श्रीनारायण चतुर्वेदी ने अपनी कवितायें ‘श्रीवर’ नाम से लिखकर दो कविता संग्रह तैयार किये हैं 1-रत्नदीप तथा 2-जीवन कण। इनके द्वारा अंग्रेजी भाषा से किया गया अनुवाद ‘विश्व का इतिहास ’ तथा ‘शासक’ महत्वपूर्ण ग्रन्थ हैं। वे हिन्दी भाषा में प्रकाशित संग्राहक कोश ‘विश्वभारती’ के संपादक रहे। पत्रकारिता के क्षेत्र में राजकीय सेवा से सेवानिवृति के उपरांत लगभग 20 वर्षो तक हिन्दी साहित्य जगत की महत्वपूर्ण पत्रिका ‘सरस्वती’ के संपादक के रूप में इनका योगदान अद्वितीय रहा । ‘सरस्वती’ पत्रिका के संपादन काल में राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विख्यात विद्वानों को श्रद्धांजलि स्वरूप लिखे गये संपादकीय लेखेां का संग्रह ‘पावन स्मरण(1976)’ के नाम से प्रकाशित हुआ है। ‘विनोद शर्मा अभिनंदन ग्रन्थ’ (विनोद शर्मा उनका कलोल-कल्पित नाम था) हास्य व्यंग्य का महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। उनके द्वारा लिखित ‘आधुनिक हिन्दी का आदिकाल’ (1857-1908)’ तथा ‘साहित्यिक चुटकुले’ भी महत्वपर्ण दस्तावेज हैं।
Monday, 8 July 2013
श्रीनारायण चतुर्वेदी का साहित्य
श्रीनारायण चतुर्वेदी ने अपनी कवितायें ‘श्रीवर’ नाम से लिखकर दो कविता संग्रह तैयार किये हैं 1-रत्नदीप तथा 2-जीवन कण। इनके द्वारा अंग्रेजी भाषा से किया गया अनुवाद ‘विश्व का इतिहास ’ तथा ‘शासक’ महत्वपूर्ण ग्रन्थ हैं। वे हिन्दी भाषा में प्रकाशित संग्राहक कोश ‘विश्वभारती’ के संपादक रहे। पत्रकारिता के क्षेत्र में राजकीय सेवा से सेवानिवृति के उपरांत लगभग 20 वर्षो तक हिन्दी साहित्य जगत की महत्वपूर्ण पत्रिका ‘सरस्वती’ के संपादक के रूप में इनका योगदान अद्वितीय रहा । ‘सरस्वती’ पत्रिका के संपादन काल में राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विख्यात विद्वानों को श्रद्धांजलि स्वरूप लिखे गये संपादकीय लेखेां का संग्रह ‘पावन स्मरण(1976)’ के नाम से प्रकाशित हुआ है। ‘विनोद शर्मा अभिनंदन ग्रन्थ’ (विनोद शर्मा उनका कलोल-कल्पित नाम था) हास्य व्यंग्य का महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। उनके द्वारा लिखित ‘आधुनिक हिन्दी का आदिकाल’ (1857-1908)’ तथा ‘साहित्यिक चुटकुले’ भी महत्वपर्ण दस्तावेज हैं।
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