हँसने के दिन झरने लगे,
देह में तपन भरने लगे।
बैराए पाँव, नाव के गदराए स्वर बहाव के
उड़ते को मन करने लगे।
साँसों में यादें बाँधे, जाने क्या लादे काँधे
सपनों में रंग भरने लगे।
देह में तपन भरने लगे।
बैराए पाँव, नाव के गदराए स्वर बहाव के
उड़ते को मन करने लगे।
साँसों में यादें बाँधे, जाने क्या लादे काँधे
सपनों में रंग भरने लगे।
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