अर्तूर गिवारगीज़ोव रूसी कथाकार, कवि और बाल-लेखक थे। अरतूर गिवारगीज़ोव का जन्म १९६५ में कियेव में हुआ। मॉस्को संगीत महाविद्यालय के अंतर्गत कार्यरत संगीतशाला की शिक्षा समाप्त करने के बाद अरतूर गिवारगीज़ोव एक संगीतशाला में अध्यापक हैं और बच्चों को गिटार पर शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति सिखाते हैं। वे बच्चों के लिए कविताएँ और व्यंग्य कहानियाँ लिखते हैं। इनकी पहली रचना १९९७ में 'सतिरिकोन' (व्यंग्यकार) पत्रिका में प्रकाशित हुई। अरतुर नियमित रूप से 'प्रस्ताक्वाशीना', 'कुकूंबर', 'कस्त्योर' और 'मुर्ज़ील्का' आदि बाल-पत्रिकाओं में लिखते हैं। अरतूर की कहानियाँ 'क्लासिक रचनाएँ' और 'कारीगरों का शहर' नामक बाल-साहित्य सीरीज़ में प्रकाशित हुई हैं। उनकी बाल कथाओं का पहला संग्रह २००३ में निकला, जिसका शीर्षक था- 'साईकिल पर लदी अलमारी'। अरतूर गिवारगीज़ोव को अनेक साहित्यिक पुरस्कार मिल चुके हैं। 'साईकिल पर लदी अलमारी' के अलावा २००५ में प्रकाशित उनकी पुस्तक 'राजाओं के बारे में आम तौर पर' तथा अन्य कुछ पुस्तकें बच्चों के बीच बेहद लोकप्रिय रही हैं।
Monday, 8 July 2013
'साईकिल पर लदी अलमारी' - अर्तूर अलेक्सान्द्रोविच गिवारगीज़ोव
अर्तूर गिवारगीज़ोव रूसी कथाकार, कवि और बाल-लेखक थे। अरतूर गिवारगीज़ोव का जन्म १९६५ में कियेव में हुआ। मॉस्को संगीत महाविद्यालय के अंतर्गत कार्यरत संगीतशाला की शिक्षा समाप्त करने के बाद अरतूर गिवारगीज़ोव एक संगीतशाला में अध्यापक हैं और बच्चों को गिटार पर शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति सिखाते हैं। वे बच्चों के लिए कविताएँ और व्यंग्य कहानियाँ लिखते हैं। इनकी पहली रचना १९९७ में 'सतिरिकोन' (व्यंग्यकार) पत्रिका में प्रकाशित हुई। अरतुर नियमित रूप से 'प्रस्ताक्वाशीना', 'कुकूंबर', 'कस्त्योर' और 'मुर्ज़ील्का' आदि बाल-पत्रिकाओं में लिखते हैं। अरतूर की कहानियाँ 'क्लासिक रचनाएँ' और 'कारीगरों का शहर' नामक बाल-साहित्य सीरीज़ में प्रकाशित हुई हैं। उनकी बाल कथाओं का पहला संग्रह २००३ में निकला, जिसका शीर्षक था- 'साईकिल पर लदी अलमारी'। अरतूर गिवारगीज़ोव को अनेक साहित्यिक पुरस्कार मिल चुके हैं। 'साईकिल पर लदी अलमारी' के अलावा २००५ में प्रकाशित उनकी पुस्तक 'राजाओं के बारे में आम तौर पर' तथा अन्य कुछ पुस्तकें बच्चों के बीच बेहद लोकप्रिय रही हैं।
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