साल 2013 मेकैन वर्ल्डग्रुप इंडिया और उसके एग्जिक्युटिव चेयरमैन व सीईओ प्रसून जोशी के लिए काफी अच्छा रहा। उसके साल की शुरुआत हुई बंगलुरू की मार्केटिंग सर्विसेज़ एजेंसी, एंड टू एंड मार्केटिंग सॉल्यूशंस के अधिग्रहण से।
प्रसून जोशी 2013 में गन (Gunn) रिपोर्ट का संपादन करने वाले पहले भारतीय बने। गन रिपोर्ट ऐडवरटाइजिंग में क्रिएटिव एक्सीलेंस की ग्लोबल इंडेक्स है। इसके अलावा उन्हें‘चटगांव’ फिल्म के लिए नैशनल अवॉर्ड मिला। यह जोशी का दूसरा नैशनल अवॉर्ड है जो कि उन्हें ‘बोलो ना’ गीत के लिरिक्स के लिए दिया गया।
इतना ही नहीं, 2013 मेकैन वर्ल्डग्रुप इंडिया के लिए खेलों के लिहाज से भी अहम रहा। उसने स्टार स्पोर्ट्स, मुंबई इंडियंस, चैंपियंस लीग, इंडियन हॉकी लीग और इंडियन बैडमिंटन लीग के साथ काम किया।
जोशी का मानना है कि 2014 अनिश्चितताओं का साल होगा। इस साल क्लाइंट्स इंतजार करो और देखो की रणनीति अपना सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘आधा साल चुनावों में चला जाएगा, लोग आकलन और अनुमान लगाते रहेंगे। जहां तक राजनीति का सवाल है तो ये साल काफी शोरगुल भरा और व्यस्त रहने वाला है। साल के दूसरे हिस्से में कुछ स्थिरता दिखाई देने की उम्मीद है। चुनावी साल आखिरकार चुनावी साल होता है। हमें मजबूत रहना होगा। मेकैन इस स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। मुझे उम्मीद है कि साल के दूसरे हिस्से में बेहतर ग्रोथ देखने को मिलेगी।’
2013 में ऐडवरटाइजिंग बिरादरी जिन मुद्दों से जूझी, उनमें से एक था – प्रोएक्टिव वर्क। जोशी का कहना है, ‘सभी एजेंसियां कुछ लोगों का समूह होती हैं। हमें एक-दूसरे से सीखने की जरूरत है। अवॉर्ड्स का मतलब खुद को और बेहतर बनाने से है ताकि आपको क्लाइंट्स मिल सकें। मैं कान को इसी नजरिये से देखता हूं और उसमें हिस्सा लेता हूं। अवॉर्ड्स एक ईको-सिस्टम का हिस्सा हैं, वे अपने आप में कोई छोर नहीं हैं, इस बात को समझने की जरूरत है।’
जोशी का मानना है कि ऐडवरटाइजिंग इंडस्ट्री में सेल्फ-चेक और रेग्यूलेशन का काफी अच्छा सिस्टम है। वह कहते हैं, ‘अगर आप अवॉर्ड्स का इस्तेमाल गलत कारणों के लिए करते हैं तो सिस्टम आपको बाहर कर देगा। अगर कोई चीज इंडस्ट्री के अस्तित्व को नुकसान पहुंचाती है तो वह अपने आप बाहर हो जाएगी।’
प्रसून जोशी 2013 में गन (Gunn) रिपोर्ट का संपादन करने वाले पहले भारतीय बने। गन रिपोर्ट ऐडवरटाइजिंग में क्रिएटिव एक्सीलेंस की ग्लोबल इंडेक्स है। इसके अलावा उन्हें‘चटगांव’ फिल्म के लिए नैशनल अवॉर्ड मिला। यह जोशी का दूसरा नैशनल अवॉर्ड है जो कि उन्हें ‘बोलो ना’ गीत के लिरिक्स के लिए दिया गया।
इतना ही नहीं, 2013 मेकैन वर्ल्डग्रुप इंडिया के लिए खेलों के लिहाज से भी अहम रहा। उसने स्टार स्पोर्ट्स, मुंबई इंडियंस, चैंपियंस लीग, इंडियन हॉकी लीग और इंडियन बैडमिंटन लीग के साथ काम किया।
जोशी का मानना है कि 2014 अनिश्चितताओं का साल होगा। इस साल क्लाइंट्स इंतजार करो और देखो की रणनीति अपना सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘आधा साल चुनावों में चला जाएगा, लोग आकलन और अनुमान लगाते रहेंगे। जहां तक राजनीति का सवाल है तो ये साल काफी शोरगुल भरा और व्यस्त रहने वाला है। साल के दूसरे हिस्से में कुछ स्थिरता दिखाई देने की उम्मीद है। चुनावी साल आखिरकार चुनावी साल होता है। हमें मजबूत रहना होगा। मेकैन इस स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। मुझे उम्मीद है कि साल के दूसरे हिस्से में बेहतर ग्रोथ देखने को मिलेगी।’
2013 में ऐडवरटाइजिंग बिरादरी जिन मुद्दों से जूझी, उनमें से एक था – प्रोएक्टिव वर्क। जोशी का कहना है, ‘सभी एजेंसियां कुछ लोगों का समूह होती हैं। हमें एक-दूसरे से सीखने की जरूरत है। अवॉर्ड्स का मतलब खुद को और बेहतर बनाने से है ताकि आपको क्लाइंट्स मिल सकें। मैं कान को इसी नजरिये से देखता हूं और उसमें हिस्सा लेता हूं। अवॉर्ड्स एक ईको-सिस्टम का हिस्सा हैं, वे अपने आप में कोई छोर नहीं हैं, इस बात को समझने की जरूरत है।’
जोशी का मानना है कि ऐडवरटाइजिंग इंडस्ट्री में सेल्फ-चेक और रेग्यूलेशन का काफी अच्छा सिस्टम है। वह कहते हैं, ‘अगर आप अवॉर्ड्स का इस्तेमाल गलत कारणों के लिए करते हैं तो सिस्टम आपको बाहर कर देगा। अगर कोई चीज इंडस्ट्री के अस्तित्व को नुकसान पहुंचाती है तो वह अपने आप बाहर हो जाएगी।’
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