Thursday, 4 July 2013

बदलाव को रेखांकित करती रेडियो पत्रकारिता


जया केतकी

पत्रकारिता का ताना-बाना आज पूरी तरह बदल गया है।पुस्तक : रेडियो पत्रकारिता रोज नये-नये तकनीक और पहलू, पत्रकारिता को एक अलग पहचान दिलाने में लगे हैं। सूचना तकनीक के विकास और विस्तार में पत्रकारिता के क्षेत्र इलेक्ट्रानिक मीडिया को दिनों-दिन विस्तार दे रहा है। इसके पारंपरिक संवाद ने माध्यम को अपना बाना बदलने को विवश कर दिया है। बदलते दौर में इंटरनेट, एफ-एम रेडियो, मोबाईल मीडिया जैसे वैकल्पिक माध्यम हमारे जीवन के अंग बनते जा रहे हैं। ऐसे में प्रिंट मीडिया के साथ-साथ रेडियो पत्रकारिता के ताना-बाना का विकसित होना भी स्वाभाविक है। लेखक-पत्रकार संजय कुमार की सद्यः प्रकाशित पुस्तक ‘‘ रेडियो पत्रकारिता ’’ इन्हीं पहलूओं को समेटे हुए है।
रेडियो पत्रकारिता आज मीडिया के दौर में स्वतंत्र पाठ्यक्रम के तौर पर विकसित हो रही है। श्रोताओं को बांधे रखने के लिए रेडियो की तकनीक और स्वरूप में बदलाव आ रहा है। डिजीटल में यह कन्वर्ट हो रहा है। अब पाकेट में रेडियो आ चुका है। मोबाइल में रेडियो बजता है। रेडियो पत्रकारिता में हो रहे बदलाव को रेखांकित करता है पुस्तक ‘‘ रेडियो पत्रकारिता ’’।
इस पुस्तक में रेडियो पत्रकारिता खासकर समाचार के विभिन्न पहलुओं पर विशेष तौर से प्रमुखता दी गयी है। पुस्तक में रेडियो पत्रकारिता का इतिहास, समाचार लेखन, समाचार की भाषा, वाइस कास्ट, समाचार वाचन, साक्षात्कार, रेडियो के विभिन्न प्रकार और कार्यक्रमों के साथ-साथ भारत में प्रसारण के इतिहास पर रोशनी डाली गयी है। ‘‘ रेडियो पत्रकारिता ’’ पुस्तक, पत्रकारिता के छात्रों के लिए जहां महत्वपूर्ण है, वहीं पत्रकारिता में रूचि रखने वालों के लिए भी इसमें बहुत कुछ है।

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