Wednesday, 26 June 2013

किताबों में किताबें


हर्षलसिंह राठौड़

23 अप्रैल 1564 को एक ऐसे लेखक ने दुनिया को अलविदा कहा था, जिनकी कृतियों का विश्व की समस्त भाषाओं में अनुवाद हुआ। यह लेखक था शेक्सपीयर। जिसने अपने जीवन काल में करीब 35 नाटक और 200 से अधिक कविताएँ लिखीं। साहित्य-जगत में शेक्सपीयर को जो स्थान प्राप्त है उसी को देखते हुए यूनेस्को ने 1995 से और भारत सरकार ने 2001 से इस दिन को विश्व पुस्तक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की।
किसी व्यक्ति की किताबों का संकलन देखकर ही आप उसके व्यक्तित्व का अंदाजा लगा सकते हैं। कहते हैं कि किताबें ही आदमी की सच्ची दोस्त होती हैं और दोस्तों से ही आदमी की पहचान भी। किताबों में ही किताबों के बारे में जो लिखा है वह भी बहुत उल्लेखनीय और विचारोत्तेजक है। मसलन टोनी मोरिसन ने लिखा है- 'कोई ऐसी पुस्तक जो आप दिल से पढ़ना चाहते हैं, लेकिन जो लिखी न गई हो, तो आपको चाहिए कि आप ही इसे जरूर लिखें।'
किसी ने कहीं लिखा है कि अगर कोई यह मानता है कि यह जीवन उसे सिर्फ एक बार ही मिला है तो यह जानिए कि वह पढ़ना नहीं जानता। वास्तव में अगर किताबें न हों तो बहुत से कार्य तो हमारे अधूरे ही रह जाएँगे। ज्ञान, मनोरंजन और अनुभव की बात कहती ये किताबें यूँ ही नहीं पूजी जातीं। इनके पन्नों पर जीवन का हर अर्थपूर्ण अनुभव सहेज लिया जाए ताकि आने वाला कल और भी सुंदर बन सके। आज विश्व पुस्तक दिवस पर हम किताबों से संबंधित कुछ जानकारियाँ आप तक पहुँचा रहे हैं।
शा. श्री अहिल्या केंद्रीय पुस्तकालय के प्रभारी क्षेत्रीय ग्रंथपाल डॉ. जीडी अग्रवाल के अनुसार किताबों का अस्तित्व खत्म नहीं हो सकता। आधुनिकता की बात करें तो भी यह बात हर वक्त संभव नहीं कि किताबों के स्थान पर लैपटॉप आदि से पढ़ा जाए। किताबें हर वक्त साथ निभाती हैं फिर चाहे वह बाल साहित्य हो या धार्मिक ग्रंथ। किताबों की दोस्ती हमेशा साथ निभाती है।
वैसे तो डेली कॉलेज की लाइब्रेरी काफी समृद्ध है पर हजारों किताबों के बीच 120 पुस्तकें ऐसी हैं जो दुर्लभ और बेशकीमती हैं। हिस्ट्री ऑफ हिन्दुस्तान के 3 भाग, बर्ड्स ऑफ एशिया के 7 भाग, द किंग एंड क्वीन इन इंडिया 1911 टू 1912 जिसमें राजा और रानियों के चित्र व जानकारी वाली किताब यहाँ है। इसके अलावा लंदन से 1880 में प्रकाशित पुस्तक इंग्लिश स्कूल ऑफ पेंटिंग इन वॉटर कलर, केव टेंपल्स ऑफ इंडिया जैसी किताबें भी यहाँ हैं। यहाँ 4 भागों में महाभारत और दो भागों में रामायण भी है जिनके पन्नों को देख यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये कितनी पुरानी किताबें हैं। वैसे तो बाहरी व्यक्ति को इस पुस्तकालय की सदस्यता नहीं दी जाती पर संस्थान के अधिकारी की अनुमति के आधार पर बहुत से लोगों ने यहाँ अध्ययन कर शोध कार्य किया है।
संतुष्टि तो पुस्तकों से ही मिलती है डेली कॉलेज की ग्रंथपाल सायरा बानो कुरैशी बताती हैं कि किताबों का क्रेज कभी कम नहीं हो सकता। जिन्हें पुस्तकों में दिलचस्पी है वे किताब पढ़े बिना संतुष्ट नहीं होते भले ही किताब में लिखी बात अन्य मीडिया के माध्यम से वे जान चुके हों।
नेहरू पार्क में 1968 से संचालित होते आ रहे महात्मा गाँधी पुस्तकालय का नाम पहले सेंट्रल लाइब्रेरी गाँधी हॉल था। वर्तमान में इस पुस्तकालय में 28 हजार 545 पुस्तकें हैं। सुबह 8 से शाम 7 बजे तक खुले रहने वाले इस पुस्तकालय के 6 हजार 592 सदस्य हैं। वैसे तो यहाँ हर आयुवर्ग की पसंद और आवश्यकतानुसार किताबें हैं पर यहाँ की सबसे पुरानी किताबें हैं- जगतनारायण द्वारा लिखित रामजी-भरतजी, प्राणनाथ वानप्रस्थी की वीर हनुमान, आनंद द्वारा लिखी गई बापू की सीखें और ज्ञानदेव शास्त्री द्वारा लिखित मुद्रा राक्षस।

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