रूस के सबसे प्रसिद्ध बच्चों के लेखक, हर रूसी बच्चे के परिचित पात्रों के रचयिता एदुआर्द उस्पेन्सकी का जन्म १९३७ में हुआ। १९६१ में इन्होंने मॉस्को एविएशन इंस्टीट्यूट से एम.एससी. किया और उसके बाद मॉस्को के विमान निर्माण कारखाने में इंजीनियर के पद पर काम करने लगे। १९६० से इनकी हास्यव्यंग्य रचनाओं का प्रकाशन हो रहा है। कविता-संग्रह 'बेतुका हाथी' के बाद 'मगरमच्छ गेना और उसके दोस्त' नामक बाल-उपन्यास लिखा और इसके बाद 'अमर कशेई के तीन दिन' नामक नाटक। इन सभी किताबों ने इतनी धूम मचाई कि इसके बाद उन्होंने दर्जनों बाल पुस्तकों की रचना की, लेकिन नाम इन तीन किताबों का ही सबसे ज़्यादा लिया जाता है। एदुआर्द उस्पेन्सकी ने 'रेडियो आया' नामक रेडियो सीरियल का लेखन किया और 'रे़डियो तकनीक के बारे में एक प्रसिद्ध पुस्तक' भी लिखी। इनके अलावा एदुआर्द उस्पेन्सकी की 'यदि मैं लड़की होता', 'जोकरों का स्कूल', 'कलोब्की जाँच कर रहे हैं', 'प्लास्टिक का कौआ' और अन्य पुस्तकें भी बच्चों में बहुत लोकप्रिय हैं।
'मगरमच्छ गेना और उसके दोस्त' नामक बाल उपन्यास का अनुवाद बीसियों विदेशी भाषाओं में हो चुका है। भूतपूर्व सोवियत संघ की तो लगभग हर भाषा में इस किताब का अनुवाद हुआ है। एदुआर्द उस्पेन्सकी के बाल-उपन्यास 'जादुई नदी की धारा में', 'गारंटीशुदा मानव', 'प्रोफेसर चाइनिकफ का लेक्चर', 'चिबुराश्का जनता के बीच', 'फ्योदर अंकल की चाची', 'फ्योदर अंकल की प्रिय बच्ची', और अन्य बहुत-सी पुस्तकें रूस और विदेशों में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं।
एदुआर्द उस्पेन्सकी ने रूस के इतिहास में अशांतिकाल के नाम से जाने वाले काल के बारे में एक ऐतिहासिक बाल-उपन्यास भी लिखा है, जिसका नाम है - 'छद्मवेशी दूसरा दमीत्रि ही सच्चा है।' एदुआर्द उस्पेन्सकी द्वारा लिखी गई पटकथाओं पर बहुत-सी कार्टून-फिल्में भी बनाई जा चुकी हैं। एदुआर्द उस्पेन्सकी सर्वश्रेष्ठ बाल पुस्तक राष्ट्रीय प्रतियोगिता के विजेता रह चुके हैं।
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