'कभी पहाड़ पर जाऊँगा
तो पहनूँगा उजली कमीज
मामूली आदमी की यह एक
गैर-मामूली इच्छा है
आज से बीस-तीस वर्ष पहले
यह मामूली इच्छा ही रही होगी
आज से बीस-तीस वर्ष बाद
यह मामूली आदमी की जेब से
बाहर छूट चुकी होगी
मामूली आदमी घिरा होगा तब
ऐसी ही अनगिनत
गैर मामूली इच्छाओं से।'
तो पहनूँगा उजली कमीज
मामूली आदमी की यह एक
गैर-मामूली इच्छा है
आज से बीस-तीस वर्ष पहले
यह मामूली इच्छा ही रही होगी
आज से बीस-तीस वर्ष बाद
यह मामूली आदमी की जेब से
बाहर छूट चुकी होगी
मामूली आदमी घिरा होगा तब
ऐसी ही अनगिनत
गैर मामूली इच्छाओं से।'
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