शब्द
शब्द आओ मेरे पास,जो बुलायें, जाओ उनके पास भी
Monday, 3 March 2014
जयप्रकाश त्रिपाठी
हार जैसी, जीत जैसी सिसकियां,
वक्त के संगीत जैसी सिसकियां,
जिंदगी भर गुनगुनाता रह गया,
मुफलिसी के गीत जैसी सिसकियां।
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