Friday, 12 July 2013

ल्यूक एंड द फायर ऑफ लाइफ - सलमान



रूपकथा बैनर्जी

'द सेटेनिक वर्सेज' के प्रकाशन के बाद उस पर जारी फतवे से चर्चा में आए विवादास्पद साहित्यकार सलमान रूश्दी जब न्यूयॉर्क में रहकर अपने किशोर बेटे के लिए किताब लिखते हैं तो ढेर सारी वे 1980 के दशक में उपनिवेशवाद के बाद के दौर के बड़े साहित्यकार हैं।
1990 में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बड़े हिमायती और पोस्टर बॉय बने जब वे एंटी टेररिस्ट पुलिस ऑफिसरों के साथ एक जगह से दूसरी जगह भटक रहे थे, क्योंकि उनके उपन्यास 'द सेटेनिक वर्सेज' के प्रकाशन के बाद ईरान के अयातुल्ला खौमेनी ने उनकी मौत का फतवा जारी कर दिया था।
उनके लेखन की तरह उनका जीवन भी विशिष्ट है। अब जबकि वे 63 साल के हैं, उनका छोटा बेटा मिलान मात्र 13 साल का है। उम्र के इस अंतर की वजह से उनके भीतर यह भय रहता है कि वे अपने बेटे को बड़ा होता देख पाएँगे या नहीं! बहरहाल, अपने किशोर बेटे की फरमाइश पूरी करते हुए उन्होंने खासतौर पर उसके लिए एक किताब लिखी है- 'लुका एंड द फायर ऑफ लाइफ।'
तीसरी पत्नी एलिजाबेथ वेस्ट से जन्मे मिलान के लिए लिखी जा रही 'लुका...' से ठीक 20 साल पहले वे अपनी पहली पत्नी क्लारिसा ल्यूर्ड से जन्मे बेटे जफर के लिए 'हारुन एंड द सी स्टोरीज' लिख चुके हैं। सलमान अपने बेटों से बहुत प्यार करते हैं, क्योंकि वे जिस परिवार में बड़े हुए वहाँ बेटों की बड़ी कमी रही। सलमान खुद तीन बहनों में इकलौते भाई थे। लेकिन इसे सिर्फ बेटे के लिए पिता द्वारा की जाने वाली कवायद नहीं कहा जा सकता है।
ये 63 साल के लेखक का सतर्क कदम है कि वे एक बड़ी, महत्वाकांक्षी और पुरस्कार विजेता किताब से अब कुछ हल्के-फुल्के और बहुत व्यक्तिगत लेखन की तरफ जा रहे हैं। संक्षेप में यह उनकी रिब्रांडिंग का भी हिस्सा है। सलमान रुश्दी कहते हैं कि- 'दोनों किताबों में एक ही समानता है कि बच्चे माता-पिता के उद्धारक हैं और व्यापक तौर पर मैं ऐसा महसूस करता हूँ कि बहुत सारे माता-पिता ऐसा कहेंगे कि बच्चे होने का अनुभव उनके लिए एक तरह से मुक्ति का एहसास है।'
किताब में वही पुराना फॉर्मूला है। एक युवक को एक खतरनाक यात्रा पूरी करनी है, जहाँ सभी तरह का रोमांच है। उपन्यास में लुका के पिता को खतरनाक बीमारी से बचाने का प्रसंग भी है। हकीकत में जब तीन साल पहले रुश्दी अपनी चौथी पत्नी पद्मालक्ष्मी से अलग हुए थे तब बहुत दुखी हुए थे और तब उनके बेटों ने उन्हें उबरने में मदद की थी।
वे कहते हैं कि- 'मेरे लिए यह बहुत जरूरी है कि मैं अच्छा पिता सिद्ध होऊँ और मैं ऐसा सोचना पसंद भी करता हूँ कि मैं अच्छा पिता हूँ। ये बहुत गहरी भावना है। मेरे बेटे मेरे जीवन के सबसे बड़े वरदान हैं। उनके बिना मैं अपनी जिंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकता हूँ।'
वे कहते हैं कि 'बच्चे एक तरह से अपने माता-पिता के उद्धारक होते हैं। हाँ, ये बच्चों से थोड़ी ज्यादा उम्मीदें हैं, लेकिन बच्चे इसे पसंद करते हैं। वे सोचते हैं कि उनके माता-पिता बेकार हैं और उन्हें इस बेकारी से छुटकारे की जरूरत है।'
रुश्दी जब 13 साल के थे तब मुंबई के उद्योगपति उनके पिता ने उन्हें रग्बी इंग्लिश स्कूल में भेज दिया था। उनके पिता बहुत आकर्षक और संस्कारी व्यक्ति थे, लेकिन बहुत पियक्कड़ भी थे। उनकी माँ ने शादी के बाद अध्यापन का काम छोड़ दिया था, लेकिन वे बहुत अच्छा गोल्फ खेलती थीं। रुश्दी उदार मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनकी तीनों छोटी बहनों के अपने-अपने करियर हैं और तीनों ने अपनी पसंद से शादी की है।
रुश्दी अपने तलाक के बाद से न्यूयॉर्क शहर के मिडटाउन मेनहट्टन में एक अपार्टमेंट में रह रहे हैं और अपना समय उन्होंने यहाँ और लंदन के लिए बाँट रखा है। कुछ ही दिनों में जफर उनसे मिलने न्यूयॉर्क आने वाला है। उन्होंने अपने बेटों को ग्लोबल नागरिक की तरह पाला है। ठीक उसी तरह उनके किताब 'ल्यूक एंड द फायर ऑफ लाइफ' में एक तरह की वैश्विक पौराणिकता नजर आती है, इसमें अलग-अलग महाद्वीपों के पौराणिक पात्रों को लिया गया है।
जब मिलान का जन्म हुआ तब रुश्दी लगभग 50 साल के थे, इसलिए उनकी यह किताब एक ऐसे पिता की मनःस्थिति का चित्रण भी करती है जिसे अपनी जिंदगी फिसलती महसूस होती है और उसे यह भय बना रहता है कि वह अपने बेटे को बड़ा होता नहीं देख पाएगा।
वे कहते हैं कि- 'वो एक विशेष क्षण था, जब मिलान पैदा हुआ था। मिलान का जन्म, जफर और मेरा जन्मदिन तीन हफ्तों के दरमियान की ही घटनाएँ हैं। जब मिलान पैदा ही हुआ था, जफर 18 साल का हुआ था और मैं 50 साल का। तो हमारे लिए एक ही समय में होने वाली ये महत्वपूर्ण घटनाएँ हैं। ये मुझे तब महसूस हुआ जब मिलान का जन्म हुआ कि- मैं बहुत बूढ़ा पिता हूँ, जब मिलान सिर्फ 20 साल का होगा तब मैं 70 साल का हो जाऊँगा।'
रुश्दी के अपने पहले बेटे की माँ और पहली पत्नी क्लारिसा ल्यूर्ड के साथ उनकी मृत्यु तक दोस्ताना संबंध रहे, लेकिन बाद के दो ब्रेक-अप ज्यादा पीड़ादायक रहे। वे कहते हैं कि- 'यदि क्लारिसा जीवित रहती और हम दोनों साथ रहते तो मुझे अपना दूसरा बेटा नहीं मिलता।'
वे अपने इतिहास के प्रोफेसर को याद करते हुए कहते हैं कि- 'जब मैं स्टूडेंट था, तब मेरे इतिहास के प्रोफेसर ने मुझे कहा था कि 'क्या यदि?' ये सवाल कभी भी इंट्रेस्टिंग नहीं होता है। ये जानना काफी मुश्किल होता है कि हकीकत में क्या हो रहा है और उस होने की शर्तें क्या हैं? बिना अनूठी चीजों को किए आप समझ नहीं सकते हैं कि क्या हो सकता है और ऐसा नहीं होता तो क्या होता? यही जीवन मुझे मिला है।'

No comments:

Post a Comment