Friday, 12 July 2013

साहित्‍य और अकादमी


साहित्‍य अकादमी विभिन्‍न भाषाओं की कृतियों की राष्‍ट्रीय अकादमी है। इसका उद्देश्‍य प्रकाशन, अनुवाद गोष्‍ठियां, कार्यशालाएं आयोजित करके भारतीय साहित्‍य के विकास को बढ़ावा देना है। इसके तहत देशभर में सांस्‍कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम और साहित्य सम्मेलन भी आयोजित किए जाते हैं। अकादमी की स्‍थापना 1954 में स्‍वायत्त संस्‍था के रूप में की गई थी और इसके लिए धन की व्‍यवस्‍था भारत सरकार का संस्‍कृति विभाग करता है। अकादमी का समिति के रूप में पंजीकरण 1956 में हुआ था। अकादमी ने 24 भाषाओं को मान्‍यता दे रखी है। प्रत्‍येक भाषा के लिए एक सलाहकार बोर्ड है जो संबद्ध भाषा के कामकाज और प्रकाशान के बारे में सलाह देता है। अकादमी के चार क्षेत्रीय बोर्ड हैं जो उत्तर, पश्‍चिम, पूर्व और दक्षिण की भाषाओं के बीच तालमेल और परस्‍पर आदान-प्रदान को प्रोत्‍साहन देते हैं। अकादमी का मुख्‍यालय नई दिल्‍ली में है तथा कोलकाता, मुंबई, बैंगलोर और चेन्‍नई में भी इसके कार्यालय हैं। अकादमी के बैंगलोर और कोलकाता में दो अनुवाद केंद्र भी हैं। मौखिक और जनजातीय साहित्‍य को बढ़ावा देने के उद्देश्‍य से शिलांग में अकादमी का परियोजना कार्यालय स्‍थित है तथा दिल्‍ली में भारतीय साहित्‍य का अभिलेखागार है। नई दिल्‍ली में ही अकादमी का अनूठा बहुभाषीय पुस्‍तकालय भी है जिसके क्षेत्रीय कार्यालय बैंगलोर और कोलकाता में हैं। इनमें 25 से ज्‍यादा भाषाओं की करीब डेढ़ लाख पुस्‍तकों का संग्रह है।
साहित्‍य अकादमी लेखकों को सर्वोच्‍च सम्मान अपना 'फेलो' चुनकर देती है। यह सम्‍मान अमर साहित्‍यकारों के लिए सुरक्षित है तथा एक बार में 21 लोगों को दिया जाता है। अब तक यह सम्‍मान 66 लेखकों को दिया जा चुका है। अकादमी 850 लेखकों और 283 अनुवादकों को साहित्‍य तथा अनुवाद के क्षेत्र में उल्‍लेखनीय योगदान के लिए सम्‍मानित कर चुकी है और 31 भाषा सम्‍मान दिए जा चुके हैं जिनका उद्देश्‍य क्षेत्रीय भाषाओं को प्रोत्‍साहन देना है। साथ ही भारतीय साहित्‍य में महत्‍वपूर्ण योगदान करने वाले विदेशी विद्वानों को मानद फेलोशिप प्रदान की गई है। अकादमी 24 भाषाओं में पुस्‍तकें प्रकाशित करती है जिनमें पुरस्‍कृत कृतियों का अनुवाद, भारतीय साहित्‍य के महान लेखकों के मोनोग्राफ, साहित्‍य का इतिहास, अनुवाद में महान भारतीय और विदेशी रचनाएं, उपन्यास, कविता और गद्य, आत्‍मकथाएं, अनुवादकों का रजिस्‍टर, भारतीय लेखकों के बारे में जानकारी (कौन, कौन है), भारतीय साहित्‍य की राष्‍ट्रीय संदर्भ सूची और भारतीय साहित्‍य का विश्‍वकोष शामिल हैं। अभी तक अकादमी इन विभिन्‍न श्रेणियों में कुल 4000 से अधिक पुस्‍तकें प्रकाशित कर चुकी है। अकादमी की तीन पत्रिकाएं हैं – अंग्रेजी में द्विमासिक 'इंडियन लिटरेचर', हिंदी द्विमासिक 'समकालीन भारतीय साहित्‍य' और संस्‍कृत छमाही पत्रिका 'संस्‍कृत प्रतिभा'। अकादमी हर वर्ष औसतन 250 से 300 पुस्‍तकें प्रकाशित करती है। इसकी कई विशेष परियोजनाएं भी हैं, जैसे – प्राचीन भारतीय साहित्‍य, मध्‍यकालीन भारतीय साहित्‍य और आधुनिक भारतीय साहित्‍य और पांच सहस्राब्‍दियों के दस सर्वश्रेष्‍ठ ग्रंथ। अकादमी ने 'भारतीय काव्‍यशास्‍त्र का विश्‍वकोष' तैयार करने की नई परियोजना भी शुरू की है।
साहित्‍य अकादमी साहित्‍य के इतिहास एवं सौंदर्यशास्‍त्र जैसे विभिन्‍न विषयों पर हर वर्ष अनेक क्षेत्रीय, राष्‍ट्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठियों का आयोजन करती है। साथ ही, नियमित रूप से अनुवाद कार्यशालाएं भी लगाई जाती हैं। अकादमी हर वर्ष, आमतौर पर फरवरी के महीने में, सप्‍ताहभर का साहित्‍योत्‍सव आयोजित करती है जिसमें पुरस्‍कार वितरण समारोह, संवत्‍सर भाषणमाला और राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी शामिल रहती हैं। अकादमी ने स्‍वर्ण जयंती समारोहों के अंतर्गत 2004-05 में 'सूर साहित्‍य' विषय से कार्यक्रमों की नई श्रृंखला भी आरंभ की।

No comments:

Post a Comment