Tuesday 25 June 2013

नई कल्पनाओं की मां होती हैं किताबें


पुस्तक प्रेमी अक्सर इस बात की चर्चा करते है कि किस प्रकार कोई किताब उनके जीवन में परिवर्तन लाने वाली सिद्ध हो जाती है। किताबें पाठकों के सामने एक नई दुनिया खोल देती है और इसी के साथ वे मस्तिष्क की सोचने-विचारने व कल्पनाशक्ति की वृद्धि में सहायक सिद्ध होती है। पत्रकार विजेता शंकर राव कहती है, ''पढ़ने से बुद्धिमत्ता में वृद्धि होती है। किताबें आपको अधिक ज्ञानी तथा आत्मविश्वास से परिपूर्ण बनाती हैं।'' उन्हीं की तरह एक दूसरी पुस्तक प्रेमी महिला नंदिनी श्रीनिवास की स्वीकारोक्ति है, ''मैं पढ़ना पसंद करती हूं और मैंने घर पर एक छोटा सा पुस्तकालय बना रखा है। मेरे लिए अध्ययन सांस लेने जितना महत्वपूर्ण है।'' यह सत्य है कि अध्ययन आपकी दुनियादारी का दायरा बढ़ाता है। यह जीवन को नई दृष्टि से देखने के अवसर प्रदान करता है और आपके मस्तिष्क को कल्पना के नये आयामों तक ले जाता है।
कैसे चुनें किताबें
अध्ययन का अर्थ यह नहीं है कि कुछ भी पढ़ डाला जाए। यह मस्तिष्क के लिए आहार के समान होता है, इसीलिए इसे भी शारीरिक आहार की तरह गुणवत्तापूर्ण होना चाहिए। ऐसी पुस्तकों का चयन करे, जो आपके जीवन को प्रभावित करने की क्षमता रखती हों अथवा कम से कम इनसे आपको कुछ सीखने को मिले। अगर आप पुराने साहित्य में रुचि रखती है, तो शुरुआत के लिए मुंशी प्रेमचंद अथवा इंग्लिश में जेन ऑस्टन श्रेष्ठ सिद्ध हो सकते है। यदि आपकी रुचि कविता में है, तो प्रेमपूर्ण कविताएं इस दिशा में अच्छी शुरुआत होंगी। यदि आपकी रुचि समकालीन साहित्य में है, तब तो आपके सामने बहुत सारे विकल्प है। नजदीकी पुस्तक विक्रेता के पास आप हिंदी साहित्य से जुड़ी पत्रिकाओं से लेकर समकालीन साहित्यकारों की रचनाओं का विशाल संग्रह प्राप्त कर सकती है।
यदि आप पुस्तकों के संदर्भ में कुछ सुझाव प्राप्त करना चाहती है, तो नजदीकी पुस्तकालय में जाइए। अधिसंख्य पुस्तकालयों में पाठकों की पसंद तथा पुस्तकालयाध्यक्ष द्वारा संस्तुत की गई बेहतरीन पुस्तकों की सूची प्रदर्शित की जाती है। पुस्तकालय कर्मचारियों को इस बात का बखूबी अंदाज होता है कि कौन सी पुस्तकें अधिक लोकप्रिय है और किस वजह से? पुरस्कृत पुस्तकें आपको स्वत: ही अपनी ओर आकर्षित करती है। इसी के साथ ही विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित पुस्तक चर्चा स्तंभ भी आपकी सहायता कर सकते है। इनमें प्रकाशित पुस्तक की संक्षिप्त झलक आपको इस बात का अंदाजा दे देती है कि पुस्तक का स्तर क्या है?
किताबों के संसार में हर एक व्यक्ति की रुचि के अनुसार सामग्री उपस्थित है। यदि आप गंभीर साहित्यिक लेखन पढ़ने में रुचि नहीं रखती है तो यात्रा, पोषण, आत्मविकास, प्रेमकथाएं अथवा आध्यात्मिकता से संबंधित पुस्तकों को चुन सकती है। कुल मिलाकर बात यह है कि ऐसी पुस्तकों को चुनें, जिनसे आपको संतुष्टि का आभास हो और वे आपकी अंतदर्ृष्टि को विकसित करने में सहायक सिद्ध हों। कई प्रतिष्ठित पुस्तक प्रकाशक अपनी पुस्तकों का सूची पत्र तैयार करते है। यदि आप किसी पुस्तक विक्रेता की दुकान पर अपना नाम दर्ज करवा दें, तो यह सूची पत्र डाक द्वारा आपके पते पर भेज दिये जाते है। इसकी सहायता से आप अपने मन की पुस्तकों का चयन कर सकती है।
अध्ययन के लाभ
यह सर्वसिद्ध तथ्य है कि अध्ययन आपकी भावनात्मक बुद्धिमत्ता में सुनिश्चित तौर पर वृद्धि करता है। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिक डैनियल गोलमैन के अनुसार भावनात्मक बुद्धिमत्ता पांच गुणों जागरूकता, भावनाओं पर नियंत्रण, आत्मप्रेरण, समानुभूति तथा लोकव्यवहार का सम्मिश्रण है। पुस्तकें हमें विभिन्न किस्म के लोगों, व्यवहारों तथा अनुभवों से परिचित कराती है, जो वास्तविक जीवन से उत्पन्न होते है। पुस्तकें इस बात में हमारी सहायता करती है कि दूसरे किस प्रकार सोचते है? किसी उपन्यास में पात्रों की मनोदशा का विश्लेषण करते हुए पाठक दूसरों की भावनाओं से परिचित होने लगता है और कभी-कभी तो इनमें उसे अपना प्रतिबिंब दिखाई देने लगता है। इस प्रक्रिया से भावनात्मक बुद्धिमत्ता में वृद्धि होती है।
एक युवा मां दीप्ति राजपुरिया का कहना है, ''प्रत्येक अभिभावक को पुस्तकें पढ़ने की आदत डालनी चाहिए। मेरे बच्चों ने छोटी उम्र से ही पुस्तकों को पलटना शुरू कर दिया था, क्योंकि वे ऐसा करके अपनी मां जैसा दिखना चाहते थे। लगभग प्रत्येक शाम को मैं टेलीविजन देखने की जगह कोई अच्छी पुस्तक पढ़ना पसंद करती हूं। मेरे बच्चों ने भी मुझसे यह आदत सीख ली है। मेरा मानना है कि अभिभावकों को बच्चों के सामने खुद को उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करना होता है जिससे वे अच्छी आदतें सीख सकें।''
नई दिल्ली के एक स्कूल में हेड लाइब्रेरियन के रूप में कार्यरत मिताली बाजपेयी का कहना है, ''मेरा मानना है कि अध्ययन आपके सामने नए अवसर और विचारों को प्रस्तुत करता है। यह न केवल आपको दूसरों की भावनाओं को समझने का अवसर देता है, बल्कि कई बार आपकी उग्र अथवा उपेक्षित भावनात्मक स्थिति को भी शांत करता है। इस दुनिया में कई महान पुरुष और स्त्रियां हुए है और यह दुर्लभ सी बात है कि आप इन सभी से मिल सकें। हां, पुस्तकें इस बात का रास्ता खोलती है कि आप इन महान विचारकों से परिचित हो सकें और उनसे कुछ सीख सकें। यदि आप पुस्तकों से दूरी रखती है तो निश्चित मानिए ज्ञान आपसे दूरी बना लेगा।''
यह वास्तविकता है कि तकनीक के दौर में लोगों की पुस्तकों से दूरी बढ़ गई है। सेलफोन, केबल टी.वी. और इंटरनेट ने हमें कुंद बुद्धि और मशीनों पर निर्भर इंसान बना दिया है। हर समय चलती-फिरती तस्वीरों के कारण इंसान की कल्पनाशीलता समाप्त होती जा रही है। इसके विपरीत जब आप कोई पुस्तक पढ़ती है, तब आपका दिमाग तेजी से काम करने लगता है। नई-नई कल्पनाएं जन्म लेती है, तार्किक क्षमता बढ़ती है और आप तथ्यों को अपनी स्वतंत्र कसौटी पर कस पाती है। मनुष्य को दूसरे पशुओं से बेहतर इसीलिए माना गया था, क्योंकि वह मस्तिष्क का ऊपर बताए गए तरीकों से प्रयोग कर सकता था। क्या 21 वीं शताब्दी में मनुष्य का मस्तिष्क मशीनों का गुलाम हो जाएगा अथवा उसकी कल्पनाशीलता और बढ़ेगी, इस प्रश्न का उत्तर केवल इस बात में छिपा है कि इस आलेख को पढ़ने के बाद आपका हाथ रिमोट उठाने के लिए बढ़ता है अथवा किसी अच्छी किताब को उठाने के लिए (myhindiforum.com से साभार)

No comments:

Post a Comment