Friday 10 August 2018

पत्रकारिता में सेटिंग-गेटिंग

हरिवंश राज्यसभा के उपसभापति हो गए हैं। साथी-संघाती खूब तालियां बजा रहे हैं..भूरि-भूरि प्रशंसाएं। कभी बैंकिंग सेक्टर छोड़कर पत्रकारिता में दाखिला, फिर सियासत की चाल-कुचाल उन्हे राजसत्ता के सिरहाने तक ले जा चुकी है। पत्रकार जब राजनेता हो जाए, वैसे ही तमाम बातें समझ में आ जाती हैं, फिर भी, कहा जाता है कि एमजे अकबर, अरुण शौरी आदि की तरह हरिवंश के लिए भी पत्रकारिता सेटिंग-गेटिंग का खेल रही है। एक वक्त में जब निर्मल बाबा के ख़िलाफ़ कैंपेन चला रहा था, हरिवंश दूसरे बाबाओं के महिमा गान पर अपने 'प्रभात खबर' अखबार में आधा-आधा पेज रंग रहे थे। ख्यात न्यायाधीश मार्कंडेय काट्जू ने जब बिहार में मीडिया पर नकेल कसने की बात कही तो 'प्रभात खबर' में संपादक हरिवंश ने पूरे दो पेज की काउंटर रिपोर्ट लिखी। लेख में नीतीश कुमार की भूरि-भूरि प्रशंसा थी और काट्जू की लानत-मलानत। 'प्रभात ख़बर' की मदर कंपनी ऊषा मार्टिन का नाम कोलगेट घोटाले में आने पर हरिवंश बार-बार तत्कालीन कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल से मिलने गए तो तरह-तरह के सवाल उठे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, सपा नेता मुलायम सिंह यादव, बसपा लीडर मायावती जैसे राजनेता जिस भी पत्रकार नुमा प्राणी की भूरि-भूरि प्रशंसा करें, जान लीजिए कि 'दाल में काला' नहीं, पूरी दाल काली होगी! वैसे तो हमारे देश में बारहो मास और भी तमाम धुरंधर पत्रकार, साहित्यकार सियासी पद-पुरस्कारों की मलाई सोखने के लिए दर-दर लुलुआते रहते हैं।