लूसी मॉड मोंटगॉमरी की विश्वप्रसिद्घ रचना ‘ऐनी ऑफ ग्रीन गेबल्स’ का यह हिन्दी अनुवाद बीसवीं सदी के पश्चिमी जगत के आईने के तौर पर भी काम करता है। कोमल मानवीय भावनाओं से ओत-प्रोत यह कहानी एक नन्हीं-सी बच्ची की जीवनगाथा है, जो अपने दत्तक माता-पिता के यहां छुटपन में ही आ जाती है और वहीं से उसके दुनियावी और आत्म संघर्ष की शुरुआत भी होती है। बेहद मर्मस्पर्शी इस कहानी में तात्कालिक सामाजिक-राजनीतिक उतार-चढ़ाव भी दिखते हैं और प्रेम का अहसास भी, जिन सब से होकर नायिका मानव जीवन के विरोधाभासों को समझती है और धीरे-धीरे एक संपूर्ण परिपक्व मानव व्यक्तित्व को प्राप्त करती है। 1908 ई. में प्रकाशित ग्रीन गेबल्स की ऐनी दुनिया की सबसे ज्यादा पढ़ी और पसंद की जाने वाली किताबों में शुमार हो गई हैं इसका अनुवाद बीस से भी भाषाओं में हो चुका हैं और इसकी पचास मिलियन से भी ज्यादा प्रतियां बिक चुकी हैं।
Friday, 5 July 2013
ग्रीन गेबल्स की ऐनी - एलएम मोंटगॉमरी
लूसी मॉड मोंटगॉमरी की विश्वप्रसिद्घ रचना ‘ऐनी ऑफ ग्रीन गेबल्स’ का यह हिन्दी अनुवाद बीसवीं सदी के पश्चिमी जगत के आईने के तौर पर भी काम करता है। कोमल मानवीय भावनाओं से ओत-प्रोत यह कहानी एक नन्हीं-सी बच्ची की जीवनगाथा है, जो अपने दत्तक माता-पिता के यहां छुटपन में ही आ जाती है और वहीं से उसके दुनियावी और आत्म संघर्ष की शुरुआत भी होती है। बेहद मर्मस्पर्शी इस कहानी में तात्कालिक सामाजिक-राजनीतिक उतार-चढ़ाव भी दिखते हैं और प्रेम का अहसास भी, जिन सब से होकर नायिका मानव जीवन के विरोधाभासों को समझती है और धीरे-धीरे एक संपूर्ण परिपक्व मानव व्यक्तित्व को प्राप्त करती है। 1908 ई. में प्रकाशित ग्रीन गेबल्स की ऐनी दुनिया की सबसे ज्यादा पढ़ी और पसंद की जाने वाली किताबों में शुमार हो गई हैं इसका अनुवाद बीस से भी भाषाओं में हो चुका हैं और इसकी पचास मिलियन से भी ज्यादा प्रतियां बिक चुकी हैं।
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