Tuesday, 25 June 2013

पैंतीस प्रतिशत बुक लवर्स लैपटॉप पर


गूगल ने इलेक्ट्रॉनिक बुक स्टोर की दुनिया में कदम रखते हुए अमेजन को जोरदार टक्कर दी है। गूगल पर पढ़ी जा सकने वाली मुफ्त किताबों के कारण भी विवाद हुआ। लेकिन गूगल का कहना है कि इससे ज्यादा लोग किताबें पढ़ सकेंगे। गूगल की प्रवक्ता जेनी होर्नुंग का कहना है, हमें विश्वास है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा ई-बुक पुस्तकालय होगा। मुफ्त पढ़ी जा सकने वाली किताबों को मिला कर इनकी कुल संख्या तीस लाख से ज्यादा है। मैकमिलन, रैन्डम हाउस, साइमन एंड शूस्टर जैसे मशहूर प्रकाशकों की हजारों डिजिटल किताबें ई-बुक स्टोर में बेची जाएँगी।
गूगल ई-बुक्स इंटरनेट क्लाउड पर ऑनलाइन रखी जाएँगी और वेब से जुड़े किसी भी कंप्यूटटर या फिर एप्पल के आईफोन, आईपैड, आई पॉड टच और ऐसे स्मार्ट फोन्स जिस पर गूगल के एन्ड्रॉइड सॉफ्टवेयर हो, उन पर पढ़ी जा सकेंगी। ई-बुक्स पर बेची गई किताबें सोनी रीडर, बार्नेस और नोबल के नूक सहित दूसरे ई-रीडर पर पढ़ी जा सकेंगी लेकिन अमेजन के किंडल पर नहीं। गूगल का मानना है कि अधिकतर लोग लॉग इन करके किताबें ऑनलाइन पढ़ना पसंद करेंगे और इसके लिए वे जो भी गेजेट आसानी से उपलब्ध होगा उसका इस्तेमाल करेंगे। ठीक उसी तरह से जैसे वह वेब पर जी-मेल अकाउंट चेक करते हैं।
हॉर्नुंग का कहना है, आप एक किसी भी किताब को क्लाउड की एक लायब्रेरी में जमा कर के रख सकेंगे और गूगल अकांउट के जरिए कहीं से भी उस किताब को पढ़ सकेंगे।
गूगल बुक्स के इंजीनियरिंग डायरेक्टर जेम्स क्रॉफर्ड का कहना है, मुझे विश्वास है कि आने वाले सालों में हम किसी भी बुक स्टोर से सिर्फ ई-बुक्स ही खरीदेंगे, उन्हें वर्चुअल रैक में रखेंगे और किसी भी डिवाइस पर उसे पढ़ेंगे। अभी उस सपने की शुरुआत है। स्वतंत्र बुक स्टोर पॉवेल, ऑनलाइन बुक शॉप एलिब्रिस और अमेरिकी पुस्तक विक्रेता संघ गूगल के लॉन्चिंग डे पार्टनर्स हैं जो गूगल की डिजिटल किताबें बेचेंगे। ई-बुक स्टोर न्यूयॉर्क टाइम्स के बेस्ट सेलर उपन्यासों से लेकर तकनीकी पुस्तकों तक सब कुछ उपलब्ध हो सकेगा और इसके वर्चुअल पन्नों पर ग्रॉफिक्स भी आसानी से देखे जा सकेंगे। जहाँ तक कीमतों का सवाल है, ई-बुक्स स्टोर की किताबें बाजार के हिसाब से होंगी जबकि कई फ्री किताबें पहले ही गूगल पर उपलब्ध हैं। गूगल पुस्तक प्रेमियों की सोशल वेबसाइट गुड रीड्स के साथ हाथ मिलाएगा ताकि ऐसा नेटवर्क बने जहाँ लोग आसानी से ऑनलाइन ई-बुक्स खरीद सकें। होर्नुंग ने बताया कि विचार कुछ ऐसा है कि आप अपनी पसंद के विक्रेता से पुस्तक खरीदें और आपके पास जो डिवाइस मौजूद है उस पर उसे जहाँ चाहे वहाँ पढ़ें। गूगल के साथ फिलहाल चार हजार प्रकाशक हैं।
2004 में गूगल बुक्स प्रजेक्ट शुरू होने के बाद से गूगल ने सौ देशों से, चार सौ भाषाओं में करीब डेढ़ करोड़ किताबें डिजिलाइस की हैं। हालाँकि इस पर विवाद भी हुआ। लेखकों और प्रकाशकों ने गूगल के किताबें डिजिटलाइज करने पर आपत्ति उठाई थी। जिन किताबों का कॉपीराइट है या फिर जिनके लेखकों का कोई अता पता नहीं है ऐसी किताबें ई-बुक स्टोर पर नहीं बेची जाएँगी। एक शोध के मुताबिक अमेरिका में ई-बुक डिवास का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या इस साल के आखिर तक एक करोड़ से ज्यादा हो जाएगी। और 2015 तक 2 करोड़ 94 लाख अनुमानित है। फॉरेस्टर सर्वे के मुताबिक ई-बुक पढ़ने वाले लोगों में 35 फीसदी लोग लैपटॉप पर किताब पढ़ते हैं, 32 फीसदी अमेजन के किंडल पर और 15 फीसदी लोग एप्पल के आई फोन पर पढ़ते हैं। (myhindiforum.com से साभार)

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