तीन-चार साल से भोजपुरी का नांव खूब उजियार होत ह। अइसर उजियार कि अन्हारो क सिर सरम से गड़ि जाय। त आपो सबन जानल चाहब कि ऊ कवन लोग हउवैं, जे भोजपुरी क नांव उजियार करै में जुटल हउवैं? त एही बात पर पहिले एक लाइन सुनि ला, फेर बताइब कि जोति जगावै वाले ऊ उजियारघाट वाले लोग कवन-कवन हउवैं?
ऊ लाइन ह....
नान्हे क उढ़री, जब्बै से सुढ़री, तब्बै से सुढ़री,
नइहरे का नांव उजियार कइलै उढ़री।
भोजपुरिया लोग त सगरे देश-दुनिया में छिंटाइल बाड़ैं। आपन घर-दुआर, देस-जवार, आपनि माटी छोड़ि के उनमें से तमाम लोग जहां तहां बसि-बसाइ भी गयल हउवैं, लेकिन उनही लोगन के बीच कुछ नामी-गिरामी नुमा भाई लोग आ कहीं कि दुबई के भाई जइसन भाई लोग ढुकारी मारि के भोजपुरी क मुफ्त में कमाई खात-अघात हउवैं और रहल-सहल डुबावत हउवैं।
अपराधिन की दुनिया में आजमगढ़, गोरखपुर का नांव त दुबई तक गूंजतै बा, झाल-ताशा लेइके कुछ लोग फिल्मी परदवा पर भी खूब इज्जत बोरत हउवैं। कौनो सीडी की दुकान पर जा अउर भोजपुरी के नाम पर कुछ मांगा तो देखावै में दुकानदार त शरम से गड़ी जाला, आसपास खड़ा गराहक भी ऐसे घूरै लगै लैं, जैसे कौनों आदमी के कोठा पर रंगे हाथ पकड़ि लेहले हों। तुलसी बाबा का कहावत बा कि कारन कवन नाथ मोहिं मारा। बात बालि-सुग्रीव की लड़ाई पर कहलि गइलि ह, लेकिन हमरे कलेजे में ई मुहावरा भोजपुरी की खातिर धंसि जाला कि भइया दुनिया भर में काहे के भोजपुरी का नांव बोरत हउवा। ई-टीवी पर भी एक परोगराम में भोजपुरी क खूब काली पताका फहरति रहलि ह। ऊंहा भी ऊहै कुल गाली-जोगिरा वालन क जमावड़ा।
त भइया
सब लाजि-सरम घोरि के पी गयल लोगन से हमार एक नान्ह-एकन मिनती ह कि अपने साहित्य अउर संसकिरिति से एतना अघाइल बोलबानी, इज्जतपानी वाली एहि भोजपुरी क अब अउर दुर्गती मत करा। इहां त एतना अथाह भंडार ह कि जहैं उड़ेला, उहैं जमाना हक्का-बक्का होइ जाई। फिर भोजपुरी के गटर साबित करै पर काहैं उतारू हउवा। वइसे भइया, ऊ लोग मनिहैं ना, काहें से कि ओही गटरबाजी से उनहन क धंधा-पानी चलत ह। उनहन के एतनो लाज-सरम ना ह कि उनहन क करनी उनहन का माई-बहिन भी त देखति होइहैं...ऐं... त भला बतावा कि उन माई-बहिनन के दिल पर का बीतति होई?
जेतनी फूहर-पातर गाना, सब भोजपुरी में।
जेतनी नंगा नाच, सब भोजपुरी में।
धत ससुरे, तोहन क त सकल न देखै लाकि हउवै।
तोहन के चिल्लू भर पानी में डूब मरै के चाही।
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