Saturday 6 July 2013

अन्ना स्तेपानोवा और वाल्या पोगोदीना


रूसी साहित्य बहुत महान और विशाल है। जैसे रूस महान है वैसे ही साहित्य में यह महानता रूस की रहस्यपूर्ण रूप से दिखाई देती है। हमारे लेखक अपनी रचनाओं के माध्यम से पूरे विश्व में बहुत लोकप्रिय हैं। उनकी रचनाएँ इतनी सुन्दर, मार्मिक, उदात्त और यथार्थपूर्ण हैं कि वे हर दिल में अपनी अमिट छाप छोड़ती हैं।
रूसी साहित्य का इतिहास सन 988 से शुरू होता है। पहले काल खंड का नाम प्राचीन रूसी साहित्य (988 से 1600 तक) है। इस काल का पूरा साहित्य धर्म-निष्ठ और बाइबिल से संबंधित था। लेखक ईसाई, धर्म, भगवान और आदमी के रिश्तों के बारे में लिखते थे। इस काल की मुख्य विद्या इतिवृत्त थी। सब साहित्य मठ में जमा था और सिर्फ मठवासी लिखते थे। इस प्रकार से रूसी साहित्य की शुरूआत में आध्यात्मिकता इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। इस काल की सबसे प्रसिद्ध कृति है- "ईगोर की रेजीमेंट के बारे में बात"
दूसरा काल (1600-1800) में धर्म-निष्ठ साहित्य और दुनियाई साहित्य अलग लिखा गया। इस काल के बाद रूसी साहित्य का स्वर्ण काल आता है (1900-1900)। इस काल के सबसे लोकप्रिय लेख हैं-
    अलेक्सांद्र पुश्किन
    मिख़ाइल लेर्मोन्तोव
    इवान तुर्गेनव
    लेव तोल्सतोय
    फेदर दोस्तोएवस्की
    अंतोन चेख़ोव
इस समय का रूस "साहित्य का देश" हो गया। साहित्य सामाजिक समस्या हल करता था और लेखक समाज और राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते थे। अगर यह काल गद्य का समय था तो इसके अगले काल (1900-1917) में विश्व साहित्य की सबसे अच्छी कविताएँ लिखी गयीं। इस काल के सबसे महत्वपूर्ण रचनाकार हैं-
    बोरिस पस्तेर्नाक
    अन्ना अख़मातोवा
    अलेक्सांद्र बलोक
    मरीना त्सवेताएवा
इस काल को रूसी साहित्य का रजत काल कहते हैं। अक्टूबर क्रांति के बाद सोवियत काल था (1917-1991)। लेखक दो वर्ग में बंट गये। कुछ लोग साम्यवादी हो गये, जैसे मैक्सिम ग़ोर्की, ब्लादीमीर मथकोत्स्की, भिख़ाइल शोलोहोव आदि और कुछ लोगों ने उनका बहिष्कार किया, जैसे: इवान बूनीन, ब्लादीमीर नबोकोव आदि। सन 1919 से आधुनिक काल शुरू हुआ। अगर सोवियत काल में साहित्य राजनीतिक प्रभाव में आ रहा था तो अब भूले बिसरे नाम याद आ रहे हैं और साहित्यिक परंपरा पुनर्जीवित हो रही है।
पुराना और नया रूसी साहित्य हमारी संस्कृति की अमूल्य धरोहर है।

No comments:

Post a Comment