Saturday, 22 June 2013

ब्राउनिंग का नाटकीय एकालाप


रॉबर्ट ब्राउनिंग (7 मई 1812- 1889 ) एक अंग्रेजी कवि एवं नाटककार थे. नाटकीय कविता, विशेषकर नाटकीय एकालापों में अतुल्य दक्षता के कारण उन्हें विक्टोरियन कवियों में अग्रणी स्थान प्राप्त है. ब्राउनिंग अपने माता पिता, रॉबर्ट और सारा एना ब्राउनिंग की पहली संतान थे और उनका जन्म लन्दन, इंग्लैंड के एक उपनगर कैम्बरवैल में हुआ. उनके पिता बैंक ऑफ इंग्लैंड में एक लिपिक थे तथा उन्हें अच्छा वेतन मिलता था. उनकी वार्षिक आय लगभग 150 पाउंड थी.[1]
ब्राउनिंग के दादा सेंट किट्स, वेस्ट इंडीज़ में एक धनाढ्य दास स्वामी थे, परन्तु उनके पिता एक उन्मूलनवादी थे. ब्राउनिंग के पिता को एक चीनी के बागान में काम करने के लिए वेस्ट इंडीज भेजा गया था. ब्राउनिंग की माँ एक संगीतकार थीं. उनकी एक बहन थी, जिसका नाम सेरीऐना था . ऐसी चर्चा आम थी की ब्राउनिंग की दादी जमैका में जन्मी एक मुलातू महिला थीं, जिन्हें विरासत में सेंट किट्स में एक बागान मिला था. (मुलातू उन लोगों को बुलाया जाता था जिनके माता-पिता में से एक ब्रिटिश और एक अफ़्रीकी मूल के हों).
रॉबर्ट के पिता ने एक पुस्तकालय का गठन किया, जिसमे लगभग 6000 किताबों का संग्रह था. इनमें से कई किताबें दुर्लभ थीं. इस प्रकार रॉबर्ट का पालन पोषण एक साहित्यिक संसाधनों से भरे घर में हुआ. उनकी माँ, जिनके वे बहुत निकट थे, बड़े विद्रोही स्वभाव की थीं. साथ ही वे एक प्रतिभा संपन्न संगीतकार भी थीं. उनकी छोटी बहन सारिऐना भी बहुत प्रतिभाशाली थी. बाद के वर्षों में वही ब्राउनिंग की सहयोगी बनी. उनके पिता ने साहित्य और ललित कलाओं में उनकी रूचि बढ़ाई.
बारह वर्ष की आयु होने तक ब्राउनिंग ने कविताओं की एक पुस्तक लिख डाली थी, परन्तु कोई प्रकाशक ना मिलने के कारण उसे स्वयं ही नष्ट कर दिया. ब्राउनिंग ने कई प्राइवेट विद्यालयों में दाखिला लिया परन्तु उन्हें संस्थागत शिक्षा से अरुचि होती गयी. तत्पश्चात उन्होंने घर पर ही एक अध्यापक से अध्ययन करना उचित समझा.
ब्राउनिंग एक मेधावी छात्र थे और चौदह वर्ष की आयु में वे धाराप्रवाह फ्रेंच, ग्रीक, इटालियन और लैटिन बोलने लगे थे. वे रोमांटिक कवियों, खासकर शेली के विशेष प्रशंसक थे. शेली का ही अनुसरण करते हुए वे नास्तिक और शाकाहारी बने, परन्तु बाद में दोनों को त्याग दिया. सोलह वर्ष की आयु में उन्होंने लंदन के यूनिवर्सिटी कॉलेज में प्रवेश लिया, लेकिन पहले वर्ष के बाद ही छोड़ गए. उनकी माँ एक प्रखर एवंजेलिकल निष्ठा वाली महिला थीं, जिसके कारण वे कैम्ब्रिज या ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में अध्ययन करने नहीं जा सके. उस समय ये दोनों संस्थान इंग्लैंड के चर्च के सदस्यों के लिए ही खुले थे. उनमें संगीत का भी अच्छा कौशल था, तथा उन्होंने कई गीतों की संगीत संरचना की.
1845 में ब्राउनिंग की भेंट एलिज़ाबेथ बैरेट से हुयी, जो विम्पोल स्ट्रीट में अपने पिता के घर में एक अर्ध-मान्य संतान की तरह रहती थीं. समय के साथ दोनों के बीच गहन प्रेम हो गया. 12 सितम्बर 1846 को उन्होंने गुप्त विवाह किया और घर से भाग गए. प्रारम्भ में उन्होंने अपना विवाह गुप्त रखा क्योंकि एलिज़ाबेथ के पिता अपने किसी बच्चे के विवाह की स्वीकृति नहीं देते थे. विवाह के बाद से ही युवा ब्राउनिंग दंपत्ति इटली में रहे, पहले पीसा में और फिर उसी वर्ष कासा गिड्डी (casa guidi), फ्लोरेंस अपने नए अपार्टमेन्ट में. (यह स्थान उनकी याद में अब एक संग्राहलय है).
चितला टोहिया हेमलिन से बाहर बच्चों को ले जाता है. रॉबर्ट ब्राउनिंग संस्करण के लिए केट ग्रीनवे द्वारा इस कथा में चित्रण किया गया है.
उनका इकलौता पुत्र, रॉबर्ट विएडमन बैरेट ब्राउनिंग 1849 में पैदा हुआ. उसका उपनाम उन्होंने "पैनिनी" या "पैन" रखा. इन वर्षों में ही ब्राउनिंग पर इटली की कला और सभ्यता का गहन प्रभाव हुआ तथा उन्होंने यहाँ बहुत कुछ सीखा. बाद के वर्षों में वे कहते नहीं थकते थे कि "इटली ही मेरा विश्वविद्यालय था". ब्राउनिंग ने वेनिस के निकट वेनेटो क्षेत्र के असोलो गाँव में भी एक घर खरीदा था परन्तु विडम्बना यह रही की जिस दिन उनको इस खरीद की नगर कौंसिल से अनुमति मिली, उसी दिन उनकी मृत्यु हो गयी.[2] उनकी पत्नी का देहावसान 1861 में हुआ.
ब्राउनिंग की कविताओं को साहित्य के पारखी तो प्रारम्भ से ही जानते थे परन्तु जन साधारण में एक कवि के रूप में वे केवल अपने मध्य वर्षों में जा कर ही प्रसिद्ध हो पाए. (उस सदी के मध्य में कवि टेनीसन अधिक ख्यातिप्राप्त थे) फ्लोरेंस में ब्राउनिंग ने जो कवितायें लिखीं वो अंततः मैन एंड वूमन नाम से दो खण्डों वाले संग्रह के रूप में प्रकाशित हुयीं. इन किताबों के लेखक के रूप में आज ब्राउनिंग जाने जाते हैं, परन्तु 1865 में जब ये छपी थी तब इनका नाम मात्र भी प्रभाव नहीं हुआ था. 1861 में अपनी पत्नी की मृत्यु के उपरांत जब वे लन्दन लौट आये और साहित्य सभाओं में सम्मिलित होने लगे, तब उनकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होने लगी. 1868 में, पांच साल के कार्य के बाद, उन्होंने एक लम्बी ब्लैंक वर्स कविता द रिंग एंड द बुक प्रकाशित की, जिसके बाद उन्हें उचित सम्मान और स्थान प्राप्त हुआ. यह कविता 1690 में रोम में हुई एक जटिल ह्त्या के मामले पर आधारित है. बारह पुस्तकों के रूप लिखी गयी इस कविता में से दस में कहानी के विभिन्न पात्रों द्वारा घटनाओं का अपने-अपने दृष्टिकोण से वर्णन किया गया है. शेष दो में परिचय और निष्कर्ष वर्णित हैं. यह कविता ब्राउनिंग के स्वयं के मानदंडों के अनुसार भी अत्यधिक लम्बी है (20,000 पंक्तियों से अधिक), द रिंग एंड द बुक उनकी सर्वाधिक महत्वाकांक्षी परियोजना थी. नाटकीय कविताओं में इसे टूर द फ़ोर्स (अद्वितीय सृजनात्मक एंड प्रभावशाली कार्य) का दर्जा दिया गया है. नवम्बर 1868 से फरवरी 1869 के बीच यह संग्रह अलग-अलग चार खण्डों में प्रकाशित हुआ, तथा व्यावसायिक और समीक्षात्मक दोनों पक्षों में अत्यधिक सफल रहा. अंततः इस संग्रह ने ब्राउनिंग को वह ख्याति दिलाई जिसकी तलाश उन्हें पिछले चालीस वर्षों से थी और जिसके वे योग्य थे.
रॉबर्ट ब्राउनिंग और एलिजाबेथ ने अपना प्रेम और विवाह गुप्त रखा. ब्राउनिंग से छह वर्ष बड़ी और दुर्बल एलिज़ाबेथ के लिए यह विश्वास करना कठिन था की खूबसूरत और उत्साही ब्राउनिंग उनसे वास्तव में उतना प्रेम करते हैं जितना वे कहते हैं. उन्होंने अपनी कविता सोंनेट्स फ्रॉम दा पॉर्चुगीज़ में अपना यही संदेह व्यक्त किया है. यह कविता उन्होंने अगले दो साल में पूरी की. अंततः प्रेम ने सब संदेहों और मुसीबतों पर विजय हासिल की तथा ब्राउनिंग एवं एलिज़ाबेथ ने सेन्ट मैरिलबोन पैरिश चर्च में गुप्त विवाह कर लिया. ठीक अपने हीरो शेली के पदचिन्हों पर चलते हुए, 1846 में ब्राउनिंग एलिजाबेथ को इटली ले आये, जो जीवनपर्यंत उनका घर बना. एलिजाबेथ की वफादार नर्स, विल्सन, जो चर्च में शादी की साक्षी बनी, उनके साथ इटली आ गयी और उनकी सेवा करती रहीं.'
एलिज़ाबेथ के पिता श्री बैरेट ने एलिज़ाबेथ को अपनी संपत्ति से बेदखल कर दिया. ऐसा उन्होंने अपने उन सभी बच्चों के साथ किया जिन्होंने विवाह करने का दुस्साहस किया. "लोकप्रिय कल्पना में श्रीमती ब्राउनिंग एक मृदु स्वभाव, अबोध नवयुवती थी जिन्हें एक अत्याचारी पिता के हाथों में अंतहीन क्रूरताओं का सामना करना पड़ा, परन्तु भाग्य से जिन्हें सुन्दर और तेज रॉबर्ट ब्राउनिंग नामक कवि का प्रेम और सान्निध्य प्राप्त हुआ. अंततः वे विम्पोल स्ट्रीट के अँधेरे जीवन से भाग कर इटली पहुँच गयीं और वहाँ जीवनपर्यंत हर्ष और उल्लास के साथ रहीं."[3]
एलिजाबेथ को कुछ पैसा विरासत में मिला था, इसलिए वे दोनों इटली में आराम से रहते थे. पति-पत्नी के रूप में उनका रिश्ता संतोषजनक था. ब्राउनिंग दंपत्ति की इटली में बड़ी ख्याति थी और इसी कारण से लोग उन्हें राह चलते रोक लेते थे या उनसे ऑटोग्राफ़ माँगा करते थे. एलिजाबेथ ने स्वास्थ्य लाभ किया और 1849 में, 43 वर्ष की आयु में, उन्होंने एक बेटे, रॉबर्ट वीदमैन बैरेट ब्राउनिंग को जन्म दिया, जिसे वे पैन कहते थे. उनके बेटे ने बाद में विवाह किया पर उसकी किसी वैध संतान का कोई ज्ञान किसी को नहीं है. सुनने में ऐसा भी आता है कि फ्लोरेंस के आसपास के क्षेत्र उनके वंशजों से भरे हुए हैं.
ब्राउनिंग के कई आलोचकों का मानना है कि उन्होंने यह निश्चय किया था की वे एक 'निष्पक्ष (objective) कवि' हैं, और फिर वे एक 'व्यक्ति-निष्ठ (subjective) कवि' की खोज करने लगे ताकि उसके साथ विचार-विमर्श कर के वे अधिक सफल बन पायें.[4] ' अपने पति के आग्रह पर एलिजाबेथ ने अपनी कविताओं के दूसरे संस्करण में लव सौनेट्स को भी शामिल कर दिया. इन सौनेट्स ने एलिज़ाबेथ को प्रसिद्धी और समीक्षकों की प्रशंसा दिलाई. तत्पश्चात वे एक प्रमुख विक्टोरिन कवयित्री के रूप पर उभरीं. 1850 में विलियम वर्डस्वर्थ की मृत्यु के बाद वे पोएट लौरिएट की प्रमुख दावेदार थीं परन्तु यह सम्मान एल्फ्रेड टेनिसन को मिला.'
अपने जीवन के शेष वर्षों में ब्राउनिंग ने काफी यात्रा की. पिछले कुछ समय में ब्राउनिंग के बाद के वर्षों में किये गए कार्य की पुनः समीक्षा की जा रही है. अपनी काव्यात्मक गुणवत्ता और मनोवैज्ञानिक अंतर्दृष्टि के लिए ये कार्य पाठकों में अत्यंत लोकप्रिय हैं. 1870 के प्रारम्भ में लम्बी कविताओं की एक श्रृंखला छपने के बाद, जिसमें फीफाइन एट द फेयर और रेड कॉटन नाईट-कैप कंट्री को सर्वाधिक प्रशंसा मिली, ब्राउनिंग फिर से छोटी कवितायें लिखने लगे. पेचिअरोत्तो एंड हाउ ही वर्क्ड इन डिसटैम्पर में ब्राउनिंग ने अपने आलोचकों के खिलाफ द्वेषपूर्ण वार किया, विशेषकर पोएट लौरीएट अल्फ्रेड ऑस्टिन के विरुद्ध.
कुछ रिपोर्टों के अनुसार, ब्राउनिंग का लेडी एशबर्टन के साथ रोमांस चला, परन्तु उन्होंने दूसरा विवाह नहीं किया. 1878 में वह एलिजाबेथ के निधन के बाद सत्रह साल में पहली बार इटली लौटे, और उसके बाद कई अवसरों पर इटली आये.
उनके काम की सराहना के लिए 1881 में ब्राउनिंग सोसाइटी की स्थापना की गयी.
1887 में, ब्राउनिंग ने अपने बाद के वर्षो का एक महत्त्वपूर्ण कार्य, पार्लेइंग्स विद सर्टेन पीपल ऑफ इम्पौरटैंस इन देयर डे प्रस्तुत किया. इस कार्य में अंततः ब्राउनिंग खुद अपनी आवाज़ में कुछ भुलाए जा चुके कवियों, दार्शनिक इतिहासकारों और कलाकारों से संवाद करते हैं. एक बार फिर से, विक्टोरियन जनता वह पढ़ कर उनकी कायल हो गयी. इसके बाद ब्राउनिंग फिर से छोटी कवितायें लिखने लगें जो उनके अंतिम वोल्यूम असोलैंडो (1889) में प्रकाशित हुई.
उनका निधन 12 दिसम्बर 1889 को वेनिस में उनके पुत्र के घर का'रेजोनिको (Ca'Reezzonico) में हुआ. उसी दिन असोलान्दो प्रकाशित हो कर आई थी. उन्हें वेस्टमिन्स्टर एब्बी में पोएट्स कॉर्नर में दफनाया गया, जहाँ अल्फ्रेड टेनिसन की मज़ार भी उनके निकट ही है.
आज ब्राउनिंग की ख्याति मुख्यतः उनके नाटकीय एकालापों की वजह से है, जिसमें शब्द न केवल परिदृश्य का वर्णन करते हैं, बल्कि वक्ता के चरित्र को भी प्रकट करते हैं. ब्राउनिंग के ये नाटकीय एकालाप स्वभाषणों से भिन्न हैं. इनमें वक्ता प्रत्यक्ष रूप से अपना पक्ष नहीं रखता अपितु परोक्ष रूप में बिना इस प्रति प्रयास किये जो वह प्रकट कर जाता है, वही उसका वास्तविक ध्येय होता है. इस माध्यम से वह अपने क्रिया कलापों को कविता में निहित उस प्रछन्न परीक्षक के सम्मुख न्यायसंगत सिद्ध कर जाता है. अपने पक्ष को प्रत्यक्ष शब्दों में कहे बिना वह पाठक को अपना पक्ष समझन को बाध्य कर देता है. ब्राउनिंग अपने काव्य में सर्वाधिक अधम और मनोरोगी अपराधियों को पेश करते हैं, जिसका मकसद होता है पाठक के मन में उन पात्रों के प्रति सहानुभूति पैदा करना. हालाँकि वे चरित्र इसके योग्य नहीं होते, परन्तु ऐसा पाठक को उकसाने के लिए लिखा जाता है ताकि वह एक हत्यारे व मनोरोगी को न चाहते हुए भी निर्दोष मानने को बाध्य हो जाएँ. उन का एक
'माय लास्ट डचेस ' ब्राउनिंग के बहुचर्चित एकालापों में से एक है. इसमें प्रत्यक्ष रूप में तो मुख्य पात्र ड्यूक सभ्य व कुलीन है, तथा उसके संवाद भी एक संभ्रांत व्यक्ति के अनुकूल ही हैं. परन्तु एक प्रबुद्ध व सचेत पाठक को यह तथ्य स्पष्ट हो जाता है कि इस ऊपरी सभ्यता व संभ्रांत शब्दों के परोक्ष में एक विक्षिप्त दिमाग काम कर रहा है. शीघ्र ही पाठक को यह ज्ञात हो जाता है की डचेस की हत्या बेवफाई के कारण नहीं की गयी, न ही इस कारण कि वह छोटी घटनाओं से प्रसन्नता प्राप्त कर लेती थीं, और अंत में न ही इस लिए की गयी की वह ओहदे के लिए उचित कृतज्ञता नहीं प्रकट कर पायीं. ड्यूक का घमंडी और अमानवीय मन यह तक स्वीकार नहीं कर पाता था कि उसे अपनी पत्नी को एक डचेस की तरह व्यवहार करने के लिए कहना पड़ता था. उसे यह भी अपनी झूठी शान के विपरीत लगता था. इस घमंड के कारण डचेस ड्यूक की पेंटिंग व पुतलों के संग्रह का एक कलात्मक हिस्सा मात्र बन कर रह गयीं. एक अन्य एकालाप फ्रा लिप्पो लिप्पी में ब्राउनिंग एक अरुचिकर और अनैतिक चरित्र का प्रयोग करते हैं और पाठकों को चुनौती देते हैं कि वे उस चरित्र की वह खूबियाँ ढूंढ कर बताएं, जिन्हें ढूँढने में उस समय के न्यायधीशों को भी पसीना आ जाए. रिंग एंड द बुक ब्राउनिंग का एक महाकाव्य है. इसमें एक हत्या के केस के चरित्रों द्वारा बोले गए 12 रिक्त वर्स एकालापों के माध्यम से वे इश्वर के मानव के प्रति प्रेम की विवेचना करते हैं. इन एकालापों ने बाद के कई कवियों को काफी प्रभावित किया जिनमें से टी. एस. इलीअट और एजरा पाउंड प्रमुख हैं. एजरा पाउंड तो ब्राउनिंग की सोर्देलो नामक कविता, जो तेहरवीं शताब्दी के एक असफल व निराश कवि की विकृत मानसिकता का वर्णन है, के विषय में अपनी कविता कैन्तोस में यहाँ तक कह डाला कि ब्राउनिंग के इस संग्रह से इतने प्रभावित हैं कि इससे दूर रहना कठिन हो रहा है .
ध्यान देने योग्य बात यह है कि ब्राउनिंग की जिस शैली को विक्टोरियन पाठकों ने आधुनिक और प्रयोगात्मक माना, वह वास्तव में सत्रहवी शताब्दी के कवि जॉन डन की शैली से प्रभावित है. डन कविता के आकस्मिक प्रारम्भ, आम बोल चाल के शब्दों के प्रयोग और अनियमित लय ताल के लिए प्रसिद्ध थे. ब्राउनिंग परसी शेली के अवरोही प्रशंसक रहे और इसलिए वे सत्रहवी शताब्दी के आत्म केन्द्रित कवियों के द्वारा प्रयोग किये गए मिथ्या दंभ, कटाक्ष और अनुचित शब्द-वाक् युद्ध से दूर रहे. उनमें आधुनिक संवेदनशीलता है और वे अपने एक चरित्र के उस मासूम कथन 'इश्वर स्वर्ग में है; धरती पर सब ठीक है." के विरुद्ध उठने वाले प्रश्नों से भली भांति अवगत हैं. ब्राउनिंग इस कथन का समर्थन करते हैं क्योंकि वे मानते हैं कि वह सर्वशक्तिमान इश्वर उस उत्कृष्ट स्वर्ग में रहने के बावजूद सांसारिक प्रक्रियाओं से दूर नहीं है और जीवन में आनंद के प्रचुर अवसर व कारण हैं.
7 अप्रैल 1889 को ब्राउनिंग के एक मित्र कलाकार रूडोल्फ लेहमैन के घर पर आयोजित एक रात्रिभोज के समय, एडिसन के ब्रिटिश प्रतिनिधि जॉर्ज गूराड ने व्हाईट वैक्स सिलेंडर पर एक एडिसन सिलेंडर फोनोग्राफ रेकॉर्डिंग की. इस रेकॉर्डिंग में, जो आज भी सुरक्षित है, ब्राउनिंग ने अपनी कविता "हाउ दे ब्रौट दा गुड न्यूज़ फ्रॉम घेंट टू एक्स" के कुछ हिस्से पढ़ कर सुनाये हैं (कविता के कुछ अंश भूलने पर उन्हें क्षमा मांगते हुए भी सुना जा सकता है)[5] जब 1890 में उनकी मृत्यु की वर्षगाँठ पर यह रिकॉर्डिंग उनके प्रशंसकों के मध्य बजाई गयी, तो लोगों ने ऐसा कहा कि "पहली बार किसी की आवाज़ उसकी कब्र के परे से भी सुनाई दी". (विकीपीडिया से साभार)

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