की नजर उपन्यास पर पड़ी। बेलेव्यू प्रेस न्यू यॉर्क यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडीसिन का एक हिस्सा थी। बेलेव्यू प्रेस आमतौर पर एक साल में आठ किताबें छापती थी जिसमें से दो कथासाहित्य से संबंधित होती थीं।
गोल्डमैन कहते हैं, ‘‘हम बड़े प्रकाशकों से होड़ की स्थिति में नहीं हैं, इसलिए हमें साहित्यिक किताबों को छापने की उनकी प्रक्रिया पूरी होने का इंतजार करना पड़ता है। हमें ऐसी साहित्यिक कृतियों की तलाश होती है जिन्हें दूसरे ‘‘बेहद खामोश, कोई कथावस्तु नहीं’’ की तरह लेते हैं।’’
गोल्डमैन के अनुसार ‘‘टिंकर्स’’ को देखते ही तुरंत मुझे पता लगा गया कि यह कोई खास उपन्यास है जो साहित्यिक कल्पना का बेजोड़ नमूना है। लेकिन मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि ‘‘टिंकर्स’’ को पुलित्जर पुरस्कार मिल सकता है।
गोल्डमैन ने शुरु में इस किताब की 3,500 प्रतियां छापीं। सैन फ्रांसिस्को में किताबों को बेचने वाले एक प्रतिनिधि को इससे प्यार हो गया और जल्द ही स्वतंत्र पुस्तक विक्रेता और बुक क्लब इसे प्रमोट करने लगे। और इसे प्रमोट करने का तरीका था उस समय का सबसे प्रभावी तरीका एक-दूसरे को बताकर।
आखिर में इसकी ओर पुलित्जर कमेटी का ध्यान गया। जब इस उपन्यास को पुलित्जर पुरस्कार मिला तो किसी ने हार्डिंग को जानकारी नहीं दी। उन्हें उत्सुकता के चलते एक वेबसाइट को चेक करते समय यह जानकारी मिली। नेशनल पब्लिक रेडियो के साथ इंटरव्यू में उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यकीन ही नहीं हुआ कि उपन्यास ने पुलित्जर पुरस्कार जीता है। मैं पेज को रिफ्रेश करता रहा और वहां आता रहा टिंकर्स, टिंकर्स, टिंकर्स।’’
नामी प्रकाशक
हर साल ऐसे नए लेखकों की कई किताबें बाज़ार में आती हैं जो अपने पहले ही प्रयास में समीक्षकों की तारीफ बटोरने की कला तो जानते ही हैं, साथ ही बाज़ार में उनकी किताबें भी पहले ही प्रयास में बेस्ट सेलर का दर्जा पा जाती हैं। वर्ष 2011 में इसी तरह की किताबों में कैरेन रसेल का मनोरंजक और अभिनव शैली में लिखा गया उपन्यास ‘‘स्वैंपलैंडिया’’ बाजार में आया। इसकी कहानी घडि़यालों के एक खराब होते फार्म और एम्यूज़मेंट पार्क फ्लोरिडा एवरग्लेड्स की पृष्ठभूमि में लिखी गई। यह कहानी 13 साल की एवा की दास्तां बयान करती है। एवा की मां की मौत हो चुकी है। अपनी मां के निधन का शोक मनाते हुए उसे और भी चुनौतियों से दो-चार होना है। उसे अपने लाचार पिता के अलावा अपनी बहन की देखभाल तो करनी ही है, साथ ही उसे तमाम विचित्र किस्मों के पात्रों से भी जूझना है- इस सब के दौरान एवा के साथी होते हैं मगरमच्छ।
स्वैंपलैंडिया का प्रकाशन अल्फ्रेड ए नॉफ ने किया था जो छह नामी प्रकाशकों में से एक रैंडम हाउस का प्रतिष्ठित इंप्रिंट है। अन्य 6 बड़े प्रकाशकों में हैचेट बुक ग्रुप ( जिन्हें पहले टाइम वॉर्नर बुक्स के नाम से जाना जाता था), हार्पर कोलिंस, मैकमिलन, पैंग्विन ग्रुप और साइमन एंड शस्टर शामिल हैं।
३० साल के रसेल का जन्म फ्लोरिडा में हुआ था । उन्होंने न्यू यार्क सिटी की कोलंबिया यूनिवर्सिटी से क्रिएटिव राइटिंग में डिग्री हांसिल की थी । उनकी कहानियां कई साहितिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई जिसके बाद न्यू यार्क के प्रकाशकों और एजेंटों का ध्यान उनकी तरफ गया । 2006 में रसेल को अपने शानदार स्टोरी कलेक्शन " सेंट लूसीज होम फार गर्ल्स रेज्ड बाई वुल्फस" के लिए समीक्षकों की काफी सराहना भी मिली इस किताब की एक कहानी "एवा रेसल्स द एलीगेटर" ( एवा का मगरमच्छ से मुकाबला) स्वैंपलैंडिया की शुरुआत की तरह था ।
बुक ब्राउज के साथ ऑनलाइन इंटरव्यू में रसेल ने कहा, ‘‘दलदल में वाकई कुछ डरावना था।’’ उनका कहना है, ‘‘अगर आप कभी एवरग्लेड्स जाएं तो आप महसूस करेंगे कि आपने काल्पनिक और वास्तविक संसार में एकसाथ कदम रखा है। वास्तव में मैं एवरग्लेड्स की गजब की खूबसूरती को दिखाना चाहता था और इसके साथ यहां की बर्बादी को भी।
ग्राफिक उपन्यास
पहली नज़र में एक्शन से भरपूर ग्राफिक संस्मरण वाले उपन्यास ‘‘वियतनामेरिकाः ए ़फैमिलीज जर्नी’’ की शैली टिंकर्स के एकदम विपरीत है। हालांकि यह भी एक बेटे की अपने परिवार के इतिहास को समझने की ज़रूरत से रूबरू है। जिया बाओ या जी. बी. ट्रॉन वियतनाम मूल के अमेरिकी नागरिक हैं, जिनका जन्म उनके माता-पिता के वियतनाम छोड़ कर अमेरिका आने के एक साल बाद 1976 में हुआ था। अब वह एक कार्टूनिस्ट और इलस्ट्रेटर हैं और अपनी पत्नी और बेटी के साथ न्यू यॉर्क के ब्रुकलिन में रहते हैं।
बड़े होते समय ट्रॉन ने अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि में जाने का प्रतिरोध किया। हालांकि उन्होंने वर्ष 2001 में पहली बार वियतनाम की यात्रा की। एक दोस्त के जरिए उनकी मुलाकात साहित्यिक एजेंट से हुई जिसने उनसे उनकी कहानी जानने में दिलचस्पी जताई। ‘‘यदि आप एक कहानी और सुना सकें तो वह क्या होगी?’’ ट्रॉन को तुरंत आभास हो गया कि इसका जवाब उनके परिवार का वियतनाम से लेकर अमेरिका तक का सफर ही है।
अगले साल तक उन्होंने इसे ग्राफिक नॉवेल के रूप में प्रकाशित करने की तैयारी पूरी कर ली। इसके लिए उन्होंने ढेर सारे चित्र जुटाए और कहानी को अलग-अलग अध्यायों में बांट दिया। एजेंट ने इस किताब को रेंडम हाउस पब्लिकेशन के एक और इंप्रिंट विलॉर्ड को बेच दिया। हालांकि ट्रॉन ने ‘‘वियतनामेरिका’’ में ऐतिहासिक संदर्भ दिए हैं लेकिन उनका फोकस अपने परिवार पर ही रहा है।
ट्रॉन का कहना है, ‘‘मुझे कॉमिक्स की अनोखी भाषा से प्यार है। ग्राफिक बुक्स या कॉमिक्स शब्दों और चित्रों के पारस्परिक जुड़ाव से ही तस्वीरों के माध्यम से कहानी सुनाने में सक्षम होती हैं।’’
अपने अगले प्रोजेक्ट के लिए ट्रॉन को उम्मीद है कि वह अप्रवासन की थीम की गहराई से खोजबीन करेंगे। इसके लिए वह अपने कई कार्टूनिस्ट और ग्राफिक आर्टिस्ट दोस्तों से कहानियां एकत्र कर रहे हैं और जो अप्रवासी माता-पिता की संतान भी हैं।
अब कॉमिक बुक्स केवल बच्चों के लिए नहीं रह गई है। ‘‘वियतनामेरिका’’ जैसे ग्राफिक नॉवेल और कॉमिक्स और ‘‘सिन सिटी’’ के रचियता फ्रैंक मिलर और ‘‘सैंडमैन’’ सिरीज़ के लेखक नील गेमैन जैसे लोगों की पुस्तकों के बड़ी संख्या में वयस्क पाठक हैं। वर्ष 2011 में ग्राफिक उपन्यासों की बिक्री का आंकड़ा 37 करोड़ 50 लाख डॉलर तक जाने का अनुमान है।
ग्राफिक उपन्यासों के विषयों और ड्राइंग स्टाइल का दायरा काफी विस्तृत है लेकिन यह भी सच है कि इनके पारंपरिक अंदाज़ जैसे सुपर हीरोज़, साइंस फिक्शन, फैंटेसी और हॉरर पाठकों के बीच काफी लोकप्रिय हैं, विशेषकर जो हॉलीवुड की फिल्मों या टीवी शो से जुड़े हैं। वर्ष 2011 की बेस्ट सेलर में ‘‘बैटमैन एंड द जोंबीज ऑफ वॉकिंग डेड सिरीज़’’ शामिल है।
ई-बुक प्रकाशन
यहां दो बातें सच हैंः पहली, खुद प्रकाशित की गई काफी किताबें चाहे वे प्रिंट फॉर्म में हों या इलेक्ट्रॉनिक में, उनकी पहुंच केवल परिवार और मित्रों के एक छोटे दायरे तक ही सीमित होती है। दूसरी, यह कि डिजिटल पब्लिकेशन और ई-बुक्स से उन लेखकों को भी पाठकों के बड़े वर्ग तक पहुंचने का अवसर उपलब्ध है जिनकी किताबें अब तक अप्रकाशित हैं।
27 साल की अमैंडा हॉकिंग ने ई-बुक्स के प्रकाशन के क्षेत्र में आश्चर्यजनक सफलता पाई है। इससे पहले उनका नाम गुमनामी के अंधेरों में भटक रहा था और एक लेखक के रूप में सभी ने उन्हें खारिज़ कर दिया था। लेकिन अब उनकी किताबों का नाम हर किसी की बेस्ट सेलर लिस्ट में शामिल हैं।
बुक वेबसाइट गुड रीड्स पर हॉकिंग ने ‘‘द ट्राइलॅजी’’ को ‘‘नरपिशाचों के साथ पैरानॉमर्ल रोमांस’’ की असाधारण कहानी करार दिया गया है। हालांकि उनकी दूसरी बेस्ट सेलर सिरीज़ की किताबों माई ब्लड अप्रू व्स और मिथिकल साइरंस में भी वैंपायर हैं।
ईबुक्स की पहुंच अब समाज के बड़े वर्ग तक हो गई है क्योंकि नई पीढ़ी के ई- बुक्स डिवाइस जैसे अमेज़न के किंडल और बुक सेलर बार्न्स एंड नोबेल के नुक ने ई-बुक्स को डाउनलोड करना आसान बना दिया है। एपल के आई पैड और दूसरे पोर्टेबल डिवाइस की मदद से भी ई- बुक्स तक पहुंचा जा सकता है। स्वैंपलैंडिया और टिंकर्स दोनों ई-बुक्स के तौर पर उपलब्ध हैं लेकिन वियतनामेरिका उसकी सैकड़ों ड्राइंग के कारण ई-बुक के रूप में उपलब्ध नहीं है।
इसी के साथ लेखकों के पास भी अपनी पुस्तकों को प्रकाशित करने के ढेरों विकल्प मौजूद हैं, जैसे, अमेज़न का किंडल डायरेक्ट पब्लिशिंग और बार्न्स एंड नोबेल का प्यूबिट पब्लिशिंग है। इनसे इतर भी लेखकों के पास और सेवाएं चुनने के दज़र्नों विकल्प हैं, जैसे, स्मैशवर्ड्स, लूलू और स्क्रिब्ड जो लेखकों की पांडुलिपि को प्रिंट के लिए तो तैयार करते ही हैं, इसके अलावा ई-बुक्स पढ़ने वालों के लिए उसे फॉर्मेट भी करते हैं।
ई-बुक की मार्केटिंग के क्षेत्र में अमेज़न का ही बोलबाला है। प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक किसी भी तरह की ऑनलाइन किताब की बिक्री में अमेज़न को प्रमुख स्थान प्राप्त है।
मिनेसोटा निवासी हॉकिंग ने अपनी मेहनत और प्रभावशाली मार्केटिंग के दम पर उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। उनकी वेबसाइट पर पाठकों को लुभाने के लिए कई किताबों के अंश दिए गए हैं। इसके अलावा वीडियो क्लिप्स और पाठकों को अच्छी लेखन शैली के लिए भी गुर दिए हैं। ऑनलाइन पाठकों में बेहद लोकप्रिय एडल्ट फैंटेसी पुस्तकों का प्रकाशन भी हॉकिंग करती है। इसके अलावा रोमांस, रहस्य, साइंस फिक्शन और हॉरर शैली की किताबों का प्रकाशन भी हॉकिंग ने किया है।
साथ ही किताबों को न्यूनतम कीमत यानी 0.99 डॉलर से लेकर 2.99 डॉलर में भी उन्होंने अपनी किताबें बेची हैं।
जब हॉकिंग ने वर्ष 2010 में ऑनलाइन पब्लिशिंग का काम शुरू किया तो उनके पास हाथ से लिखी हुई काफी सामग्री या पांडुलिपियां थीं लेकिन जेब खाली थी। लेकिन हालात बदले। यू एस टुडे के अनुसार मई 2010 में हॉकिंग ने सैंकड़ों किताबें बेचीं तो जून 2010 में उनकी किताबों की बिक्री का आंकड़ा एक लाख चौंसठ हज़ार प्रतियों तक पहुंच गया। अनुमान के अनुसार दो साल में हॉकिंग ने 15 लाख किताबों की प्रतियां बेच डाली हैं जिनमें से आमतौर पर सभी ई-बुक्स ही थीं जिनसे उन्हें 25 लाख डॉलर तक की आय हुई। गार्जियन ने 2012 के प्रोफाइल में हॉकिंग की उपलब्धि का जिक्र कुछ इस तरह से किया है कि ‘‘न कोई बुक एजेंट, न पब्लिशिंग हाउस, न सेल्स फोर्स, न मार्केटिंग मैनेजर और न कोई बुक शॉप दिखाई दे रहा है।’’
हॉकिंग का अनुभव आम नहीं है लेकिन इस तरह की सफलता हासिल करने वाली वह अकेली लेखक नहीं हैं। हॉकिंग ने अब मुख्यधारा के प्रकाशक सेंट मार्टिन प्रेस के साथ समझौता किया है जो मैकमिलन का ही एक डिविजन है। इस समझौते से उनके कंधों पर किताबों की मार्केटिंग करने की जिम्मेदारी नहीं रहेगी और वह अपने पहले प्यार यानी लेखन की ओर लौट पाएंगीं।

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