सिगरेट पीने वाले मानें या न मानें, कम से कम वैज्ञानिक तो यही मानते हैं कि अगर सिगरेट पर खूब टैक्स लगा दें तो लोगों की धूम्रपान की आदत तो छूटेगी ही, करोड़ों जानें भी बचेंगी. अगर तंबाकू पर टैक्स तिगुना कर दिया जाए तो इससे दुनिया भर में सिगरेट की खपत में एक तिहाई की कमी आएगी. शोधकर्ताओं का कहना है कि ऐसा करने से इस सदी में करीब 20 करोड़ लोगों को फेफड़ों के कैंसर, दिल की बीमारी और कई अन्य जानलेवा बीमारियों से होने वाली असमय मृत्यु रोकी जा सकेगी. न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक रिव्यू में कैंसर रिसर्च यूके (सीआरयूके) के वैज्ञानिकों ने कहा है कि अगर हर सिगरेट पर टैक्स को बढ़ा कर बहुत महंगा कर दिया जाए तो इससे बहुत सारे लोग सिगरेट पीना ही छोड़ देंगें क्योंकि उनके पास सस्ते सिगरेट का कोई विकल्प ही नहीं होगा. और तो और जिन जवान लोगों ने सिगरेट पीना शुरू नहीं किया है वे धूम्रपान की आदत के शिकार होने से बच जाएंगे.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, हर साल तंबाकू के सेवन से करीब 60 लाख लोग अपनी जान से हाथ धो देते हैं. अगर धूम्रपान को रोकने के लिए कुछ नहीं किया गया तो 2030 तक हर साल मरने वालों की तादात 80 लाख के भी ऊपर चली जाएगी. इस स्टडी का नेतृत्व करने वाले सीआरयूके के महामारी विज्ञानी रिचर्ड पेटो का मानना है कि तंबाकू पर टैक्स बढ़ाना गरीब और मध्यवर्गीय देशों पर खासतौर पर असर डालेगा क्योंकि वहां मिलने वाली सबसे सस्ती सिगरेट हर कोई खरीद सकता है. यह जानकारी इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है कि धूम्रपान करने वाले दुनिया भर के 130 करोड़ लोगों में से ज्यादातर गरीब देशों में रहते हैं. ऐसे कई देशों में सरकारों ने अभी धुआं मुक्ति के कानून लागू नहीं किए हैं.
तंबाकू को महंगा करने का फायदा अमीर देशों को भी होगा. जैसा कि फ्रांस में देखा गया जहां टैक्स को मुद्रा स्फीति की दर से ऊपर रखने के कारण 1990 से 2005 के बीच सिगरेट की खपत आधी हो गई. पेट्रो कहते हैं कि, "जीवन में सिर्फ दो ही चीजें निश्चित हैं और वो हैं मौत और टैक्स. हम चाहते हैं कि तंबाकू पर टैक्स ज्यादा हो और उससे मौतें कम."
धूम्रपान करने वाले लोगों का जीवन 10 साल तक छोटा हो जाता है. अगर वे 40 साल की उम्र से पहले यह आदत छोड़ दें तो इसे न छोड़ने वालों के मुकाबले 90 फीसदी से भी ज्यादा स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से बच जाएंगे. वहीं अगर वे 30 साल की उम्र से पहले धूम्रपान छोड़ सकें तो तंबाकू की वजह से होने वाली 97 फीसदी दिक्कतें उनके पास नहीं फटकेंगीं. 2013 में संयुक्त राष्ट्र महासभा और डब्ल्यूएचओ की विश्व स्वास्थ्य सभा में दुनिया भर की सरकारों ने कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों से होने वाली असमय मौतों को कम करने के प्रयास करने का निर्णय लिया है. सभी देशों ने धूम्रपान में 2015 तक एक तिहाई कमी लाने का भी निश्चय किया है.
अमीर सरकारें देंगी बेहतर सुविधाएं
सीआरयूके के विश्लेषण में पता चला है कि अगर अगले दशक तक टैक्स बढ़ाकर सिगरेट की कीमत को दोगुना किया जा सका तो दुनियाभर में इसकी खपत को एक तिहाई तक कम किया जा सकता है. साथ ही सरकारों को तंबाकू से आने वाला वार्षिक राजस्व में भी करीब एक तिहाई की बढ़ोत्तरी हो सकती है.
देशों का कुल राजस्व अभी के 300 अरब डॉलर से बढ़ कर 400 अरब डॉलर हो जाएगा जिसका इस्तेमाल सारी आबादी को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए किया जा सकता है. इस समय अंतरराष्ट्रीय तंबाकू कारोबारी हर साल करीब 50 अरब डॉलर का मुनाफा कमा रहे हैं. पेट्रो कहते हैं कि तंबाकू की वजह से होने वाली हर मौत से होने वाले कुल नुकसान में से करीब 10,000 डॉलर इन कारोबारियों के मुनाफे का हिस्सा बनता है.
इस स्टडी में तंबाकू के असर के बारे में दुनिया भर में किए गए करीब 63 शोधपत्रों का अध्ययन किया गया जिससे यह बात साफ निकल कर आई कि तंबाकू पर लगा टैक्स "एक बहुत जोरदार दबाव" बना सकता है. सीआरयूके के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हरपाल कुमार कहते हैं, "दुनियाभर में 35 साल से कम उम्र के करीब 50 करोड़ बच्चे और जवान या तो धूम्रपान शुरू कर चुके हैं या जल्दी ही जीवन भर के लिए इसकी चपेट में आ चुके होंगे. इसलिए सरकारों को जल्दी से जल्दी कोई रास्ता निकालना होगा जिससे नए लोगों को सिगरेट शुरू करने से रोका जा सके और जो धूम्रपान करते हैं उनकी यह लत छुड़ाई जा सके."
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