Thursday, 20 June 2013

बुक थैरेपी

पन्ने पलटिए पावरफुल बनिए
किताबों से ज्ञान तो मिलता ही है, मन की शांति, जोश, उमंग और ऊर्जा भी मिलती है। कई वैज्ञानिक अध्ययनों से साबित हो चुका है कि प्रेरणादायक पुस्तकें पढ़ने से न सिर्फ मन शांत होता है, बल्कि विपरीत परिस्थितियों से जूझकर आगे बढ़ने का जोश भी जागता है। ब्रिटिश डॉक्टरों की राय में अच्छी पुस्तकों के अध्ययन से कई रोगों से शीघ्रतापूर्वक निजात पाई जा सकती है। मशहूर यूनानी दार्शनिक अरस्तू ने कहा था, "साहित्य में रोगों को ठीक करने का गुण होता है।" 18वीं सदी तक यूरोप के कई मानसिक चिकित्सालयों में पुस्तकालय भी बनाए जाते थे। 19वीं सदी में यूरोप के चिकित्सक मानसिक रूप से बीमार लोगों को पुस्तक पढ़ने की राय देते थे। (राजस्थान पत्रिका)

डिप्रेशन से बचने के लिए पढ़ना जरूरी
संगीत सुनने वाले किशोरों की तुलना में किताबें पढ़ने में ज्यादा समय बिताने वाले किशोरों को डिप्रेशन होने का खतरा कम रहता है। एक अध्ययन में यह बात सामने आई। पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन में सहायक प्रोफेसर व शोधकर्ता ब्रायन प्रीमैक के नेतृत्व में यह अध्ययन किया गया। प्रीमैक के मुताबिक इस अध्ययन में 106 किशोर शामिल थे। इनमें से 46 किशोर गंभीर रूप से अवसादग्रस्त थे। शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों को दो महीने तक पांच सप्ताहांतों के दौरान खाली समय बिताने के लिए अलग-अलग वस्तुएं दी थीं। इनमें फिल्में, संगीत, विडियो गेम्स, इंटरनेट अखबार और किताबें शामिल थीं। यूनिवर्सिटी के मुताबिक कम संगीत सुनने वालों की तुलना में अधिक संगीत सुनने वाले बच्चे 8.3 गुना अधिक अवसादग्रस्त हुए। शोध में पाया गया कि किताब पढ़ने वाले बच्चों में डिप्रेशन का खतरा काफी कम होता है। प्रीमैक के अनुसार किताबें पढ़ने की आदत को डिप्रेशन से जोड़कर देखा जाता है, जबकि है इसका उलटा। अमेरिका में किताबें पढ़ने वालों की संख्या कम होती जा रही है जबकि अन्य मीडिया का इस्तेमाल करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। (दैनिक जागरण)

मस्तिष्क के लिए स्वास्थ्यवर्धक किताबें
लन्दन : किताबें पढ़ना सिर्फ एक इत्मीनान भरी गतिविधि या फिर साक्षरता कौशल और तथ्यात्मक ज्ञान को बढ़ाने का जरिया ही नहीं, बल्कि हमारे मस्तिष्क के लिए स्फूर्तिदायक औषधि भी है। न्यूरोसाइंटिस्ट सुसान ग्रीनफील्ड के अनुसार किताबें पढ़ने की आदत बच्चों के ध्यान लगाने की क्षमता का विस्तार करता है। उन्होंने कहा, "कहानियों की शुरुआत, मध्य और अंत होता है- यह संचरना हमारे मस्तिष्क को कारण, प्रभाव और महत्व में सम्बंध स्थापित कर अनुक्रम में सोचने के लिए प्रेरित करती है।" ग्रीनफील्ड ने कहा, "छोटे बच्चे के रूप में इस कौशल को सीखना बहुत जरूरी है। बचपन में मस्तिष्क चीजों को ग्रहण करने में अधिक सक्षम होता है, इसी वजह से माता-पिता के लिए यह बहुत जरूरी है कि वे अपने बच्चों को किताबें पढ़ाएं।" किताबें पढ़ना अन्य संस्कृतियों के बारे में हमारी समझ को बढ़ाकर हमारे सम्बंधों को समृद्ध बना सकता है और हमें समानुभूति सीखने में मदद भी कर सकता है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय स्थित मैगडालेन कॉलेज में तंत्रिका विज्ञान के प्रोफेसर जॉन स्टेइन ने बताया कि किताबें पढ़ना निष्क्रिय गतिविधि से दूर है। उन्होंने कहा, "किताब पढ़ने से पूरे मस्तिष्क का व्यायाम हो जाता है।" कहानियां पढ़ना बच्चों के मस्तिष्क में किसी घटना के कारण, प्रभाव और महत्व का विश्लेषण करने की क्षमता का विकास करता है। 

अनिल कपूर की पसंदीदा किताबें
किताबें एक सच्चे साथी की तरह हमें हमेशा कुछ नया सिखाती हैं. मैं एक एक्टर हूं, इसलिए एक्टर्स की बायोग्राफ़ीज पढ़ना मुङो सबसे ज्यादा पसंद है. वैसे मैं हर तरह की अच्छी किताबें पढ़ना पसंद करता हूं. इसलिए मेरी पसंदीदा किताबों की लंबी फ़ेहिरस्त है, लेकिन मैं अभी सिर्फ़ एक किताब के बारे में ही बात करना चाहूंगा. वह किताब है ऐन रैंड की ‘द फ़ाऊंटेनहेड.’यह किताब चार भागों में बंटी हुई है और हर भाग को एक पात्र अपने ही अंदाज में प्रस्तुत करता है. फ़ाऊंटेनहेड के सारे पात्र सजीव लगते हैं क्योंकि ऐन रैंड ने हर पात्र को ब़ड़ी ही खूबसूरती से गढ़ा है. हर पात्र में एक इंसानी टच है. उनमें अच्छी या बुरी क्वालिटीज हैं. इन पात्रों को हम अपने आस-पास पाते हैं. सभी पात्रों में मुङो हावर्ड रोवर्क का किरदार सबसे अनूठा लगा. यह किरदार इस किताब की आत्मा है. यह किरदार कहीं न कही से हमको बताता है कि हमें सबसे पहले अपना सम्मान करना आना चाहिए, तभी हम दूसरों का सम्मान कर सकते हैं. साथ ही इस किरदार की सबसे अच्छी बात जो मुङो लगी, वो है काम के प्रति उसका जुनून.मुङो लगता है हर कलाकार को अपने जीवन का यही फ़लसफ़ा बना लेना चाहिए. मुङो नहीं लगता कि इसके बाद उसे किसी और चीज की जरूरत महसूस होगी. इस किताब को पढ़ने के बाद मुङो यही सीख मिली. इस किताब में और भी कई भी कई बातें हैं, जो न सिर्फ़ सीधे दिल को छूती हैं बल्कि जिंदगी से जुड़ी एक सीख दे जाती हैं. (प्रभात खबर से साभार)

गुल पनाग को पढ़ने का शौक 
अभिनेत्री गुल पनाग को पढ़ने का बहुत शौक है, लेकिन दिक्कत यह है कि जब वक कोई किताब पढ़ना शुरू करती हैं तो इसे खत्म करने से पहले खुद को रोक नहीं पातीं। यूं भी जब वह एक्टिंग नहीं कर रही होती हैं तो बाइकिंग, कुकिंग और किताबें पढ़ने में खुद को व्यस्त रखती हैं। गुल अमूमन अपने दोस्तों द्वारा सजेस्ट की हुई किताबें पढ़ती हैं और इन दिनों वह ‘द गर्ल हू प्लेड विद फायर’ पढ़ रही हैं। ऐसे में वह इस किताब को खत्म करने से पहले सो भी नहीं पा रही थीं और इसी कारण उनकी नींद उड़ी हुई है। इसीलिए इस किताब को खत्म कर उन्होंेने नींद पूरी करने के लिए दूसरी किताब शुरू करने से पहले छोटा-सा ब्रेक लिया। 

सोनल को किताबों से प्यार
सोनल सहगल को खुद को किताबी कीड़ा कहलाना पसंद है। सोनल का कहना है कि मेरे पास ढेर सारी किताबें हैं। मैंने पिछले महीने अपने घर को रिनोवेटेड करवाया है। मैंने पूरी दीवार को एक बड़ी बड़ी बुक सेल्फ में बदल दिया है। जमीन की फर्श से लेकर छत तक किताबें ही किताबें हैं। मुझे किताबों से बड़ा प्यार है। मुझे पढ़ना हमेशा अच्छा लगता है। जब किताब में आप कोई कहानी पढ़ते हैं तो किसी निर्देशक की तरह आप उन किरदारों का संसार दिमाग में रचते हैं। सोनल का कहना है कि मुझे बायोग्राफी पढ़ना पसंद है। मैंने चार्ली चैप्लिन, आंद्रे अगासी, अर्नाल्ड स्वाजनेगर जैसी कई हस्तियों की बायोग्राफी पढ़ी है। सही अर्थों में ऐसे लोगों ने अपने जीवन को सही मायने में जीया है। दुनिया केवल आपकी उपलब्धियों को देखती है। वह आपको संघर्षों के बाद ही मिल सकती है। इन सफल लोगों ने अपना जीवन एक लक्ष्य को लेकर जीया।

शीला दीक्षित की पसंदीदा किताबें
किताबें मेरी जिंदगी का एक अहम हिस्सा हैं। मैं रोजाना कुछ-न-कुछ पढ़ लेती हूं। एक व्यस्त दिनचर्या के बावजूद मैं अपने इस शौक को बचा सकी, इससे मेरे मन को तसल्ली मिलती है। शेक्सपियर के नाटकों का हमारी जिंदगी से बहुत गहरा ताल्लुक है। जीवन का जो ट्रैजिक पक्ष है, उससे किसी को शायद ही छुटकारा मिल पाता है। शेक्सपियर ने अपने नाटकों का विषय मनुष्य जीवन की ट्रैजिडी को ही बनाया। तभी मैकबेथ, हेमलेट या ऑथेलो को पढ़ते हुए आपके सामने जिंदगी के मायने कुछ अलग ढंग से खुलते हैं। इन्हें पढ़ते हुए आप अपने जीवन की एक बेहतर समझ बना सकते हैं। 'एलिस इन वंडरलैंड' यह किताब मुझे बचपन की किसी सहेली जैसी प्रिय है। बचपन में जब इसे पढ़ा था और जिस आश्चर्य लोक में एलिस के साथ खुद के भी होने की कल्पना की थी, वह मेरे मन को इतने बरस बाद भी गुदगुदा जाता है। इसीलिए जब भी मन करता है, इसके दो-तीन चैप्टर पढ़ लेती हूं। ऐसी किताबें आपको एक अलग तरह के अहसास से भर देती हैं। ऐसे अहसास, जो एक उम्र के बाद आप तक बमुश्किल ठहरते हैं। प्रेमचंद की कहानियों की किताब 'मानसरोवर' में भारत के गांवों की आत्मा बसती है। साधारण-सी लगने वाली इन कहानियों में प्रेमचंद ने गांव की दुनिया, उसके लोग, उनकी तकलीफ वगैरह का जैसा चित्र खींचा है, उससे कहानियों का महत्व साहित्य से भी ज्यादा हो जाता है। प्रेमचंद की कहानियां जिस तरह का असर पढ़ने वालों के मन पर छोड़ती हैं, वैसा कई समाज विज्ञान की किताबें भी नहीं कर पातीं। यूं तो आंदे जीद के नॉवल बहुत चाव से पढ़े लेकिन 'आंदे जीद के जर्नल्स' पढ़ने का एक अलग अनुभव है। जीद ने करीब 60 बरस तक जर्नल्स लिखे। इन बरसों में जैसा जीवन उन्होंने जिया और जिन विचारों ने उनके जीवन और काम को प्रभावित किया, उससे बहुत कुछ सीखा जा सकता है। जर्नल्स के जरिए जीद जैसे अहम शख्स का इतना लंबा जीवन खुद आपके सामने एक आईना सरीखा है, जिसमें आपका जीवन कैसा बीता, इसका अंदाजा भी लगा सकते हैं।

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