कवि, कथाकार, साहित्यिक अनुवादक और भारतविज्ञ विद्वान अलेक्सांदर सेंकेविच का जन्म १९४१ में हुआ। उन्होंने १९६४ में मास्को राजकीय विश्वविद्यालय के पूर्वी भाषा संस्थान की शिक्षा समाप्त की। इसके बाद उन्होंने पीएच.डी. की और फिर भाषाशास्त्र में डॉक्टरेट। इनकी कविताएँ पहली बार १९६७ में 'कमसामोल्स्कया प्राव्दा' समाचार पत्र में प्रकाशित हुई थीं। उनकी रचनाओं में भी यह झलक साफ़-साफ़ दिखाई देती है कि वे एक भारतविद हैं।
इनकी पहली पुस्तक हिंदी के महाकवि हरिवंशराय बच्चन को समर्पित थी। उनकी दूसरी पुस्तक थी- 'समाज, संस्कृती, कविता- आज़ादी के बाद की हिंदी कविता'। हिंदी में भी उनकी दो किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। १९८३ में गरिमाश्री प्रकाशन, दिल्ली से 'बच्चनः एक व्याख्या' और १९८४ में प्रकाशन संस्थान, नई दिल्ली से 'समकालीन हिंदी साहित्य'। लेक्सांदर सेंकेविच ने कवि के रूप में भी रूसी कविता में अपना विशिष्ट स्थान बनाया है। उनके अभी तक चार कविता-संग्रह आए हैं, जिन्हें पाठकों ने हाथों-हाथ लिया है। 'आकस्मिक खेल' (१९९४) और २००२ में प्रकाशित 'चूवस्त्वा बित्या' (घरबार की भावना) नामक कविता-संग्रहों के अलावा सेंकेविच के 'चमकदार अंधेरा' (२००४) और हाल ही में २००७ में प्रकाशित 'पूर्वसूचना' नामक संग्रह प्रकाशित हुए हैं। इसके अलावा उन्होंने एक उपन्यास भी लिखा है, जिसका नाम है- 'इरीना ब्लावात्स्कया के भाग्य का रहस्य' (२००५)।
अलेक्सांदर सेंकेविच ने बीसवीं शताब्दी के हिंदी के सभी बड़े कवियों की कविताओं का रूसी भाषा में अनुवाद किया है, जिनमें अज्ञेय, बच्चन, अशोक वाजपेयी, रघुवीर सहाय, श्रीकांत वर्मा आदि का नाम प्रमुख है। इसके अलावा उन्होंने हिंदी के अपेक्षिकृत युवा पीढ़ी के कवियों की रचनाओं के अनुवाद भी रूसी में प्रकाशित किए हैं जैसे विश्वनाथप्रसाद सिंह, गोरख पांडेय, मंगलेश डबराल, उदय प्रकाश, नरेंद्र जैन, अरुण कमल. अनिल जनविजय, गगन गिल और स्वप्निल श्रीवास्तव आदि। कभी 'दिनमान' में अलेक्सांदर सेंकेविच की कविताएँ भी प्रकाशित होती थीं, जिनका अनुवाद सर्वेश्वरदयाल सक्सेना और रघुवीर सहाय जैसे कवि करते थे। अलेक्सांदर सेंकेविच ने भारत संबंधी अनेक अभियानों की आयोजन और नेतृत्व किया है। उनकी पहल पर और उनके नेतृत्व में अनेक रूसी अभियान दलों ने उत्तर भारत के हिमालयी क्षेत्रों के अलावा, भूटान, नेपाल और तिब्बत की खोज यात्राएँ की हैं। अलेक्सांदर सेंकेविच रूस से हिन्दी लेखकों को दिए जाने वाले ’पूशकिन सम्मान’ की ज्यूरी के स्थाई सदस्य हैं। अलेक्सांदर सेंकेविच को २००७ में इवान बूनिन पुरस्कार मिल चुका है।
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