तकनीकी विकास के साथ आज कंप्यूटर युग में भी किताबों का न महत्व कम हुआ है, न सम्मान। बस फर्क है तो सिर्फ इतना नई पीढ़ी इससे अनजान और बेगानी-सी होती जा रही है। अन्य मंचों के साथ यह साहित्यकारों (और प्रकाशकों की उससे ज्यादा) की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह इस पीढ़ी को किस तरह सृजन की दुनिया से पृथक न रह जाने दें। यह भी हकीकत है कि युवा पुस्तकों से अलग नहीं हैं बल्कि उनकी पूरी पढ़ाई-लिखाई पुस्तकों पर ही आधारित होती है, बस आभासी युग ने उन्हें साहित्य प्रवाह से प्रवाह से भटका सा दिया है। उन्हें समझाने की आवश्यकता है कि पुस्तके सबसे विश्वसनीय मित्र होती हैं। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद को पुस्तकों से बड़ा प्रेम था। उनके घर में सभी प्रकार की पुस्तकें थीं। राजेंद्र बाबू रात को सोने से पहले पुस्तकें अवश्य पढ़ते थे। एक बार वे किसी कार्य से बाहर गए हुए थे। जब कई दिनों बाद घर वापस लौटे तो यह देखकर उन्हें बहुत दुख हुआ कि उनकी पुस्तकें उल्टी -सीधी पड़ी हुई हैं और कई पुस्तकों के पन्ने भी फटे हैं। वे समझ गए कि यह काम घर के बच्चों का है। उन्होंने सभी बच्चों को बुलाकर पूछा - किताबों की यह दशा किसने की है? बच्चे डांट के भय से कह गए कि उन्होंने तो किताबों को छुआ भी नहीं है और उन्हें पता नहीं कि किताबों को किसने अस्त-व्यस्त किया है। राजेंद्र बाबू बहुत बुद्धिमान थे और बच्चों के प्रति स्नेही भी। उन्होंने सच्चई का पता लगाने के लिए बच्चों से बड़े प्रेम से कहा - देखो सब लोग सच बताओ। जिसने किताबों को नुकसान पहुंचाया है उसे मैं टॉफियां खिलाऊंगा। तब सभी बच्चों ने बढ़-चढ़कर अपने द्वारा की गई शरारतें बता दीं। राजेंद्र बाबू ने उन्हें टॉफियां देते हुए समझाया कि किताबें फाड़ना अच्छा नहीं है, क्योंकि उनसे हमें ज्ञान मिलता है। वे हमारी गुरु हैं। किताबों को नुकसान पहुंचाना गुरु को अपमानित करने जैसा है। किताबों पर विभिन्न प्रकार के पुरस्कार दिये जाते हैं-
आत्माराम पुरस्कार
आत्माराम पुरस्कार 'केन्द्रीय हिन्दी संस्थान' द्वारा प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार वैज्ञानिक एवं तकनीकी साहित्य तथा उपकरण विकास के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जाता है। यह देश का एक प्रतिष्ठित सम्मान है। 'मानव संसाधन विकास मंत्रालय', भारत सरकार के केन्द्रीय हिन्दी संस्थान द्वारा 'आत्मराम पुरस्कार' के तहत एक लाख रुपये की राशि सम्मान स्वरूप प्रदान की जाती है।
पद्मभूषण डॉ. मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार
पद्मभूषण डॉ. मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार 'मानव संसाधन विकास मंत्रालय', भारत के 'केन्द्रीय हिन्दी संस्थान' द्वारा प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार एक साहित्यिक पुरस्कार है। पुरस्कार भारतीय मूल के उन हिन्दी विद्वानों को दिया जाता है, जो विदेश में हिन्दी भाषा अथवा साहित्य के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान करते हैं। इस पुरस्कार की शुरुआत तमिलनाडु के हिन्दी सेवी एवं विद्वान 'मोटूरि सत्यनारायण' के नाम पर 1989 में किया गया था। यह पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति प्रदान करते हैं। प्रथम 'पद्मभूषण डॉ. मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार' 2002 में कनाडा के 'हरिशंकर आदेश' को प्रदान किया गया था। पुरस्कार के तहत एक लाख रुपये की राशि नकद दी जाती है। इसके साथ ही एक स्मृतिचिह्न, प्रशस्ति-पत्र और शॉल भी दिया जाता है।
केदार सम्मान
केदार सम्मान प्रगतिशील हिंदी कविता के शीर्षस्थ कवि केदारनाथ अग्रवाल की स्मृति में केदार शोध पीठ की ओर से प्रति वर्ष दिया जाने वाला एक प्रमुख साहित्य सम्मान है। यह मुख्यत: हिन्दी कविता के लिए है, केदार शोध पीठ न्यास' बान्दा द्वारा सन् 1996 से प्रति वर्ष प्रतिष्ठित प्रगतिशील कवि केदारनाथ अग्रवाल की स्मृति में यह सम्मान ऐसी प्रतिभाओं को दिया जाता है जिन्होंने केदार की काव्यधारा को आगे बढ़ाने में अपनी रचनाशीलता द्वारा कोई अवदान दिया हो। पुरस्कार का निर्णय एक चयन तथा निर्णायक समिति द्वारा किया जाता है। प्रतिवर्ष अगस्त के महीने में आयोजित एक भव्य समारोह में यह सम्मान दिया जाता है।
शलाका सम्मान
शलाका सम्मान हिंदी अकादमी की ओर से दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है। हिन्दी जगत में सशक्त हस्ताक्षर के रूप में विख्यात तथा हिन्दी भाषा और साहित्य के क्षेत्र में समर्पित भाव से काम करने वाले मनीषी विद्वानों, हिन्दी के विकास तथा संवर्धन में सतत संलग्न क़लम के धनी, मानव मन के चितरों तथा मूर्धन्य साहित्यकारों के प्रति अपने आदर और सम्मान की भावना को व्यक्त करने के लिए हिन्दी अकादमी प्रतिवर्ष एक श्रेष्ठतम साहित्यकार को शलाका सम्मान से सम्मानित करती है। वर्ष 2007 तक सम्मान स्वरूप, 1,11,111/-रुपये की धनराशि, प्रशस्ति-पत्र एवं प्रतीक चिह्न आदि प्रदान किये जाते थे परन्तु अकादमी सम्मान व पुरस्कारों की नयी व्यवस्था के अंतरगत वर्ष 2007 सम्मान स्वरूप 2,00,000/- (दो लाख) रुपये की धनराशि, प्रशस्ति-पत्र एवं प्रतीक चिह्न आदि प्रदान किये जाते हैं।
गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार
गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार हिन्दी पत्रकारिता तथा रचनात्मक साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए दिया जाता है। यह पुरस्कार केंद्रीय हिन्दी संस्थान आगरा द्वारा दिया जाता है। इस पुरस्कार प्राप्त विद्वानों को राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया जाता है। विजेताओं को एक-एक लाख रुपए, एक शॉल और प्रशस्तिपत्र प्रदान किया जाता है। केंद्रीय हिन्दी संस्थान आगरा ने वर्ष 1989 में 'हिन्दी सेवी सम्मान योजना' की शुरुआत की थी।
सरस्वती सम्मान
सरस्वती सम्मान एक साहित्य पुरस्कार है। के.के बिड़ला फाउंडेशन द्वारा 1991 में सरस्वती सम्मान की शुरुआत की गई थी, जिसके तहत भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल भाषाओं के भारतीय लेखकों की पिछले 10 सालों में प्रकाशित साहित्यिक कृति को पुरस्कृत किया जाता है। इसके तहत सात लाख पचास हज़ार रुपये नकद, प्रशस्ति पत्र और पट्टिका प्रदान की जाती है। पहला सरस्वती सम्मान 1991 में हिन्दी के कालजयी कवि डॉ. हरिवंश राय बच्चन को उनकी चार भागों में प्रकाशित आत्मकथा को दिया गया।
राज्य स्तरीय शिखर सम्मान
राज्य स्तरीय शिखर सम्मान मध्य प्रदेश द्वारा प्रदान किया जाता है। मध्य प्रदेश में साहित्य और विभिन्न कलाओं के क्षेत्र में जो सृजन कार्य हो रहा है, उसके समुचित सम्मान की आवश्यकता असंदिग्ध है। राज्य शासन ने समग्र योगदान के आधार पर साहित्य, प्रदर्शनकारी कलाओं और रूपंकर कलाओं में एक-एक राज्यस्तरीय शिखर सम्मान स्थापित किया है। प्रत्येक सम्मान की राशि 31,000 रुपए है। शिखर सम्मान केवल मध्य प्रदेश के कलाकारों और साहित्यकारों को ही प्रदान किया जाता है। मध्य प्रदेश के साहित्यकार और कलाकार से अभिप्राय प्रदेश के स्थायी निवासी की वैधानिक अर्हताओं के अलावा उन व्यक्तियों से भी है, जिन्होंने प्रदेश में कला की सुदीर्घ साधना की है और जिन्होंने प्रदेश में ही अपना निवास बना लिया है और यहीं उनकी कर्मभूमि है।
साहित्यकार सम्मान
साहित्यकार सम्मान हिन्दी भाषा और साहित्य के क्षेत्र में समग्र योगदान तथा विशिष्ट सेवा और राष्ट्र भाषा प्रचार-प्रसार के लिए कार्य कर रहे उत्कृष्ट साहित्यकारों, पत्रकारों आदि को प्रदान किया जाता है। हिन्दी अकादमी, दिल्ली का यह प्रयास रहा है कि वह ऐसे साहित्य कर्मियों की रचना धर्मिता, सृजनशीलता, मूल्य-चेतना और सामाजिक सांस्कृतिक एवं नैतिक दृष्टि से समृद्व साहित्य द्वारा की गई सेवाओं का सम्मान कर सके जिन्होंने आनन्द और ज्ञान के श्रोत को निरन्तरता प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। चूंकि साहित्यकार, समाज और साहित्य को समर्पित जीवनयापन करते हैं। इसके लिए अकादमी का दायित्व बनता है कि उनकी सेवाओं का सही अर्थों में सम्मान करते हुए उन्हें समाज में सर्वोच्च स्थान प्रदान करे। इस सम्मान के लिए चुने हुए विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों को सम्मान स्वरूप 21,000/-रुपये की धनराशि, प्रशस्ति-पत्र एवं प्रतीक चिह्न आदि प्रदान किये जाते हैं।
साहित्यिक कृति सम्मान
साहित्यिक कृति सम्मान हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा दिया जाने वाला एक सम्मान है। इसके तहत लेखक अपनी लेखनी के माध्यम से साहित्य द्वारा समाज के लिए एक शाश्वत सामग्री जुटाता है। जिसके पठन-पाठन से मनुष्य अतीत की जानकारी के साथ-साथ अपने वर्तमान व भविष्य को सुखद, समृद्धशाली एवं प्रगतिशील बनाने की दिशा में अग्रसर होता है। समाज के उत्थान व राष्ट्र और विश्व की प्रगति के उद्देश्य से लिखी गयी ऐसी साहित्यिक कृतियों को अकादमी द्वारा पुरस्कृत किया जाता है। समाज चेता सृजनधर्मी लेखकों और साहित्यकारों का सम्मान कर समाज में उनकी और उनके कृतित्व की पहचान कराना अकादमी अपना परम कर्त्तव्य समझती है। इसी आशय से प्रतिवर्ष रचनात्मक एवं उद्देश्यपूर्ण साहित्य सृजन के लिए विभिन्न विधाओं की पुस्तकों को पुरस्कृत करने के लिए चुना जाता है। विगत कुछ वर्षों से अकादमी ने साहित्यिक विधाओं के अतिरिक्त भारतीय वाङ्मय से राष्ट्र-चेतना एवं संस्कृति के पुनर्जागरण में सशक्त लेखन के साथ-साथ महत्त्वपूर्ण योगदान कर रहे लेखकों को भी सम्मानित करके इस दिशा में एक ठोस क़दम उठाया है। इस योजना के अन्तर्गत 'विशिष्ट कृति सम्मान एवं साहित्यिक कृति सम्मान' और 'बाल एवं किशोर साहित्य कृति सम्मान' दिया जाता है।
सुब्रह्मण्यम भारती पुरस्कार
सुब्रह्मण्यम भारती पुरस्कार भारत के प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक है। यह एक महत्त्वपूर्ण साहित्यिक सम्मान है, जो हिन्दी साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिये 'केन्द्रीय हिन्दी संस्थान' द्वारा प्रदान किया जाता है। यह हिन्दी सेवी सम्मान है, जो कई हिन्दी विशेषज्ञों को उनके हिन्दी के प्रचार-प्रसार में विशिष्ट योगदान के लिये दिया जाता है। इस पुरस्कार के तहत एक लाख रुपये की राशि सम्मान स्वरूप प्रदान की जाती है।
राष्ट्रीय इक़बाल सम्मान
राष्टीय इक़बाल सम्मान साहित्य और कलाओं के क्षेत्र में उत्कृष्टता और सृजनात्मकता को सम्मानित करने की अपनी परम्परा के अनुसार मध्य प्रदेश शासन द्वारा प्रदान किया जाता है। मध्य प्रदेश शासन ने वर्ष 1986-87 में, उर्दू साहित्य में रचनात्मक लेखन के लिए 'इक़बाल सम्मान' स्थापित किया है। इस सम्मान में एक लाख रुपये की राशि और साथ ही प्रशस्ति पट्टिका भी प्रदान की जाती है। पुरस्कार उर्दू के सुप्रसिद्ध कवि अल्लामा इक़बाल के नाम पर दिया जाता है, जिन्होंने 20वीं शताब्दी के प्रारंभिक चार दशकों में उर्दू कविता को नये आयाम पदान किये थे। देश के अधिकतम भागों के साथ-साथ विदेश में भी अल्लामा इक़बाल को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।
राष्ट्रीय कबीर सम्मान
मध्य प्रदेश शासन के संस्कृति विभाग ने साहित्य और सृजनात्मक कलाओं में उत्कृष्टता तथा श्रेष्ठता को सम्मानित करने, साहित्य और कलाओं में राष्ट्रीय मानदण्ड विकसित करने के लिए 'अखिल भारतीय सम्मानों' और राज्य स्तरीय सम्मानों की स्थापना की है। उत्कृष्टता और सृजन को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित करने के लिए मध्यप्रदेश शासन ने भारतीय कविता के लिए राष्ट्रीय कबीर सम्मान की स्थापना की है। महान संत कवि कबीर ने सदियों पहले रचनाएँ की और समाज को नयी निर्भीकता दी थ। भारत में वे आज भी सबसे लोकप्रिय कवि हैं।
राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान
मध्य प्रदेश शासन द्वारा साहित्य और कलाओं को प्रोत्साहन देने के लिए अनेक राष्ट्रीय और राज्य स्तर के सम्मानों की स्थापना की गयी है। हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में 'वार्षिक सम्मान' का नाम खड़ी बोली के शीर्ष कवि श्री मैथिलीशरण गुप्त की स्मृति में रखा गया है। यह सम्मान वर्ष 1987-88 से प्रारम्भ किया गया। इस सम्मान के अन्तर्गत एक लाख रुपये की राशि तथा प्रशस्ति पट्टिका भेंट की जाती है।
राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान
राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट सृजन को सम्मानित करने की अपनी परम्परा का अनुसरण करते हुए मध्य प्रदेश शासन ने हिन्दी भाषा के व्यंग्य, ललित निबन्ध, संस्मरण, रिपोर्ताज, डायरी, पत्र इत्यादि विधाओं में रचनात्मक लेखन के लिए राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान स्थापित किया है। शरद जोशी मध्यप्रदेश के निवासी थे। उन्हें उनकी सशक्त और विपुल व्यंग्य रचनाओं ने साहित्य के राष्ट्रीय परिदृश्य पर प्रतिष्ठित किया। शरद जोशी ने व्यंग्य को नया कलेवर और वैविध्य दिया और समय की विसंगति और विडम्बना को अपनी प्रखर लेखनी से उजागर करते हुए समाज को दृष्टि और दिशा प्रदान करने के लिए सामाजिक रूप से उपयोगी रचनाओं को सृजित किया। उनकी व्यंग्य रचनाओं ने हिन्दी साहित्य की समृद्धि में अपना सुनिश्चित योगदान दिया है।
नवोदित लेखक पुरस्कार
नवोदित लेखक पुरस्कार हिन्दी अकादमी द्वारा प्रदत्त एक पुरस्कार है जो सदैव युवा प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देने के लिए दिया जाता है और वास्तव में हिन्दी साहित्य को इनसे बड़ी आशाएं हैं जो स्थापित साहित्यकार हैं, प्रतिभा के धनी हैं और जिन्होंने हिन्दी भाषा और साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। उनका सम्मान तो सर्वत्र होता ही है और होना भी चाहिए। परन्तु ऐसे साहित्यिक वट वृक्षों की छाया में पनप रही नयी पौध को भी प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। अकादमी प्रतिभाशाली युवा लेखकों और कवियों को उनके समुचित साहित्यिक विकास के लिए प्रोत्साहन देने के उद्धेच्च्य से 'नवोदित लेखक पुरस्कार प्रतियोगिता' के अन्तर्गत करती है। अकादमी द्वारा यह प्रतियोगिता दो आयु वर्गो में आयोजित की जाती है। प्रथम वर्ग 18 वर्ष से 24 वर्ष तक तथा द्वितीय वर्ग 25 वर्ष से 30 वर्ष तक के युवा लेखकों के कहानी, कविता, एकांकी व लेख आदि की चुनी हुई श्रेष्ठ रचनाओं के लिए यह पुरस्कार दिया जाता है। पुरस्कार राशि प्रथम 3,100/-, द्वितीय 2,500/-, तृतीय 2,000/- तथा प्रोत्साहन 1,100/- रुपये।
डॉ. जॉर्ज ग्रियर्सन पुरस्कार
डॉ. जॉर्ज ग्रियर्सन पुरस्कार प्रदान करने का शुभारम्भ 1994 से किया गया था। यह पुरस्कार 'केन्द्रीय हिन्दी संस्थान' द्वारा दिया जाता है। पुरस्कार प्राय: किसी जाने-माने विदेशी व्यक्ति को उसकी उल्लेखनीय हिन्दी सेवाओं के लिए प्रदान किया जाता है।
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