Friday, 5 July 2013

स्टॉप ड्रीमिंग, स्टार्ट डूइंग


क्रिस्टीना कर्टिस

दुनिया के मशहूर लीडरशिप कोच क्रिस्टीना कर्टिस ने अपनी बहुचर्चित पुस्तक स्टॉप ड्रीमिंग, स्टार्ट डूइंग में जोर देकर कहा है कि वर्क-प्लेस पर अपने मूड को ठीक रखना बेहद जरूरी होता है। इसमें उन्होंने यह भी कहा है कि मूड और सक्सेस एक-दूसरे के पूरक होते हैं। बिना मूड ठीक रखे, न तो हम अपना काम ठीक ढंग से कर सकते हैं और न ही कामयाबी की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।
अक्सर हमारा मूड हमारे ऊपर हावी हो जाता है। इससे रूटीन का काम प्रभावित होने लगता है। मूड का बनना या बिगड़ना कुछ देर के लिए तो ठीक हो सकता है, लेकिन मूड का असर अगर ज्यादा देर तक रहने लगे तो परेशानी शुरू हो जाती है। इसका सबसे बड़ा असर तो काम पर ही पड़ता है। अब अगर मूड ही खराब है, तो काम किस तरह होगा? और काम प्रभावित होने लगा, तो इससे जुड़ी दूसरी चीजें भी जरूर बिगड़ेंगी।
अगर आपके मूड से दूसरों का कोई लेना-देना न हो, तो कोई विशेष फर्क नहीं पड़ता। आप अपने में सिमटे कहीं एकांत में पड़े रह सकते हैं, लेकिन अगर आप किसी टीम के लीडर हैं और आपके अंडर में कई लोग काम करते हैं, तब आपको अपना मूड ठीक रखना ही होगा। ऐसी स्थिति में आपके लिए कोई गुंजाइश नहीं। जरा सोचें, सिर्फ किसी एक आदमी का मूड खराब होने से पूरे ऑफिस का माहौल खराब हो जाये और इसका असर वहां की प्रोडक्टिविटी पर पड़ने लगे, तो कहां तक उचित है? अगर आपकी कंपनी या विभाग के प्रोडक्ट को शत-प्रतिशत एररलेस बनाना है, तो क्या यह खराब मूड या माहौल में संभव हो सकता है।
आपका मूड जब दूसरों को परेशानी देने लगे और प्रोडक्टिविटी पर असर डालने लगे, तो आपके दिमाग में खतरे की घंटी बज जानी चाहिए। अगर आपका मूड खराब है और आपसे ज्यादा लोग जुड़े हैं, तो इससे सभी पर असर पड़ना तय है। कामकाजी दुनिया में एक व्यवस्था और अनुशासन के तहत सारे काम होते हैं, न कि किसी के मूड के अनुसार। वहां ऐसा कतई नहीं होता कि आज अच्छा मूड है तो काम लिया और मूड अच्छा नहीं है, तो तान कर सो गये। वर्क-प्लेस पर आपको हर हाल में अपना मूड ठीक रखना ही चाहिए।
वर्क-प्लेस पर बार-बार मूड उखड़ने या खराब होने से काम पर तो असर पड़ता ही है, यह स्थिति खुद आपके लिए ही नुकसानदायक साबित होती है। अगर आप इनडिविजुएल काम कर रहे हैं और आपको कोई असाइनमेंट तय समय पर देने का टारगेट मिला है, लेकिन मूड ठीक न होने से काम पर आप कांसंट्रेट ही नहीं कर पा रहे हैं, तो आप खुद ही सोचें कि इससे आपकी इमेज कितनी प्रभावित होगी? और अगर कहीं आपका मूड बार-बार खराब होने लगे और हर बार काम से आपका जी उचट जाये, तो क्या होगा? ऐसी सिचुएशन में क्या बॉस और मैनेजमेंट की नजर में आप एक काबिल कर्मी के रूप में पहचान बना पाएंगे? क्या आप समुचित प्रमोशन और इंक्रीमेंट के हकदार होंगे? अगर आप टीम लीडर हैं, तो फिर पूरे विभाग का आउटपुट प्रभावित होगा। मूड आपका है, उसे हमेशा ठीक रखें, ताकि वर्क-प्लेस पर असुविधा न झेलनी पड़े। मूड और कामयाबी के बीच बड़ा गहरा रिश्ता होता है। अगर हमारे मूड से किसी का लेना-देना नहीं, तो इसके खराब होने से कोई प्रभावित नहीं होता। अगर मूड ठीक न होने का असर काम पर पड़ने लगे, तो इससे हमारी सक्सेस भी प्रभावित होती है। वर्क-प्लेस पर मूड को अच्छा बनाये रखें, ताकि इसका असर काम और ऑफिस के माहौल पर न पड़े।

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