Tuesday 25 June 2013

बच्चों के लिए बड़ों की किताबें



विजय मिश्र

समय-समय पर बहुत से प्रसिद्ध और महान लोगों ने बच्चों के लिए किताबें लिखी हैं, जो कि न सिर्फ बहुत ही ज्यादा चर्चित हुईं, बल्कि लोकप्रिय भी रहीं। इसी क्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा उनके बच्चों के लिए लिखी किताब प्रकाशित हुई। इस किताब को बच्चों ने हाथों-हाथ लिया। इसी तरह से अनेक अन्य प्रसिद्ध लोगों ने भी बच्चों को अपने अनुभव और जिंदगी को कैसे जीया जाए, ये बातें बताने के लिए अनेक किताबें, लैटर और कविताएं लिखी हैं।
दोस्तो, अगर आप कोई नयी चीज सीखते हैं तो इसमें सबसे बड़ा हाथ बड़ों के गाइडेंस का ही होता है। ये बात अलग है कि वो कभी डांट के साथ मिलता है तो कभी पुचकार के साथ। देश-दुनिया के अनेक महान और प्रसिद्ध लोग बड़े होने के बावजूद अपने बचपन से जुड़ी मीठी यादें भुला नहीं पाते। अपने बचपन को याद करने और आगे आने वाली पीढ़ी को अपने जिंदगी भर मिले खट्टे-मीठे अनुभवों से वाकिफ करवाने के लिए अनुभवी लोग जिस चीज का सबसे ज्यादा सहारा लेते हैं वो हैं किताबें, लैटर और कविताएं। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू अपने अति व्यस्त कार्यक्रम से थोड़ी सी फुर्सत पाते थे तो अपनी लाडली बेटी इंदिरा को पत्र लिखा करते थे। पंडित नेहरू के ये पत्र ही थे, जिन्होंने इंदिरा को इतना सशक्त बना दिया कि बड़ी से बड़ी दिक्कतों का सामना करने में उनको तनिक भी मुश्किल नहीं आयी।
इसी तरह से रवीन्द्र नाथ ठाकुर की किताबें भी पढ़ने में आप सबको बहुत ही मजा आएगा और जोश भी। रवीन्द्र नाथ की किताबें बच्चों का मनोरंजन करने के साथ ही उनका मार्गदर्शन भी करती हैं। इनकी सबसे प्रसिद्ध कहानी ‘काबुलीवाला’ है, जिसमें कि एक काबुलीवाला ‘रहमत’ नाम का चरित्र है और दूसरी छोटी बच्ची ‘मनी’ है। इस कहानी को पढ़ते-पढ़ते आप अपनी भावुकता को रोक नहीं पाएंगे। भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम बच्चों से विशेष लगाव रखते हैं। कलाम इस बात के लिए हमेशा तैयार रहते हैं कि बच्चे उनसे सवाल पूछें और वो उनको जवाब देकर संतुष्ट कर सकें। यहां तक कि जब वो राष्ट्रपति पद पर थे तो भी जगह-जगह जाकर बच्चों से मिला करते थे। आज भी उनसे सवाल पूछने और बात करने के लिए बच्चों के पत्रों का ढेर उनके घर पर लगा रहता है।
एक पत्र के जरिए ही सोनीपत के एक बच्चे ने उनसे सवाल किया था कि आप इतना व्यस्त रहते हुए भी हम लोगों के लिए टाइम कैसे निकाल लेते हैं तो इसके जवाब में पूर्व राष्ट्रपति कलाम ने उत्तर लिखा, ‘मेरे अंदर हमेशा कुछ नया जानने की इच्छा रहती है, जिससे मैं अपने काम को ठीक तरीके से कर पाता हूं और मैं कोशिश करता हूं कि अगर कोई और भी खासकर वो जो देश का भविष्य हैं, किसी प्रश्न का सही उत्तर मुझसे पा सकें तो शायद मैं इस देश को अपना कुछ योगदान दे सकूं।’ ऐसी कलाम न जाने कितनी चिठ्ठियां आप लोगों के लिए लिखते रहते हैं, कभी जवाब के रूप में तो कभी सार्वजनिक पत्र के रूप में।
प्रसिद्ध गीतकार गुलजार ने भी बच्चों के लिए बोस्की के कप्तान चाचा नाम से एक किताब लिखी है। गुलजार अपनी बेटी मेघना को प्यार से बोस्की कहते हैं। इस किताब के जरिए गुलजार बच्चों को एक ऐसे किरदार ‘कप्तान चाचा’ से रू-ब-रू करवाते हैं, जो कि ऊपर से जितना सख्त तो अंदर से उतना ही नम्र है। कार्टून देखने में मजा तो आता है, लेकिन कभी टाइम मिले तो इन किताबों को अपनी आस-पड़ोस की लाइब्रेरी में तलाश कर जरूर पढ़ना। यकीनन कार्टून देखने से ज्यादा मजा इन किताबों व कहानियों को पढ़ने में आएगा।
बुक्स  फॉर यू
कुत्ते की कहानी : प्रेमचंद
अब्बू खां की बकरी : डॉ. जाकिर हुसैन (पूर्व राष्ट्रपति)
बजरंगी-नौरंगी : अमृतलाल नागर
पहाड़ चढ़े गजनंदनलाल : विष्णु प्रभाकर
बोस्की के कप्तान चाचा : गुलजार
बिना हाड़-मांस के आदमी : मोहन राकेश
वापसी : भीष्म साहनी
बड़ा कौन है : हजारी प्रसाद द्विवेदी
कमलेश्वर के बाल नाटक : कमलेश्वर
कोहकाफ का बंदी : लेव तोलस्तोय
लाखी : अंतोन चेखव
बहादुर टॉम : मार्क ट्वेन
कब्बू रानी : विजयदान देथा

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