Tuesday, 9 July 2013

एप्पल ने पाठकों को लगाया करोड़ों का चूना



आईपैड और आईफोन बनाने वाली कंपनी एप्पल के खिलाफ मनमाने तरीक़े से क़ीमतें निर्धारित करने के एक मामले की सुनवाई के दौरान पिछले महीने सरकारी वकील लॉरेंस बटरमैन ने न्यूयॉर्क की एक अदालत में दावा किया कि पुस्तक प्रकाशकों से करार करके कंपनी ने आम पाठकों को करोड़ों डॉलर का चूना लगा दिया।  2010 में आईपैड के बाज़ार में आने के बाद ई-बुक्स की क़ीमतों में बढ़ोत्तरी एक सोची-समझी योजना का परीणाम थी. हाँलाकि एप्पल के वक़ील ने इस मामले को ‘अजीब’ बताया. बचाव पक्ष के वक़ील ओरियन स्नाइडर ने कहा कि महंगाई को एप्पल और प्रकाशकों के बीच हुए करार से जोड़कर सरकार अपना पल्ला झाड़ रही है. एप्पल कंपनी ने दावा किया कि उसने अपने व्यापारिक हितों को ध्यान में रखते हुए पुस्तक प्रकाशकों के साथ सौदा किया. एप्पल ई-बुक्स विक्रेताओं द्वारा क़िताबों की क़ीमत निर्धारित किए जाने की बजाए प्रकाशकों को ख़ुद अपनी ई-बुक्स का मूल्य निर्धारित करने देता है. अभियोजन पक्ष का कहना था कि एप्पल के प्रतिद्वन्द्वी ई-बुक विक्रेता अमेज़न को निशाना बनाने के लिए यह योजना बनाई गई. एप्पल उतनी सस्ती दरों पर ई-बुक्स मुहैया नहीं करवा सकता था जितनी सस्ती दरों पर अमेज़न के ज़रिए ये किताबें मिल रहीं थीं. आईपैड आने के बाद अमेज़न पर सबसे ज़्यादा बिकने वाली क़िताबों की क़ीमतें बढ़ गईं. कुछ का मूल्य 9.99 डॉलर से बढ़ कर 12.99 से 14.99 डॉलर तक हो गया लेकिन ओरियन स्नाइडर ने सरकारी वकील को बीच में टोकते हुए दलील दी कि दूसरों के व्यापारिक निर्णयों के लिए एप्पल को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. पाँच प्रकाशकों के बीच इस मामले पर पहले ही समझौता हो चुका है.


पांच सौ साल पुरानी 'बेस्ट सेलर'


पिछले साल अक्तूबर में दिल्ली स्थित नेशनल आर्काइव्स में 16सवीं सदी में लिखी गई एक किताब की प्रदर्शनी लगाई गई। उसमें पांच सौ साल पहले ‘भारत पर लिखी गई पहली किताब’ बताते हुए प्रस्तुत किया गया था। इसे देखने के लिए कई दिनो देश की राजधानी में कौतुहल बना रहा।

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