Wednesday 10 July 2013

अब लिखिए अपना उपन्यास


जर्मनी में अब युवा प्रतिभाशाली लेखकों को मिलती है स्टार लेखकों की मदद. बर्लिन की फ्री यूनिवर्सिटी में स्टार लेखक उभरते उपन्यासकारों को क्लास में बताते हैं कि कैसे अच्छा उपन्यास लिखें. यह उन युवाओं के लिए अच्छा होता है जो लेखक के तौर पर लोकप्रियता का स्वाद चखना चाहते हैं. नामी लेखकों से बेहतर ये जानकारी और कौन दे सकता है. 28 साल के ब्राजिलियाई छात्र राओनी डुरान साहित्य के छात्र हैं और वह लेखक बनना चाहते हैं. इतना ही नहीं, पहले उपन्यास के लिए उनके पास जबरदस्त आयडिया है. लेकिन वह कहते हैं कुछ कमी है. उनके पास आयडिया को शब्दों और स्टाइल में बेहतरीन तरीके से ढालने का अनुभव नहीं है. डुरान कहते हैं, एक लेखक के तौर पर आपको पता होना चाहिए कि लेख कैसे काम करता है न कि उसका विवरण. इस तरह की सोच के कारण वह अपने आयडिया को अच्छे से विकसित कर पाए हैं.
सेमीनार में पढ़ाने वाले लेक्चरर नहीं बल्कि अमेरिका के बेस्ट सेलिंग ऑथर एंड्र्यू शॉन ग्रीयर हैं. और वह पहले स्टार लेखक नहीं जो बर्लिन की फ्री यूनिवर्सिटी में पढ़ा रहे हों. वहीं 42 साल के सैम्युअल फिशर गेस्ट प्रोफेसर हैं. वह साहित्य और कंपेरेटिव लिटरेचर के 30 छात्रों को उपन्यास लिखना सिखा रहे हैं. यह स्कीम फ्री यूनिवर्सिटी, जर्मनी के विदेश विभाग और फिशर पब्लिशिंग हाउस ने साथ मिल कर तैयार की है. इस स्कीम के तहत 1998 से अभी तक कई स्टार लेखक कोर्स में आ चुके हैं. पहले के गेस्ट प्रोफेसरों में जापानी नोबेल पुरस्कार विजेता केंजाबुरो ओए, ऑस्ट्रियन-जर्मन लेखक डानिएल केहलमान और अफ्रीकी लेखक सोमाली नुरुद्दीन फाराह. एंड्र्यू शॉन ग्रीयर के उपन्यास कनफेशन ऑफ मैक्स तिवोली (2004) और द स्टोरी ऑफ मैरिज (2008) मशहूर हुए हैं.
ग्रीयर के सेमीनार में बातचीत का विषय है कि अधिकतर युवा लेखक आलोचक की आंखों से पढ़ते हैं. ग्रीयर कहते हैं, "मैं उन्हें सिखा रहा हूं कि किताबें ऐसे पढ़ना कि वह सीधे जा कर लिख सकें. आप ऐसा नहीं कर सकते अगर आप कहानी के कैरेक्टर में उलझ जाएं या फिर स्टोरीलाइन से दो चार हो रहे हों. ऐसी स्थिति में आप उस पर ध्यान नहीं दे सकते कि कहानी कैसे बन रही है." यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष पेटर आंद्रे आल्ट बताते हैं, "दुनिया भर से आने वाले अतिथि प्रोफेसरों के साथ बौद्धिक आदान प्रदान हमारी यूनिवर्सिटी की पहचान की खास बात है." 2007 से फ्री यूनिवर्सिटी को एलीट यानी संभ्रात यूनिवर्सिटी का दर्जा मिला हुआ है. सैम्युअल फिशर गेस्ट प्रोफेसरशिप जैसी स्कीम के कारण छात्र दूसरी संस्कृतियों को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं और उनकी अपनी संस्कृति के बारे में समझ भी गहरी होती है.
हालांकि एंड्र्यू ग्रीयर के सेमीनार में सासंकृतिक तुलना अहम मुद्दा नहीं है. लेखक कहते हैं कि बर्लिन में वह बिलकुल घर जैसा महसूस करते हैं." यह शहर वर्तमान में जीता है भूत में नहीं. हालांकि यह भी सही है कि आप भूतकाल को कहीं भी महसूस कर सकते हैं. यह मुझे आजाद करता है." बर्लिन और साहित्य के लिए ग्रीर की दीवानगी बहुत संक्रामक है. उनके छात्र उनके लेक्चर पसंद करते हैं. लेकिन वहां जाने वाले सभी लेखक बनना ही चाहते हों ऐसा नहीं. 24 साल की सारा हांग को लगता है कि आलोचना उनकी खासियत है. जबकि अन्य छात्र लीडिया दिमित्रोव पहले से ही अनुवादक के तौर पर काम कर रही हैं. दोनों को ही लगता है कि इस सेमिनार के कारण उन्हें अपने काम में बहुत फायदा हुआ है. इस सेमिनार में हिस्सा लेने के लिए 160 छात्रों ने आवेदन किया था लेकिन 30 ही को चुना गया. शायद इसी कारण छात्रों को इसका काफी फायदा भी हुआ. यही अध्यक्ष पेटर आंद्रे आल्ट भी मानते हैं. चूंकि हर सेमेस्टर में प्रोफेसर भी बदलते हैं इसलिए जिन लोगों को रुचि है उन्हें अगले सेमेस्टर में भी जगह मिल सकती है. (DW.DE/मानसी गोपालकृष्णन)

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